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सात लाख आपराधिक मामलें लंबित, 67 हजार में किसी को दिलचस्पी नहीं, HC में 23 फरवरी को होगी सुनवाई

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 18, 2023, 4:58 PM IST

Patna High Court Etv Bharat
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लंबित पड़े मामलों को लेकर अक्सर ही बहस होती रही है. यह मामला पटना हाईकोर्ट में भी उठा है. 23 फरवरी 2024 को मामले में सुनवाई की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर.

पटना : पटना हाइकोर्ट में पिछले दो दशकों से राज्य के निचली अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मुकदमों के मामलों पर सुनवाई 23 फरवरी 2024 को की जाएगी. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ द्वारा कौशिक रंजन की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है.

लंबित मामले पर सर्वे का आदेश : पिछली सुनवाई मे कोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार को सर्वे करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी थी. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (बालसा) के सचिव को नेशनल जुडिशल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के उपलब्ध आंकड़े को मूल रिकॉर्ड से जांच करने का निर्देश दिया था.

67 हजार मामलों में किसी को दिलचस्पी नहीं : याचिकाकर्ता कौशिक रंजन की अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी संख्या में राज्य के विभिन्न अदालतों में आपराधिक मामलें लंबित पड़े है. उन्होंने बताया था कि लगभग 67 हजार मामले ऐसे हैं, जिनमें पार्टियां कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं. कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार व विभिन्न जिला विधिक सेवा प्राधिकार को ऐसे मामलों को चिन्हित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

सात लाख आपराधिक मामलें लंबित : अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि वकीलों की सहायता के अभाव में लगभग सात लाख आपराधिक मामलें लंबित हैं. कोर्ट को ये भी बताया गया कि बिहार फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स की ओर ये कोशिश की जा रही है कि ऐसे अंडरट्रायल कैदियों को कानूनी सहायता देने के लिए वकीलों को प्रशिक्षण दें. ऐसे कैदियों को कानूनी सहायता के लिए जरूरी जानकारी और प्रशिक्षण देने की कार्रवाई शीघ्र प्रारम्भ किये जाने की संभावना है.

'30-40 साल पुराने मामलों का कोई अर्थ नहीं' : पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने इस सम्बन्ध में बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को आंकड़े की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा कि इन मामलों में वकीलों की सहायता दिए जाने को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए. अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे मामले काफी पुराने हैं, जिनमें अधिकांश सन्दर्भहीन हो चुके हैं. 30-40 साल पुराने मामलों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है.

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