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लापरवाही: कैमूर में हारी हुई उम्मीदवार को दिया जीत का सर्टिफिकेट, DM ने कहा- होगी कार्रवाई

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Published : Nov 7, 2019, 11:29 PM IST

गुलाबी देवी ने बताया कि उन्हें एक साल पहले पता चला कि वो जीती हुई उम्मीदवार हैं और सारे सरकारी रिकॉर्ड में उन्हीं का नाम हैं. जिसके बाद उन्होंने तत्कालीन डीएम और चुनाव आयोग से शिकायत भी की.

डिजाइन फोटो

कैमूर: जिले के चांद प्रखंड के कुड़डी पंचायत के बरांव गांव वार्ड 11 में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां 2016 के पंचायत चुनाव में गुलाबी देवी की जगह विजेता गुड़िया देवी को बना दिया गया. इसका खुलासा तब हुआ जब हारी हुई प्रत्याशी के पास चुनाव आयोग की ओर से कागजात पहुंचने लगे और उन्हें चुनाव का विजेता बताया गया.

रिकॉर्ड्स में दर्ज नाम गुलाबी देवी
गुलाबी देवी ने बताया कि उन्हें सरकारी काम से पटना से फोन आया कि वह जीती हुई प्रत्याशी हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें जानकारी मिली कि सभी सरकारी कागजात और यहां तक की पंचायत चुनाव के सभी रिकॉर्ड में उन्हीं के नाम और मोबाइल नंबर हैं. उन्होंने कहा कि यही नहीं, स्टेट इलेक्शन कमीशन के सारे रिकॉर्ड्स में विजेता का नाम, पता, मोबाइल नंबर उनका है. जबकि फोटो गुड़िया देवी का लगा है.

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गुड़िया देवी का प्रमाण पत्र

'तत्कालीन डीएम से की थी शिकायत'
ऐसे में पंचायत चुनाव में जिला प्रशासन की ओर से लापरवाही साफ झलक रही हैं. गुलाबी देवी ने बताया कि उन्हें 1 साल पहले पता चला कि वो जीती हुई उम्मीदवार हैं और सारे सरकारी रिकॉर्ड में उन्हीं का नाम हैं. जिसके बाद उन्होंने तत्कालीन डीएम और चुनाव आयोग से शिकायत भी की. लेकिन, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

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प्रमाण पत्र दिखाती गुड़िया देवी

गुड़िया देवी ने भी किया जीत का दावा
वहीं, दूसरी तरफ वर्तमान में कार्यरत वार्ड सदस्य गुड़िया देवी का दावा है कि उन्हें प्रमाणपत्र उन्हीं के नाम से जीतने के बाद दिया गया. उन्होंने कहा कि तब के तत्कालीन निर्वाचन पदाधिकारी कृष्णा कुमार ने उन्हें सर्टिफिकेट दिया था. अगर चुनाव हार जाती तो प्रमाण पत्र कैसे मिलता. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि चुनाव वह जीती थी, जिसके बाद उन्हें प्रमाणपत्र दिया गया है.

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पंचायत मुखिया प्रतिनिधि राकेश बहादुर सिंह

चुनावी प्रक्रिया में हुई गलती
एक तरफ स्टेट एलेक्शन कमीशन का रिकॉर्ड यह बता रहा है कि विजेता गुलाबी देवी है. वहीं, दूसरी तरफ गुड़िया देवी को जीत का प्रमाण पत्र दिया गया. ऐसे में चुनावी प्रक्रिया में कहां गड़बड़ी हुई, इसका अंदाजा किसी को नहीं हैं.

'1 साल से लगा रही गुहार'
स्टेट इलेक्शन कमीशन के रिकॉर्ड के अनुसार जीती हुई प्रत्याशी गुलाबी देवी पिछले 1 सालों से जिला निर्वाचन पदाधिकारी और चुनाव आयोग में गुहार लगा चुकी हैं. लेकिन, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यह कहीं न कहीं लापरवाही वाली बात है.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

'प्रशासन स्तर पर हुई चूक'
इस पूरे मामले मे पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि राकेश बहादुर सिंह उर्फ बब्लू जी ने बताया कि उन्हें पता था कि विजेता गुड़िया देवी है. उन्होंने बताया कि प्रमाण पत्र गुड़िया देवी को मिलने के कारण लगा कि विजेता वही हैं. उन्होंने बताया कि मामला उजागर हुआ और स्टेट इलेक्शन कमीशन के रिपोर्ट को देखा तो रिपोर्ट के अनुसार विजेता गुलाबी देवी निकलीं. पंचायत के मुखिया ने बताया कि ऐसे में प्रशासन स्तर में बड़ी चूक हुई है.

