पटना: बिहार सरकार पशुपालन की नीति बना रही है, जिससे ना केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि यह नीतियां बिहार कृषि रोड मैप में भी मदद करेगी. उक्त बातें पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार की प्रधान सचिव डॉ एन विजयलक्ष्मी ने कही.
350 पशु सखी को प्रशिक्षण दिया गया: दरअसल, पुनपुन प्रखंड के लखन पूर्वी पंचायत स्थित बलुआचक में पशु सखियों के प्रशिक्षण के उपरांत प्रमाण पत्र वितरण समारोह का उद्घाटन किया गया. जहां उद्घाटन करने पहुंची पशु एवं मत्स्य विभाग के प्रधान सचिव डॉक्टर एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि अब तक कुल 350 पशु सखियों को ए हेल्प का प्रशिक्षण दिया गया है. इस वित्तीय वर्ष में 500 पशु सखियों को प्रशिक्षित किया जाना है.
प्रशिक्षण का कुल लक्ष्य 2000: उन्होंने बताया कि बिहार में इस प्रशिक्षण का कुल लक्ष्य 2000 है, जिसे अगले वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा. मौके पर मौजूद नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड गुजरात से कार्यक्रम में भाग लेने आए डॉक्टर टी प्रकाश ने सभी प्रशिक्षक तथा उनके परिवारों को धन्यवाद दिया. उनके सहमति से प्रतिभागी प्रशिक्षण प्राप्त कर पाने में सफल हो सके हैं. वहीं, पशु एवं मतस्य संसाधन विभाग के निदेशक नवदीप शुक्ला ने कहा कि नेशनल डेयरी विकास बोर्ड की पाठ्यक्रम से ही ए हेल्प का प्रशिक्षण दिया गया है.
स्कोप ट्रेनिंग एंड कंसलटिंग की ओर से आयोजन: डॉ एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि पशु सखियां ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं हैं जो अपने स्थानीय समुदाय के अंदर पशुधन को पशु चिकित्सा और दवा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण से गुजरती हैं. उन्हें उनकी मौलिक साक्षरता और संचार क्षमताओं के आधार पर चुना जाता है. बता दें कि कार्यक्रम का आयोजन स्कोप ट्रेनिंग एंड कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड की ओर से किया गया था.
"लोगों की इच्छाएं होती है कि रोजगार के लिए पशुपालन की शुरुआत करें. लेकिन उन्हें तकनीक जानकारी नहीं मिल पाती है. ऐसे में पशुपालन विभाग पोल्ट्री, बकरी पालन, मत्स्य पालन, गांव पालन, आदि से संबंधित सरकार नीति बना रही है. इसे रोजगार के अवसरों का सृजन होगा." - डॉ एन विजयलक्ष्मी, प्रधान सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार
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