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Bihar Govt employees Promotion: पदोन्नति में आरक्षण का मामला उलझा, सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 17, 2023, 1:10 PM IST

प्रमोशन में रिजर्वेशन मामले में बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने की तैयारी
प्रमोशन में रिजर्वेशन मामले में बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने की तैयारी

2023 में बिहार सरकार ने कर्मियों को पदोन्नति देने का फैसला लिया है. पदोन्नति में आरक्षण (Reservation In Promotion) के मामले पर बहस छिड़ गई है और सरकार के फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर ली गई है. कानून के जानकारी सरकार के फैसले को नियम के विरुद्ध मान रहे हैं. पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा है कि सरकार ने जल्दबाजी में फैसला लिया है.

सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी

पटना: पदोन्नति में आरक्षण का मामला लंबे अरसे से लंबित है. सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2019 को यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय दिया था. इस आदेश के करीब सवा चार साल हो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अर्जी पर जल्द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले में सुनवाई अगले साल जनवरी 2024 में की जाएगी.

पढ़ें- Bihar Govt employees Promotion: सरकारी कर्मियों को दुर्गा पूजा में मिलेगा प्रमोशन, पदोन्नति में आरक्षण पर रार

पदोन्नति में आरक्षण का मामला उलझा: इस बीच बिहार सरकार ने जो फरमान जारी किया है उसके मुताबिक बिहार सरकार के पदाधिकारी को अंडरटेकिंग लेकर प्रमोशन दिया जाएगा. साथ ही आरक्षण से भरे जाने वाले पदों को खाली रखा जाना है. सरकार ने 17% पदों को बाहर रखा है, उनमें से एक प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लिए है और 16% अनुसूचित जाति के लिए रखा गया है. इन्हें उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अंतिम निर्णय के तहत भरा जाएगा .

ईटीवी भारत GFX
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'बिहार रिजर्वेशन एक्ट का उल्लंघन'- वरिष्ठ अधिवक्ता: वहीं पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा है कि सरकार ने जल्दबाजी में फैसला लिया है. वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की जा रही है. बिहार सरकार वर्ष 2007 और वर्ष 2021 में नियमावली बनाई है कि संविदा के आधार पर जो बहाली होगी उस पर भी योग्यता के अनुसार बहाली होगी और रिजर्वेशन का रोस्टर पालन किया जाएगा.

"पटना हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने कभी नहीं कहा है कि इस तरीके से नियमावली बनाकर प्रमोशन दें. फीडर का उल्लंघन करते हुए प्रमोशन दिया जा रहा है. बिहार रिजर्वेशन एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. प्रमोशन या अपॉइंटमेंट के दौरान अगर रिजर्वेशन एक्ट का पालन नहीं किया जाता है तो सजा का प्रावधान है."- दीनू कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता

'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पदावनति भी..': सरकार की ओर से कहा गया है कि अगर उच्चतम न्यायालय का कोई विपरीत आदेश आता है तो जिन लोगों को नए फार्मूले के तहत प्रमोशन दिया जाएगा. उन्हें पदावनति का सामना करना पड़ेगा, लेकिन इस अवधि के दौरान उन्हें जो अतिरिक्त पारिश्रमिक मिलेगा वह उनसे वसूल नहीं किया जाएगा.

'फैसला सरकार ने जनहित में किया'- JDU: संविधान के अनुच्छेद 16 4( A )अनुसार राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के पक्ष में पदोन्नति के मामले में आरक्षण के लिए कोई भी प्रावधान कर सकती है. यदि राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. पूर्व मंत्री और जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि पदोन्नति देने का फैसला सरकार ने जनहित में किया है.

"बहुत सोच समझकर फैसला लिया गया है. सरकार कर्मियों से अंडरटेकिंग भी ले रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार अपने तरीके से फैसला ले सकती है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू

17 से 18 हजार पद खाली: बता दें कि बिहार सरकार के वकील पीएस पटवालिया ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण नहीं होने के चलते बिहार सरकार के 17 से 18 हजार पद खाली पड़े हैं. अर्जी के अनुसार कुल 44 महकमों में 26 हजार पदों में से 21 हजार 275 पद रिक्त हैं, जिनको प्रमोशन में रिजर्वेशन की नीति के तहत भरना है. इसमें 17109 सामान्य कोटे के हैं. वहीं 3957 अनुसूचित जाति और 209 पद अनुसूचित जनजाति के लोगों से भरे जाएंगे.

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