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अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 'जल-जीवन-हरियाली' को धार देने में जुटी नीतीश सरकार

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Published : Jan 22, 2021, 7:27 AM IST

Updated : Aug 10, 2022, 1:04 PM IST

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ही जल-जीवन-हरियाली योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना के तहत 3 साल में 24 हजार 500 करोड़ रुपए खर्च करने की सरकार ने योजना बनाई थी. लेकिन पिछले 1 साल से कोरोना महामारी के कारण इस योजना पर ब्रेक लग गया. अब सीएम ने एक बार फिर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर सरकारी तंत्र को निर्देश दिए हैं.

जल जीवन हरियाली अभियान की जिम्मेवार
जल जीवन हरियाली अभियान

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ही जल-जीवन-हरियाली योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना के तहत 3 साल में 24 हजार 500 करोड़ रुपए खर्च करने की सरकार ने योजना बनाई थी. लेकिन पिछले 1 साल से कोरोना महामारी के कारण इस योजना पर ब्रेक लग गई है. राज्य में लागू लॉकडाउन के कारण सरकार राजस्व में भारी कमी भी आई. जिसके कारण कई योजनाओं को राजस्व कमी के वजह से स्थगित किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपने महत्वकांक्षी योजना जल-जीवन-हरियाली में तेजी लाने के लिए सरकारी तंत्र को निर्देश दिया है.

इस योजना को सफल बनाने के लिए 12 अन्य विभागों को जिम्मेवारी सौंपी गई है
इस योजना में राज्य सरकार के महत्वपूर्ण 12 विभाग शामिल हैं. वित्त, ग्रामीण विकास, राजस्व एवं भूमि सुधार, वन एवं पर्यावरण, जल संसाधन, लघु जल संसाधन, पीएचईडी, पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य, नगर विकास, शिक्षा और योजना एवं विकास विभाग शामिल है. इस योजना का नोडल विभाग ग्रामीण विकास विभाग को बनाया गया है. गौरतलब है कि बिहार विधान परिषद के 11 सदस्यों को इस योजना की कमेटी का सदस्य भी नियुक्त किया गया है. इन सभी विभागों के अध्यक्षों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया है. इस संबंध में सीएम ने कुछ दिन पूर्व एक उच्चस्तरीय बैठक भी की. बैठक में उन्होंने निर्देश दिया कि इन विभागों को जो जिम्मेवारी दी गई थी अब उस में तेजी लाये.

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ग्रामीण विकास विभाग
जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम का नोडल विभाग होने के नाते हैं ग्रामीण विकास विभाग की सबसे अधिक जिम्मेवारी है. अन्य विभागों को भी कई जानकारी उपलब्ध कराने में यह विभाग मदद कर रहा है. इस विभाग के तहत राज्य में 1 करोड़ 20 लाख पौधा रोपने का लक्ष्य दिया गया है. साथ ही हरित परत (जंगली इलाका) कैसे बढ़े इस पर भी विशेष फोकस है. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा राज्य के तलाब-पैन और पोखर के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है. राज्य के तकरीबन 90 हजार पोखर को विभाग द्वारा चिन्हित किया गया है. ग्रामीण इलाकों के सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण मुक्त करना भी विभाग की बड़ी जिम्मेवारी है.

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राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को राज्य के जल स्रोतों का एटलस बनाने की जिम्मेवारी दी गई है. एटलस में राज्य के सभी जल निकायों का असली चित्र होगा. साथ ही ऐसी व्यवस्था होगी कि तालाब या जल निकाय विभिन्न गांवों और पंचायतों की पहचान की जा सके. सरकार के इस नए एटलस में राज्य के प्राकृतिक प्रशासनिक भूमि उपयोग से संबंधित मानचित्र भी होंगे. साथ ही तथ्यों के साथ संक्षिप्त परिचयात्मक विश्लेषण भी होगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 250 पन्ने का एटलस में100 से अधिक रंगीन नक्शे होंगे. एटलस में गांव स्तर पर राज्य की 100 से अधिक नदियों तथा 40 हजार से अधिक तालाबों के मानचित्र को माध्यम से दिखाया जाएगा.

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पीएचइडी
पिछले कई वर्षों से राज्य के कई इलाकों में गर्मी के दिनों में में पेयजल संकट की समस्या उत्पन्न होने लगी है. जिसके कारण राज्य भर में खराब नलकूप का मरम्मत और नए नलकूप लगाने की जिम्मेवारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचइडी) को दिया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जलस्तर में गिरावट को लेकर कई बार अपनी चिंता भी जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने पीएचईडी विभाग को सख्त निर्देश दिया है, कि राज्य में कहीं भी नलकूप की समस्या उत्पन्न न हो इसका ध्यान रखा जाए. राज्य भर में 14 हजार नए नलकूप लगाए गए हैं और साथ ही तकरीबन 23 हजार पुराने खड़ा नलकूपों को मरम्मत किया जा रहा है.

वन एवं पर्यावरण विभाग
जल जीवन हरियाली के तहत इस विभाग की सबसे बड़ी जिम्मेवारी पर्यावरण के बदलते स्वरूप में नियंत्रण करना है. इसके लिए पर्यावरण विभाग द्वारा राज्य में तकरीबन 2.5 करोड़ पौधा लगाने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही पौधा के रखरखाव और सुरक्षित रखने को लेकर भी विभाग द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं. राज्य में 35% हरियाली क्षेत्र बनाने का लक्ष्य मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रखा है,वर्तमान में राज्य भर में 15% हरियाली परत क्षेत्र है.

नगर विकास विभाग
इस विभाग की जिम्मेदारी राज्य के सभी शहरी और नगर निकाय क्षेत्रों में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण को मुक्त कराना और शहरी क्षेत्रों में पौधारोपण करना है. हालांकि राज्य में शहरी क्षेत्र का क्षेत्रफल ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले मात्र 23% ही है, लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में सबसे बड़ी भागीदारी शहरी क्षेत्र के निवासियों के द्वारा ही किया जाता है. शहरी क्षेत्र में तेजी से निर्माण कार्य को देखते हुए सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि पुराने पेड़ों को डिसलोकेट ( दूसरी जगह लगाया जाए ) किया जाए.

शिक्षा विभाग
पर्यावरण से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातों को बच्चों के पाठ्यक्रम में प्रमुखता से जोड़ने और नए-नए चीजों से स्कूली छात्रों को अवगत कराने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग को दी गई है. हालांकि, वन एवं पर्यावरण से जुड़ा हुआ विषय शुरू से ही स्कूली पाठ्यक्रम में है. लेकिन नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग को इस विषय पर छात्र-छात्राओं को कैसे रुचि बड़े इस पर ध्यान देने का निर्देश दिया है.

जल संसाधन एवं लघु जल संसाधन विभाग
इन दोनों विभागों के जरिए राज्य भर में नहर निर्माण किया जाता रहा है. जल जीवन हरियाली को देखते हुए वैसे तमाम नाहर जो मृतप्राय हो गए हैं. उन्हें फिर से पुनर्जीवित करने का लक्ष्य दोनों विभागों को दिया गया है. गौरतलब है कि राज्य के कई इलाकों में मृत नहरों में अतिक्रमण कर ग्रामीण या तो घर बना लिए हैं या खेती कर रहे हैं. वैसे तमाम अतिक्रमण को मुक्त कराने का निर्देश बिहार सरकार ने दिया है.

Last Updated :Aug 10, 2022, 1:04 PM IST
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