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जिसने देखा उसका कलेजा कांप गया.. 5 साल के बेटे के शव को कंधे पर रखकर चीख रही थी मां.. बिच्छू के डंक ने ली मासूम की जान

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 11, 2023, 5:52 PM IST

बिहार के नालंदा में बिच्छू के डंक ने एक मासूम की जान (Child died due to scorpion sting) ले ली. इस घटना ने पीड़ित परिवार पर मानो वज्रपात कर दिया हो. अपने मृत बच्चे को गोद में लेकर चीत्कार करती मां और अस्पताल परिसर में छाती पीटती दादी को देख लोगों का कलेजा मुंह में आ जा रहा था. पढ़ें पूरी खबर..

बिच्छू के डंक से बच्चे की मौत
बिच्छू के डंक से बच्चे की मौत

नालंदा: एक ओर देश के वैज्ञानिक चंद्रयान जैसे अभियान से विज्ञान के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर बिहार जैसे राज्य में आज भी ऐसे लोग हैं जो ओझा गुनी के चक्कर में जान गंवा रहे हैं. ऐसा ही वाकया नालंदा जिले के रहुई प्रखंड के चंदुआरा गांव में देखने को मिला. यहां एक बच्चे की बिच्छू के काटने से मौत हो गई. परिजन उसे समय पर इलाज के लिए नहीं लेजाकर झाड़फूंक के चक्कर में फंस गए.

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झाड़-फूंक के चक्कर में गई बच्चे की जान : मृत बच्चे की पहचान चंदुआरा गांव के कारू मिस्त्री के 5 वर्षीय बेटे सुमित कुमार के रूप में की गई. परिजनों के अनुसार खेलने के दौरान बच्चे को बिच्छू ने काट लिया था. इसके बाद बच्चा बेचैन होने लगा. तब उसे गांव के ओझा के पास ले जाकर झाड़ फूंक कराई गई.मृत बच्चे की दादी ने बताया कि रात के तीन बजे ओझा ने बताया कि बच्चा ठीक हो गया है. इसके बाद बच्चे को घर ले आया गया.

"घर आने के बाद बच्चे की तबीयत फिर से बिगड़ने लगी. तब उसे पास के बाजार में ले जाकर दवा दी गई, तो वह फिर से थोड़ी देर के लिए ठीक हो गया था. सुबह उसे बुखार हो गया. तब बुखार का इलाज कराने के लिए उसे रहुई स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया. जहां से चिकित्सक ने पोते को बिहारशरीफ सदर अस्पताल रेफर कर दिया. यहां लाने पर डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया."- रिंकू देवी, मृतक की दादी

मां की चीत्कार से लोगों की आंखें हुई नम : झाड़-फूंक के चक्कर में फंसकर बच्चे का अविलंब अस्पताल में इलाज नहीं करवाने का अब परिवार को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. अस्पताल परिसर में बच्चे की मांग और दादी की चित्कार से हर किसी की आंख नम हो जा रही थी. अपने कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाए मां रो-रोकर बेहोशी की हालत में चली जा रही थी. वहीं अस्पताल के कर्मियों को भी परिजनों को समझाते नहीं बन रहा था.

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