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अब शनिवार को स्कूलों में होगा 'नो बैग डे', CM नीतीश का बड़ा ऐलान

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Published : Nov 11, 2022, 7:35 PM IST

शिक्षा दिवस के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने बड़ा ऐलान किया. मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि अब स्कूलों में शनिवार को 'नो बैग डे के तौर पर मनाया जाएगा. ऐसे में बिहार के स्कूलों में अब हर शनिवार को बच्चों के खेलकूद और शारीरिक शिक्षा पर ध्यान दिया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर

सीएम नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा दिवस के मौके पर स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना की शुरुआत की. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि बिहार के सभी स्कूलों में हर शनिवार 'नो बैग डे' मनाया जाएगा (No Bag Day in schools on Saturday). उन्होंने कार्यक्रम में ‘बिहार इजी स्कूल ट्रैकिंग सिस्टम प्लस एप’ का विमोचन किया. इसके साथ ही यहां उन्होंने The Basic of Animal behavior पुस्तक का भी विमोचन किया.

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''बच्चों को स्कूल के प्रति आकर्षित करने की दिशा में यह एक बड़ी पहल है. एक से आठ क्लास तक के बच्चे अब पांच दिन पढाई करेंगे, वहीं छठे दिन शनिवार को वे खेलकूद, शारीरिक तौर पर उन्हें मजबूत करेगा. इससे बच्चों में अन्य प्रकार की खेल गतिविधि को बढ़ावा दिया जा सकेगा.'' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

बिहार के शिक्षकों को CM नीतीश की चेतावनी: मुख्यमंत्री ने शिक्षा दिवस के अवसर पर शिक्षकों को चेतावनी देते हुए कहा कि जो शिक्षक अगर स्कूल में नहीं पढ़ाते है तो उन्हें निकलवा दीजिए, छोड़िए नहीं. जो पढ़ाएंगे उन्हें और ज्यादा पैसा दीजिए. ताकि खूब बढ़िया से पढ़ाए. हमें वैसे शिक्षकों की कोई जरूरत नहीं है. इसके साथ ही सीएम ने कहा कि हमने कह दिया है कि और शिक्षकों की नियुक्ति की जाए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना के श्रीकृष्‍ण मेमोरियल हाल में आयोजित शिक्षा दिवस समारोह में पहुंचे थे.

''स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाएं, आपका वेतन हम बढ़ाएंगे. लेकिन वैसे शिक्षकों पर कार्रवाई कीजिए जो स्कूल नहीं जाते हैं. हम लोग चाहते हैं शिक्षा का बजट जो 21 प्रतिशत है उसे बढ़ाकर 25 फीसदी करें. शिक्षकों की भी लगातार बहाली कर रहे हैं और आगे भी करेंगे.'' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

'हम और शिक्षकों की नियुक्ति करेंगे': शिक्षा दिवस के मौके पर राजधानी के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि और शिक्षकों की बहाली होनी चाहिए. इसलिए हमने निर्देश दिया है कि जल्दी शिक्षकों को बहाल कीजिए. साथ ही मुख्यमंत्री ने अभिभावकों से कहा कि आप लोग अपने बच्चों को चाहे वो लड़का हो या लड़की खूब अच्छे से पढ़ाइये, चिंता मत कीजिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने वर्ष 2007 में स्व. मौलाना अबुल कलाम आजाद जी के जन्मदिन के अवसर पर शिक्षा दिवस मनाने की शुरूआत बिहार की. जब राज्य में हमलोगों ने इसकी शुरुआत की तो उसके बाद केंद्र सरकार से भी हमलोगों ने अनुरोध किया कि इसे शुरू किया जाए. उस समय के मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह ने इसे स्वीकार किया और वर्ष 2008 से पूरे देश में इनके जन्मदिन को शिक्षा दिवस के रुप में मनाया जाने लगा.

