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Patna High Court : बिहार में वर्षों से लंबित मामले के PIL पर एक महीने बाद होगी सुनवाई

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Published : Apr 6, 2023, 4:34 PM IST

देशभर के साथ-साथ बिहार में भी वर्षों से कई मामले कोर्ट में लंबित पड़े हैं. इन मामलों के निपटारा के लिए पटना हाइकोर्ट में पीआईएल दायर किया गया था. जिसपर एक महीने बाद सुनवाई होगी. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court Etv Bharat
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पटना : पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) में पिछले दो दशकों से राज्य के विभिन्न निचली अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मुकदमों के मामले पर सुनवाई एक माह के बाद की जाएगी. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ कौशिक रंजन की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (बालसा) के सचिव को नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के उपलब्ध आंकड़े को मूल रिकॉर्ड से जांच करने का निर्देश दिया था.

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67 हजार मामलों में पार्टियां को कोई दिलचस्पी नहीं : याचिकाकर्ता कौशिक रंजन की अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी तादाद में आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 67 हजार मामले ऐसे हैं, जिनमें पार्टियां कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. इसपर कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार व विभिन्न जिला विधिक सेवा प्राधिकार को ऐसे मामलों को चिन्हित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

वकीलों के अभाव में 7 लाख मामले लंबित : इसके अलावा अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि वकीलों की सहायता के अभाव में लगभग सात लाख आपराधिक मामले लंबित हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस सम्बन्ध में बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को आंकड़े की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा था कि इन मामलों में वकीलों की सहायता दिए जाने को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए.

अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि बहुत सारे मामले काफी पुराने हैं, जिनमें अधिकांश सन्दर्भहीन हो चुके हैं. 30-40 साल पुराने मामलों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि ये आंकड़े नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिले हैं. इन्ही आंकड़ों को कोर्ट के सामने पेश किया गया.

कोर्ट को यह भी बताया गया था कि इतने पुराने लंबित मामले में आरोपी और परिवादी दोनों की जीवित रहने पर संदेह है. ऐसी स्थिति में या तो बेकार और कानूनी तौर पर औचित्य पड़े आपराधिक मामले को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए. इस मामले पर अगली सुनवाई एक महीने बाद की जाएगी.

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