मुंगेर में कंटेनमेंट जोन में बैरिकेंडिंग के नाम पर खानापूर्ति, इलाके में खुलेआम आ-जा रहे लोग

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Published : Jan 8, 2022, 5:14 PM IST

मुंगेर में कंटेनमेंट जोन में बैरिकेंडिंग के नाम पर खानापूर्ति

बिहार के मुंगेर में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. जिले के गढ़ी ब्राह्मण टोला में 13 मरीज संक्रमित मिले हैं. इलाके को कंटेंनमेंट जोन घोषित किया गया (Containment Zone in Munger) है. 4 दिन बाद प्रशासन ने बैरिकेंडिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की है. पढ़ें पूरी खबर..

मुंगेर: बिहार में कोरोना (Corona In Bihar) का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इसको रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास में लगा है. लेकिन मुंगेर जिले के कंटेनमेंट जोन में भारी लापरवाही बरती जा रही है. ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. दरअसल नौवागढ़ी दक्षिणी पंचायत के गढ़ी ब्राह्मण टोला में 1 दर्जन से ज्यादा मरीज मिलने के बाद इसे कंटेनमेंट जोन ( Brahman Tola Containment Zone In Munger ) घोषित किया गया है. लेकिन वहां बांस बल्ला चार दिनों बाद लगाया गया.


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सदर प्रखंड नौवागढ़ी दक्षिणी पंचायत के गढ़ी ब्राह्मण टोला में अकेले 13 संक्रमित मरीज मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग ने उस गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है. लेकिन बांस बल्ला संक्रमित मरीज मिलने के 4 दिन बाद लगाया गया. प्रतिबंधित क्षेत्र में गांव के प्रवेश द्वार पर सड़क के ऊपर बांस लगाया है. गांव के प्रवेश द्वार को बंद नहीं किया गया.

प्रशासन की लापरवाही की वजह से कोई भी आदमी गांव में आराम से आवाजाही कर रहा है. प्रवेश मार्ग को बंद ना कर प्रशासन ने केवल 6 घरों के बाहर बांस- बल्ला लगाकर कंटेनमेंट जोन बना दिया. संक्रमित मरीज के परिजन भी घर के बाहर दरवाजे इधर- उधर घूमते नजर आते हैं. कंटेनमेंट जोन में ग्रामीणों की आवाजाही बेरोकटोक जारी है. सब्जी वाला समेत फेरी वाला तक बड़े आराम से यहां घूम-घूमकर सामान बेच रहा है.

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वहीं, कंटेनमेंट जोन के मुख्य द्वार को ना घेरकर केवल संक्रमित मरीज के घर को ही बांस से घेरने के सवाल पर सिविल सर्जन डॉक्टर हरेंद्र कुमार आलोक ने कहा कि, ये स्वास्थ्य विभाग का मामला नहीं है. बीडीओ से पूछिए, उन्हें निर्देश दिया गया था.अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो यह उनकी जिम्मेवारी है.

वहीं, स्थानीय लोगों ने बताया कि 2 जनवरी को यहां कोरोना के मरीज मिले थे और 6 जनवरी को वहां बांस बल्ला लगाया गया है. इस इलाके में लोगों की आवाजाही निरंतर बनी हुई है. कोई रोकने टोकने वाला नहीं है. संक्रमित मरीज के परिजन घर के दरवाजे पर खड़े नजर आए. उन्होंने कहा कि हम लोगों को बाहर नहीं निकलने के लिए कहा गया है. लेकिन हम लोग जरूरत के सामान कैसे खरीदेंगे इस पर सब चुप हैं. हम लोग क्या खाएंगे क्या पीएंगे? इसकी चिंता किसी को नहीं है.

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कंटेनमेंट जोन के बाहर दंडाधिकारी के साथ पुलिस बल की भी प्रतिनियुक्ति नहीं की गयी है. बता दें कि गढ़ी ब्राह्मण टोला में सबसे पहले 31 जनवरी को 2 मरीज मिले थे. दो जनवरी को 4 मरीज, 3 जनवरी को एक साथ 7 मरीज मिले. स्वास्थ्य विभाग अगर 2 मरीज मिलते ही इलाके को कंटेनमेंट जोन बनाकर प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर आवाजाही पर रोक लगा देता तो शायद मामला नहीं बढ़ता. 13 संक्रमित मरीज अगर मिले हैं तो इसमें कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही है.

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