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बिहार में NDA के दो दलित नेता आमने-सामने, स्थापना दिवस पर भी नहीं मिटी दूरियां, चाचा-भतीजे की जंग से कैसे निपटेगी BJP?

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 29, 2023, 10:06 AM IST

Updated : Nov 30, 2023, 6:30 AM IST

एलजेपी स्थापना दिवस पर चाचा भतीजे में जंग
एलजेपी स्थापना दिवस पर चाचा भतीजे में जंग

LJP Foundation Day: एलजेपी स्थापना दिवस पर चाचा-भतीजे में जंग देखने को मिली. पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान ने अलग-अलग जगहों पर स्थापना दिवस समारोह मनाया. इस दौरान दोनों गुटों की ओर से शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला. भतीजे ने वैशाली से सांसद वीणा देवी को साथ लाकर चाचा को जोरदार झटका भी दिया. वहीं बीजेपी पशोपेश में है कि आखिर किसके साथ आगे बढ़ें. पढ़े स्पेशल रिपोर्ट..

देखें रिपोर्ट

पटना: एनडीए में होने के बावजूद चिराग पासवान और पशुपति पारस में लड़ाई थमती नहीं दिख रही है. जिस वजह से बीजेपी की भी चिंता बढ़ी हुई है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बिहार में दलित वोटों के विखराव को रोकना चाहती है. ऐसे में तमाम बड़े दलित नेताओं को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल कराया जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, पशुपति पारस और चिराग पासवान एनडीए का हिस्सा हैं. एलजेपी स्थापना दिवस पर चाचा-भतीजे ने शक्ति प्रदर्शन तो किया ही, साथ ही एक-दूसरे पर हमले भी खूब किए. पारस ने अपने लोकसभा क्षेत्र हाजीपुर में दमखम दिखाया तो चिराग ने पटना में अपनी ताकत दिखाई.

भतीजे ने दिया चाचा को बड़ा झटका: स्थापना दिवस के मौके पर चिराग पासवान ने चाचा पशुपति पारस को बड़ा झटका दिया है. पारस खेमे के एक सांसद को उन्होंने अपने पक्ष में कर लिया है. वैशाली से सांसद वीणा देवी ने चिराग पासवान का मंच साझा कर सबको हैरत में डाल दिया. पशुपति पारस के साथ पांच सांसद थे लेकिन वीणा देवी के अलग होने के बाद से उनकी पार्टी में चार सांसद रह गए है, जबकि चिराग पासवान की पार्टी में दो सांसद हो गए हैं.

एलजेपी का स्थापना दिवस
एलजेपी स्थापना दिवस पर चिराग पासवान

चाचा पर भारी पड़े भतीजे: दोनों नेता एक-दूसरे से अधिक सीट की उम्मीद लगाए बैठे हैं. चाचा-भतीजे के बीच आरपार की लड़ाई ने बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया है. केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस और सांसद चिराग पासवान के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. सटिंग-गेटिंग के फार्मूले पर पशुपति पारस पांच लोकसभा सीट का दावा कर रहे थे लेकिन अब एक सांसद की संख्या कम होने से पशुपति पारस के दावों को झटका लगा है.

चिराग को लेकर पारस बेहद नाराज: दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक और पारिवारिक दूरी काफी बढ़ चुकी है और सुलह की गुंजाइश नहीं के बराबर रह गई है. केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस खुद को रामविलास पासवान का उत्तराधिकारी मानते हैं. उनका दावा है कि असली लोक जनशक्ति पार्टी उनकी है. पारस ने कहा कि चिराग पासवान एनडीए का हिस्सा नहीं हैं. वह कब कहां जाएंगे, इसका कोई ठिकाना नहीं है. पशुपति पारस ने भतीजे के साथ राजनीतिक तौर पर मिलन को एक सिरे से खारिज किया है.

"हाजीपुर मेरी सीट है और हर हाल में मैं यहीं से लोकसभा का चुनाव लड़ूंगा. कौन क्या बोलता है, उससे मुझे कोई मतलब नहीं है. आदरणीय रामविलास पासवान ने मुझे इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए आशीर्वाद दिया था. मेरी पार्टी एकजुट है और एनडीए का हिस्सा है"- पशुपति कुमार पारस, अध्यक्ष, आरएलजेपी

एलजेपी का स्थापना दिवस
एलजेपी स्थापना दिवस पर पशुपति पारस

चाचा के लिए भतीजे के मन में भी तल्खी: चिराग पासवान भी चाचा पारस को लेकर नाराज हैं. चिराग ने कहा कि नीतीश कुमार के इशारे पर चाचा ने पार्टी और परिवार को तोड़ा है. उनके पिता रामविलास पासवान के सपने को तार-तार करने का काम पशुपति पारस ने ही किया है. लिहाजा अब एक होने की कोई संभावना नहीं है.

"किन लोगों ने मेरी पार्टी तोड़ी है, सबको पता है. अब फिर से ये बताने की जरूरत नहीं है. जहां तक किसी सांसद की वापसी का सवाल है तो पार्टी का दरवाजा सबके लिए खुला है. हां धोखा देने वालों के साथ अब दोबारा से कोई समझौता नहीं होगा"- चिराग पासवान, अध्यक्ष, एलजेपीआर

एलजेपी को लेकर बीजेपी पशोपेश में: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में बिहार के अंदर अब तक सीट शेयरिंग का मामला नहीं सुलझा है. बीजेपी का मानना है कि पशुपति पारस और चिराग के बीच विवाद आंतरिक मामला है. पार्टी नेता और अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रभारी अजीत चौधरी ने कहा कि एनडीए पूरी तरह इंटैक्ट है. चिराग और पशुपति पारस एनडीए का हिस्सा हैं. ऐसे में मैं उम्मीद करता हूं कि पारिवारिक विवाद जल्द खत्म हो जाएगा.

क्या कहते हैं सियासी जानकार?: राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि लोकसभा चुनाव में अब काफी कम समय रह गया है. एनडीए के समक्ष दोनों के विवाद को सुलझाने की चुनौती होगी. जब तक विवाद खत्म नहीं होगा, तब तक सीट शेयरिंग का मामला भी नहीं सुलझेगा. अगर यह विवाद एनडीए सुलझा लेता है तो दलित वोट मजबूती से एनडीए के पक्ष में जाता दिखेगा.

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Last Updated :Nov 30, 2023, 6:30 AM IST
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