ETV Bharat / state

Patna High Court: जिलों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर राज्य सरकार ने नहीं की ठोस कार्रवाई, कल फिर सुनवाई

author img

By

Published : Jan 30, 2023, 9:43 PM IST

Etv Bharat
Etv Bharat

बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं को लेकर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में जिलों में मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के अध्यक्षों की बहाली को लेकर हाईकोर्ट ने कारगर कदम उठाया है. लेकिन राज्य सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं की है- पढ़ें Patna High Court News -

पटना: बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामले पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार ने बताया कि पटना समेत अन्य जिलों में मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के अध्यक्षों की बहाली के लिए फाइल चयन समिति के पास जाएगी. याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया, उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कार्रवाई अब तक नहीं किया गया है.

ये भी पढ़ें- Patna High Court: असिस्टेंट प्रोफेसरों नियुक्ति मामले में प्रतिवादियों को नोटिस

पिछली सुनवाई में क्या हुआ? : कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या-क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था. साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं. लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी है. जबकि हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए.

राज्य में हेल्थ केयर एक्ट कानून: उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए. साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए. लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है. कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और इलाज के लिए कॉलेज है. लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य है, जहां मानसिक रोग के अध्ययन और इलाज के लिए कोई कॉलेज नहीं है. जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं.

जनसंख्या के मुताबिक मेंटल हेल्थ कॉलेज नहीं: पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है, क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था. पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं. उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 31 जनवरी 2023 को होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.