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बक्सर में धार्मिक कार्यक्रम से बीजेपी के बड़े नेताओं ने बनाई दूरी, होर्डिंग और पोस्टर पर खर्च हुए करोड़ों

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Published : Nov 16, 2022, 7:19 AM IST

Updated : Nov 16, 2022, 9:59 AM IST

अहिल्या के उद्धार स्थली अहिरौली में 7 नवम्बर से 15 नवम्बर तक चले सनातन संस्कृति समागम (Sanatan Sanskriti Samagam) कार्यक्रम में जिन नेताओं के आने की चर्चा थी, वो आए नहीं लेकिन उनके नाम पर करोड़ों रुपये खर्च जरूर हुए. इस धार्मिक मंच पर जिस तरह से सियासी बिसात को बिछाने की कोशिश की गई थी, वह बक्सरवासियों के लिए कितनी लाभदायक होगी यह तो समय ही बताएगा.

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बक्सरः बिहार के बक्सर में 9 दिवसीय सनातन संस्कृति समागम (Sanatan Sanskriti Samagam End In Buxar) कार्यक्रम समाप्त हो गया. समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान भी मौजूद रहे. हालांकि कार्यक्रम के अंतिम दिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के भी आने की चर्चा थी लेकिन संभवत: सुरक्षा कारणों से वे नहीं पहुंचे. इस समारोह से भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेताओं और भोजपुरी के स्टार कलाकारों भी नहीं पहुंचे. बीजेपी के नेताओं ने इसे केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Union Minister Ashwini Kumar Choubey) का निजी कार्यक्रम बताया है. वहीं, अब विज्ञापन और प्रचार के लिए जिनके नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए उनके नहीं आने से कई सवाल उठ रहे हैं.


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नेताओं के नाम पर खर्च किए गए करोड़ों रुपयेः विश्वामित्र की पावन नगरी बक्सर से 2 किलोमीटर दूर अहिल्या के उद्धार स्थली में 7 नवम्बर से 15 नवम्बर तक चलने वाले इस सनातन संस्कृति समागम कार्यक्रम में आने वाले बीजेपी के जिन बड़े नेताओं के नाम पर बड़े-बड़े होर्डिंग और पोस्टर लगाए गए थे, स्वागत के लिए तोरण द्वार बनाये गए थे, विज्ञापन के नाम पर लाखों खर्च किये गए उनमें से एक भी नेता इस मंच पर नहीं पहुंचे. सभी ने दूरी बनाकर रखा. भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की माने तो यह सनातन संस्कृति समागम बीजेपी का नही केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का निजी कार्यक्रम था. जिसके कारण पार्टी के कई नेताओं ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी, हालांकि व्यक्तिगत सम्बन्ध के आधार पर कुछ पूर्व और वर्तमान मंत्रियों ने इस कार्यक्रम में जरूर शिरकत की.



नहीं आये एक भी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रीः 9 दिनों तक चलने वाले सनातन संस्कृति समागम में बीजेपी के फ़ायर ब्राण्ड नेता सह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, एकनाथ शम्भा जी शिंदे, उत्तराखंड के मुख्यमंत्रो पुष्कर सिंह धामी, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, के अलावे उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक,महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस, को शामिल होना था, लेकिन सभी ने इस सनातन संस्कृति समागम से खुद को किनारे कर लिया. जबकि इनके नाम के बैनर, पोस्टर, तोरण द्वार एवं विज्ञापन में करोड़ों रूपये खर्च किए गए.

मात्र 3 राज्यपाल ही इस कार्यक्रम में हुए शामिलः सनातन संस्कृति समागम के बैनर पोस्टर तोरण द्वार और विज्ञापन में जिन राज्यपालों के आने की सूची प्रकाशित किया गया थी, उसमें सबसे पहले राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, त्रिपुरा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद,बिहार के राज्यपाल फागु चौहान, जम्मू काश्मीर के उराज्यपाल मनोज सिन्हा को शामिल होना था, लेकिन सिक्किम, केरल और बिहार के राज्यपाल को छोड़कर अन्य कोई भी राज्यपाल इस सनातन संस्कृति समागम कार्यक्रम में नहीं आए.

भोजपुरी के सुपरस्टार कलाकारों ने भी बनाई दूरीः सनातन संस्कृति समागम के मंच पर आने वाले जिन कलाकारों के नाम पर लाखों दर्शकों का जमावड़ा लगा था उन कलाकारों ने भी इस सनातन संस्कृति समागम के मंच से खुद को दूर रखा. पोस्टर पर जिन भोजपुरी के स्टार कलाकारों का नाम प्रकाशित किया गया था उसमें भाजपा सांसद मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ, के अलावे पवन सिंह, खेसारी लाल यादव ने भी इस कार्यक्रम से खुद को दूर रखा. जिससे नाराज फैन्स ने कार्यक्रम के आयोजक पर भीड़ जुटाने के लिए गलत प्रचार प्रसार करने का आरोप लगाया, कुर्सियां चलीं, पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

श्रद्धालुओं के लिए कोई व्यवस्था नहींः जिस गौतम ऋषि के आश्रम के समीप अहिल्या के उद्धार स्थली में अहिल्या के नाम पर इतना बड़ा आयोजन किया गया था, उसी अहिल्या धाम में 13 नवम्बर को विश्व प्रसिद्ध पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के पहले पड़ाव में लाखों श्रद्धालु उत्तरायणी गंगा में स्नान कर पूजा पाठ करने के लिए पहुंचे थे. जंहा श्रद्धालु के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. महिलाएं खुले में शौच करने से लेकर कपड़ा बदलने तक के लिए मजबूर थीं.

राम से जुड़े स्थलों का है बुरा हालः आपको बता दें कि भार्गव मुनि के आश्रम भभूअर के तलाब से लेकर मंदिर के जमीन भैंस का तबेला बन गया है. उदाल्क ऋषि का आश्रम उन्नवास से लेकर विश्राम सरोवर की पहचान मिटने के कगार पर है. जिस पर किसी का ध्यान नहीं है. चुनाव के दौरान राजनेता राम से जुड़े स्थलों को रामायण सर्किट से जोड़ने, राम और वामन कॉरिडोर बनाने का दावा जरूर करते हैं लेकिन चुनाव के बाद वह जुमला साबित होता है. वहीं इस सनातन संस्कृति समागम के धार्मिक मंच पर जिस तरह से सियासी बिसात को बिछाने का प्रयास किया गया था, वह बक्सर वासियों के लिए कितना लाभदायक होगा यह तो समय ही बताएगा. फिलहाल हर कोई यह जानने का प्रयास करने में लगा है कि जिनको इस कार्यक्रम में आना ही नहीं था उसके बाद भी उनके नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह क्यों बहाया गया.

Last Updated :Nov 16, 2022, 9:59 AM IST
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