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88 साल बाद बिहार के इस रूट पर दौड़ी ट्रेन, 1934 में भूकंप के बाद टूटा था रेल नेटवर्क

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Published : May 7, 2022, 5:21 PM IST

झंझारपुर से सहरसा के बीच ट्रेन सेवा
झंझारपुर से सहरसा के बीच ट्रेन सेवा

रेलवे पुल से ट्रेनों का परिचालन शुरू होने से अब लोग सीधी यात्रा कर सकेंगे. झंझारपुर (मधुबनी) से सहरसा (Jhanjharpur saharsa Train) के बीच सीधी ट्रेन सेवा होने से यात्रियों को काफी सुविधा होगी. इस पुल के शुरू होने से झंझारपुर से सहरसा की दूरी तकरीबन 100 से 125 किलोमीटर तक कम हो गई है. पढ़ें पूरी खबर

मधुबनी: मिथिलांचल के लोगों के लिए भारतीय रेलवे ने खुशी की सौगात दी है. आज से झंझारपुर से सहरसा के लिए रेल सेवा (Jhanjharpur saharsa Train) शुरू हो गई है. रेल मंत्री अश्‍विनी वैष्‍णव (Rail Minister Ashwini Vaishnaw ) ने नई दिल्‍ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोसी रेलवे पुल (kosi railway bridge ) से गुजरने वाली ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. लगभग 88 साल बाद रेल के नक्शे पर मिथिलांचल दिखाई देगा. रेल सेवा शुरू होने से आस पास के इलाके में विकास के लिए नऐ रास्ते खुल जाएंगे. इस बीच बसे लगभग ढाई करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा.

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बता दें कि लहेरियासराय और सहरसा के बीच चलने वाली ट्रेन झंझारपुर- निर्मली- आसनपुर कुपहा-सरायगढ़ से सुपौल के रास्त होते हुए 3 जोड़ी डेमू स्पेशल ट्रेनों का परिचालन 8 तारीख से नियमित रूप से किया जाएगा. जिसके लिए सभी ट्रेनों की समय सारणी व स्टॉपेज भी जारी किए गए हैं. फिलहाल इस रेलखंड पर प्रतिदिन 3 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन होगा. ये ट्रेनें लहेरियासराय से दरभंगा, सकरी, झंझारपुर, तमुरिया, निर्मली, सरायगढ़ और सुपौल होते हुए सहरसा तक जाएगी.

झंझारपुर से सहरसा के बीच ट्रेन सेवा
झंझारपुर से सहरसा के बीच ट्रेन सेवा

प्रतिदिन 3 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन : तीनो जोड़ी ट्रेन का परिचालन शुरू होने के बाद कई स्टेशनों पर स्टॉपेज रखा गया है. सभी स्पेशल ट्रेन लहेरियासराय और सहरसा ट्रेन के बीच में दरभंगा, ककरघाटी, बिजुली हाल्ट, तारसराय, शहीद सुरज नारायण सिंह, सकरी, मानीगाछी,मंडन मिश्रा हाल्ट, लोहना रोड, झंझारपुर, मिथिला दाप, तमुरिया, नेमुआ, घोघरडीहा, परसा, चिकना, नर्मली, सरायगढ़, आसनपुर कुपहा हाल्ट, चांद पिपर हाल्ट, बैजनाथपुर अनदौली, कदमपुरा, थरबिटिया, विनायकमा हाल्ट, सुपौल, गढ़ बरूआरी, नन्दलाली हाल्ट, पंचगछिया, सहरसा स्टेशन पर रुकेगी.

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तकरीबन 1584 करोड़ की लागत से बने इस रेलखंड से इलाके के लोगों का सामाजिक व सांस्कृतिक मिलन भी फिर से शुरू होगा. नैहर और ससुराल की दूरियां घट जायेगी. जिससे आपसी रिश्ते भी मजबूत होंगे और क्षेत्र के लोगों के आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा. बता दें कि पूर्व में सुपौल से दरभंगा जाने के लिये करीब 275 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. नयी रेलखंड के निर्माण से यह दूरी तकरीबन आधी हो जायेगी. जिससे समय के साथ ही लोगों के पैसे भी बचेंगे.

2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था शिलान्यास : इस रेलखंड की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 06 जून 2003 को निर्मली में आयोजित एक समारोह के दौरान रखी गयी थी. जिसके तहत 491 करोड़ की लागत से कोसी नदी पर महासेतु का निर्माण किया गया. 18 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुल और सरायगढ़-आसनपुर कुपहा नयी रेलखंड का लोकार्पण किया था. तब से सहरसा से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन सेवा प्रारंभ हो गयी है. लेकिन आसनपुर कुपहा से निर्मली और निर्मली से झंझारपुर के बीच अमान परिवर्तन का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था. जिसके कारण यह परियोजना लंबित थी.

1934 में ध्वस्त हुआ था यह रेलखंड : दरअसल, करीब 88 वर्ष पूर्व1934 तक सरायगढ़-निर्मली-झंझारपुर के बीच छोटी लाइन की ट्रेन सेवा उपलब्ध थी. जिसका शुभारंभ वर्ष 1887 में हुआ था. लेकिन 1934 में आए भीषण भूकंप एवं कोसी बाढ़ के कारण यह रेलखंड पूरी तरह ध्वस्त हो गया. जिसके कारण मिथिला का यह महत्वपूर्ण हिस्सा दो भागों में विभक्त हो गया. लंबे अरसे बाद फिर मिथिलांचल के एकीकरण की खबर से लोगों में अपार खुशी व उल्लास का माहौल व्याप्त है.

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