''आजादी के दौरान स्व. मौलाना अबुल कलाम आजाद जी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी. समाज में आपसी एकता को बनाए रखने में उनका योगदान था. वे हिंदुस्तान और पाकिस्तान बंटवारा के खिलाफ थे. उस समय जो माहौल पैदा हो रहा था उसमें वे हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम करते रहे. गांधी जी भी हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिये काम कर रहे थे लेकिन उनकी हत्या कर दी गई. देश की आजादी के बाद जब सरकार बनी तो मौलाना अबुल कलाम आजाद जी को देश का प्रथम शिक्षा मंत्री बनाया गया. शिक्षा के क्षेत्र में जितना काम हुआ है सब उन्हीं की देन है. देश को एकजुट करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है.'' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

नीतीश बोले- 'हमारा लक्ष्य सभी पढ़ें' : मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में शिक्षा के विकास के लिये कई कदम उठाये गये. शिक्षकों की बहाली की गयी. नये-नये संस्थानों की स्थापना की गयी. कॉलेज और यूनिवर्सिटी बनाये गये. मुझे प्रसन्नता हो रही है कि आज यहां इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लड़कियां मौजूद हैं. पोशाक योजना, साईकिल योजना की शुरुआत कर लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया. बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल जाने लगीं और आज लड़कों के बराबर लड़कियां मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हो रही हैं. सरकार में आने के बाद जब हमने अध्ययन कराया तो पता चला कि साढ़े 12 प्रतिशत बच्चे और बच्चियां स्कूल नहीं जाते हैं. मुस्लिम समुदाय और महादलित समुदाय के बच्चे इसमें सबसे ज्यादा थे, उसके बाद इनके लिए पढ़ने का इंतजाम हमलोगों ने कराया. अब 0.5 प्रतिशत से भी कम बच्चे-बच्चियां स्कूल से बाहर हैं लेकिन हमारा लक्ष्य है कि सभी पढ़ें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सर्वे से जानकारी मिली कि पति-पत्नी में अगर पत्नी मैट्रिक पास है तो देश का प्रजनन दर 2 और बिहार का प्रजनन दर भी 2 है, लेकिन पति-पत्नी में अगर पत्नी इंटर पास है तो देश का प्रजनन दर 1.7 और बिहार का 1.6 है. वर्ष 2011-12 में बिहार का प्रजनन दर 4.3 था जो घटकर आज 2.9 पर आ गया है. लड़कियां पढ़ेंगी तो राज्य का प्रजनन दर 2.9 से घटकर 2 पर आ जायेगा. लड़कियों को शिक्षित करने के लिये कई इंतजाम किये गये हैं. मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अन्तर्गत जन्म से स्नातक तक हर लड़की को पढ़ने के लिये 54 हजार 100 रुपये दिया जाता था लेकिन उसको बढ़ाकर 94 हजार 100 रूपये कर दिया गया है.

''अभी सबसे अधिक खर्च शिक्षा पर किया जा रहा है. बजट का 21 प्रतिशत तक पढ़ाई पर खर्च हो रहा है. हमलोग 25 प्रतिशत तक शिक्षा पर खर्च करेंगे. हमलोगों ने लड़कियों के पढ़ने के लिए पूरी व्यवस्था कर दी है. इंजीनियरिंग, मेडिकल के क्षेत्रों में लड़कियों के लिये एक तिहाई सीट आरक्षित कर दिया गया है. लड़कियां पढ़ेंगी तो प्रजनन दर कम होगा और अपने बच्चों को भी शिक्षित कर पाएंगी.'' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

CM नीतीश ने सुनाया रोचक किस्सा : कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि पहले लड़का-लड़की अलग-अलग पढ़ते थे. हम जब इंजीनियरिंग पढ़ते थे तो लड़की पढ़ती ही नहीं थी, उनकी संख्या कम थी. ऐसे में जब कोई लड़की क्लास में आ जाती थी तो सब खड़ा होकर देखने लगता था. उसी समय हम बोले कि लड़की को पढ़ना चाहिए.

''अब लड़की इंजीनियरिंग कॉलेज पढ़ रही है. हम लोग सब चीज में करवा रहे हैं. अगर लड़की और लड़का दोनों पढ़ेंगें तो कितना अच्छा रहेगा. जो बच्चा होगा तो कितना अच्छा होगा. मां ज्ञानी रहेगी तो बच्चे कितने ज्ञानी होंगे.'' - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

CM नीतीश ने दी छात्रों को दी नसीहत : इसी दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा मोबाइल में लगे रहने वाले युवाओं को संदेश भी दिया. उन्‍होंने कहा कि मोबाइल पर अच्‍छी चीजों के लिए समय देना ठीक है, लेकिन इसकी लत ठीक नहीं है. उन्होंने युवाओं को सलाह दिया है कि अपने आसपास के लोगों से मिलिए और उनसे बात करिए. फोन में ज्यादा वक्त बर्बाद मत करिए, यह ठीक नहीं है. साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में बहुत ही जल्दी शिक्षकों की बहाली होगी. उन्‍होंने नए स्‍कूल और शैक्षणिक संस्‍थान खोलने की बात भी कही.

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