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'जिस कलम से 10 लाख नौकरी देनी थी, उसकी स्याही खत्म हो गई या पेन टूट गई'

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Published : Dec 9, 2022, 5:34 PM IST

जनसुराज संयोजक प्रशांत किशोर (Jansuraj coordinator Prashant Kishore ) ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आड़े हाथो लिया है. उन्होंने कहा कि जिस कलम से पहली कैबिनेट में 10 लाख नौकरी देने को लेकर दस्तखत करने वाले थे, वह कलम टूट गई या उसकी स्याही खत्म हो गई. पढ़ें पूरी खबर..
प्रशांत किशोर का तेजस्वी यादव पर हमला
प्रशांत किशोर का तेजस्वी यादव पर हमला

पूर्वी चंपारणः बिहार के पूर्वी चंपारण में जनसुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर हमला (Prashant Kishore attack on Tejashwi Yadav ) किया है. उन्होंने कहा कि जिस कलम से पहली कैबिनेट में 10 लाख नौकरी देने की दस्तखत करने वाले थे, वह कलम टूट गई या स्याही खत्म हो गई. जन सुराज पदयात्रा के 69वें दिन पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा.

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प्रशांत किशोर का तेजस्वी यादव पर हमला

'मैंने मदद नहीं की होती तो 2015 में भी चुनाव नहीं जीत पाते': प्रशांत किशोर ने कहा कि लालू यादव के बिना तेजस्वी यादव कुछ भी नहीं हैं तेजस्वी यादव को राजनीति की कितनी समझ है? 2015 में विधायक बने. इससे पहले इनको कौन जानता था? बिहार की जनता ने इनको नहीं चुना है. 2015 में मैंने इनकी मदद नहीं की होती तो क्या महागठबंधन को जीत हासिल होती?

क्या 10 लाख नौकरी देने वाली कलम टूट गई? तेजस्वी यादव पर हमला जारी रखते हुए पीके ने कहा कि 10 लाख नौकरी का जो वादा किया था उसका क्या हुआ? पत्रकार भी कभी उनसे सवाल पूछने की हिम्मत नहीं करते. उन्होंने यह भी कहा था कि पहली कैबिनेट में जिस कलम से साइन करेंगे, उससे दस लाख लोगों को नौकरी मिल जाएगी. पत्रकारों ने भी RJD के नेताओं से कभी नहीं पूछा कि कलम टूट गई है या स्याही सुख गई है? कैबिनेट मीटिंग भी इसपर नहीं हो रही है.

तीन में से दो उपचुनाव हार गया महागठबंधनः प्रशांत किशोर ने सीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस चाचा-भतीजा के बारे में आप बात कर रहे हैं, वो जनता के साथ सिर्फ धोखा कर रहे हैं. क्या हैसियत है इनकी सरकार की. जब से ये चाचा-भतीजा सत्ता में आए हैं, तब से तीन उपचुनाव हुए हैं. इसमें दो में हार का सामना करना पड़ा है. एक चुनाव जीते, क्योंकि वो बाहुबली की सीट थी. उपचुनाव तो इनसे जीता नहीं जाता, ये मुझे चुनाव लड़ना क्या सिखाएंगे. नीतीश कुमार आखिरी बार प्रेस वार्ता कब किए हैं. यह किसी को याद भी नहीं है. नीतीश कुमार से भी कोई पत्रकार सवाल नहीं पूछता.

"जिस चाचा-भतीजा के बारे में आप बात कर रहे हैं, वो जनता के साथ सिर्फ धोखा कर रहे हैं. क्या हैसियत है इनकी सरकार की. जब से ये चाचा-भतीजा सत्ता में आए हैं, तब से तीन उपचुनाव हुए हैं. इसमें दो में हार का सामना करना पड़ा है. एक चुनाव जीते, क्योंकि वो बाहुबली की सीट थी. तेजस्वी ने जिस कलम से कैबिनेट की पहली में दस्तखत कर 10 लाख नौकरी का जो वादा किया था उसका क्या हुआ? क्या उस कलम की स्याही सूख गई या कलम टूट गया" - प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

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