'अनुसंधान के बाद होगी कार्रवाई'
वहीं, डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है. उन्होंने बताया कि उन्हें पहले इस मामले की कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन, इसकी सूचना मिलते ही जांच के लिए टीम बनाई गई है. रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी. डीएम ने कहा कि 2 दिनों के अंदर रिपोर्ट आ जाएगी. जिसके बाद दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Intro:कैमूर।

जिले के चांद प्रखंड के कुड़डी पंचायत के बरांव गांव वार्ड 11 में एक अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया हैं। जहां पंचायत चुनाव 2016 में राम के बदले श्याम को वार्ड सदस्य का सर्टिफिकेट तत्कालीन निर्वाचन पदाधिकारी कृष्णा कुमार के द्वारा दे दिया जाता हैं। मामला प्रकाश में तब आया जब हारी हुई प्रत्याशी के पास सरकारी काम के पत्र आने लगे और उन्हें विजेता बताया गया।


Body:आपकों बतादें कि 2016 में हुई पंचायत चुनाव में चांद प्रखंड के कुड़डी पंचायत के बरांव गांव वार्ड 11 से गुड़िया देवी को विजेता घोषित किया गया। इस पंचायत चुनाव में इस वार्ड से कुल 3 महिला चुनावी मैदान में आमने सामने थी। चुनाव के बाद काउंटिंग जिला मुख्यालय स्तिथ भभुआ के पटेल में गुड़िया देवी को विजेता घोषित किया गया और उन्हें विजेता का प्रमाणपत्र उनके नाम से दिया गया। लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक विजेता गुलाबी देवी हैं। गुलाबी देवी को 161, गुड़िया देवी को 139 और कलावती देवी को 61 मत प्राप्त हुए थे। लेकिन गुलाबी देवी को घोषित न कर गुड़िया देवी को कर दिया गया।


गुलाबी देवी ने बताया कि मामला प्रकाश में तब आया जब उन्हें सरकारी काम से पटना से फ़ोन आया उन्होंने बताया कि वो हारी हुई प्रत्याशी हैं। बावजूद सभी सरकारी कागजात और यहां तक पंचायत चुनाव के सभी रिकॉर्ड में उन्ही का नाम और मोबाइल नंबर हैं। यही नहीं स्टेट इलेक्शन कमीशन के सारे रिकॉर्ड में विजेता का नाम पता मोबाइल नंबर गुलाबी देवी का हैं जबकि फ़ोटो गुड़िया देवी हैं। ऐसे में पंचायत चुनाव में जिला प्रशासन द्वारा लापरवाही साफ झलक रही हैं। गुलाबी देवी ने बताया कि उन्हें 1 साल पहले पता चला कि वो जीती हुई उम्मीदवार हैं और सारे सरकारी रिकॉर्ड में उन्ही का नाम हैं जिसके बाद उन्होंने तात्कालिक डीएम और चुनाव आयोग से शिकायत भी की लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नही हुई हैं।


दूसरी तरफ वर्तमान में कार्यरत वार्ड सदस्य गुड़िया देवी का दावा हैं कि उन्हें प्रमाणपत्र उन्हीं के नाम से जितने के बाद तत्कालीन निर्वाचन पदाधिकारी कृष्णा कुमार के द्वारा दिया गया था। अगर वो चुनाव हार जाती तो उन्हें प्रमाण पत्र कैसे मिलता हैं।

एक तरफ स्टेट एलेक्शन कमीशन के रिकॉर्ड यह बता रहे हैं कि विजेता गुलाबी देवी हैं तो दूसरी तरफ गुड़िया देवी का जीत का प्रमाण पत्र दिया गया हैं ऐसे में चुनावी प्रक्रिया में कहा गड़बड़ हुई हैं इसका अंदाजा किसी को नही हैं।

स्टेट इलेक्शन कमीशन के रिकॉर्ड के अनुसार जीती हुई प्रत्याशी गुलाबी देवी पिछले 1 सालों से जिला निर्वाचन पदाधिकारी और चुनाव आयोग में गुहार लगा चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नही हुई हैं जो कही न कही चुनाव के पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।

पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि राकेश बहादुर सिंह उर्फ बब्लू जी ने बताया कि उन्हें पता था कि विजेता गुड़िया देवी हैं क्योंकि प्रमाणपत्र उन्ही को दिया गया था और किसी भी सरकारी कार्य या मीटिंग में गुड़िया देवी ही हिस्सा लेती हैं। लेकिन जब मामला उजागर हुआ और उन्होंने स्टेट इलेक्शन कमीशन के रिपोर्ट को देखा तो रिपोर्ट के अनुसार विजेता गुलाबी देवी हैं। ऐसे में जो भी चूक हुई हैं वो प्रशासन के स्तर से हुई हैं और कार्रवाई जरूर होनी चाहिए। फिलहाल अभी वर्तमान में गुड़िया देवी वार्ड सदस्य के रूप में कार्यरत हैं।


Conclusion:
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