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भागलपुर: PHED के दावों की निकली हवा, हजारों ट्यूबवेल हैं खराब, लोग झेल रहे पानी की किल्लत

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Published : Sep 4, 2019, 11:37 PM IST

भागलपुर में पीएचईडी विभाग अपनी जिम्मेदारी से पीछे भागता हुआ दिखाई दे रहा है. क्योंकि लोगों को अभी भी पानी लाने के लिए करीबन 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

खराब पड़ा चपाकल

भागलपुर: पूरे सूबे में लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था की जिम्मेदारी पीएचईडी के हाथों में है. लेकिन पीएचइडी अपनी जिम्मेदारियों से हमेशा दूर खड़ा दिखाई देता है. हालांकि सूबे की सरकार के मंत्री, भागलपुर के प्रभारी मंत्री अशोक चौधरी पीएचईडी के महिमामंडन करते थकते नहीं है. उनके मुताबिक करीबन 8000 से ज्यादा ट्यूबवेल पीएचईडी ने पूरे क्षेत्र में लगाए हैं. जो ट्यूबवेल खराब है उसे ठीक कराने में लगे हैं. लेकिन देखा जाय तो जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है.

पीएचईडी विभाग के दावों की हकीकत जिले में हजारों ट्यूबवेल पड़े हैं बंद

पानी के लिए भटकते हैं ग्रामीण
पीएचईडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर भी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं और पेयजल की व्यवस्था के मुकम्मल इंतजाम की बात बता रहे हैं. उनके अनुसार पूरे सूबे में पानी की जरूरत पहले से काफी ज्यादा हो गई है. उसके बाद भी पीएचईडी पानी उपलब्ध कराने में पूरी तरह से सक्षम है. लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक पीएचईडी ने जो ट्यूबवेल लगाए हैं, उनमें से ज्यादातर ट्यूबवेल फेल हो गए हैं. बावजूद इसके पीएचईडी के कर्मचारियों पर इसका कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है.

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पानी के लिए भटकती महिला

फेल होती घर-घर चपाकल योजना
आधिकारिक बयान के मुताबिक पीएचईडी की तरफ से अभी तक कुल 8000 से ज्यादा ट्यूबवेल पूरे जिले में लगा दिए गए हैं. लेकिन उसकी वस्तु स्थिति क्या है इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. जहां पर पीएचईडी ने ट्यूबवेल लगाए है, वहां पर ट्यूबवेल खराब हो गए हैं. वहां के लोगों को पानी लाने के लिए काफी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निश्चय योजना में घर-घर चपाकल की बात जैसी योजनाओं में भी कर्मचारियों की धांधली सामने आ रही है.

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जानकारी देते अशोक चौधरी भवन निर्माण मंत्री बिहार सरकार

महज सरकारी दस्तावेजों में दिखाई देती है योजनाएं
पीएचइडी के काम से एक बात साफ तौर पर दिखता है कि योजनाओं को लेकर जो पारदर्शिता विभागीय पदाधिकारी और सूबे के प्रभारी मंत्री को होनी चाहिए वे उससे काफी दूर हैं. कागजी आंकड़ों के मुताबिक पीएचईडी ने करीबन 1800 खराब पड़े चापाकल को निकाला है, जिसमें 125 नए चापाकल लगा दिए गए हैं. जबकि 200 चापाकल का टेंडर किया गया है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. अगर पीएचईडी विभाग ने सभी बंद और खराब चापाकल को निकाल लिया है. तो इलाके में अभी भी खराब चापाकल कैसे मौजूद हैं. यह पूरी व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.

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सुनील कुमार सुमन, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी भागलपुर
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पूरे सूबे में लोगों को पीने का स्वच्छ पानी की व्यवस्था एवं जिम्मेदारी पीएचईडी के हाथों में है लेकिन पीएचइडी अपनी जिम्मेदारियों से हमेशा दूर खड़ा दिखाई देता है हालांकि सूबे की सरकार के मंत्री एवं भागलपुर के प्रभारी मंत्री अशोक चौधरी पीएचईडी के महिमामंडन करते थकते नहीं है उनकी घर बात करें तो करीबन 8000 से ज्यादा ट्यूबवेल पीएचईडी के द्वारा पूरे क्षेत्र में लगाए गए है और जो ट्यूबवेल खराब है सारे खराब ट्यूबवेल को ठीक करने की बात कहते हैं पीएचईडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर भी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं और पेयजल की व्यवस्था के मुकम्मल इंतजाम की बात बता रहे हैं उनके अनुसार पूरे सुबह में पानी की रिक्वायरमेंट पहले से काफी ज्यादा हो गई है जिसे पीएचइडी उपलब्ध कराने में पूरी तरह से सक्षम है । पीएचईडी में अभियंता एवं कर्मचारियों के द्वारा अनियमितता की बात बिल्कुल सामान्य है इसलिए तो पीएचइडी जी के द्वारा लगाए गए ज्यादातर ट्यूबवेल फेल हो गए और आसपास रहने वाले लोगों को पीने का पानी लाने के लिए कई किलोमीटर जाना पड़ता है ।


Body:बावजूद उसके भी पीएचईडी के कर्मचारियों पर इसका कोई भी असर होता हुआ फिलहाल दिखाई नहीं पड़ रहा है क्योंकि कागजी आंकड़ों में पीएचईडी के कार्य काफी सराहनीय है आधिकारिक बयान के मुताबिक पीएचईडी की तरफ से अभी तक में कुल 8000 से ज्यादा ट्यूबवेल पूरे जिले में लगा दिए गए हैं लेकिन उसकी वस्तु स्थिति क्या है इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है जहां पर पीएचईडी के द्वारा लगाए गए ट्यूबवेल खराब हो गए हैं वहां के लोगों की जिंदगी भी काफी दूर हो गई है उन्हें पानी लाने के लिए काफी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है और यह दूरी करीबन आधे किलोमीटर से ज्यादा की होती है आप सोच सकते हैं जहां पर एक तरफ बुलेट ट्रेन और चंद्रयान जैसे लोग बात कर रहे हैं उस देश में अंतिम आबादी को पीने का पानी लाने के लिए भी आधे किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करनी पड़ती है हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सात निश्चय योजना में भी घर घर कल की बात जैसी योजनाओं में भी कर्मचारियों के द्वारा धांधली की बात सामने आ रही है ।


Conclusion:पीएचईडी विभाग अपनी जिम्मेदारी से पीछे भागता हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि लोगों को अभी भी पीने के लिए पानी लाने के लिए करीबन 1 किलोमीटर जाना पड़ता है तब जाकर पानी का इंतजाम हो पाता है और दूसरी तरफ सरकार के नुमाइंदे सभी कल्याणकारी योजनाओं को आम आदमी तक नहीं पहुंचा कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं । वैसे सरकारी व्यवस्था की गर बात करें तो ज्यादातर व्यवस्थाएं सरकारी दस्तावेजों पर ज्यादा दिखती है और जमीनी तौर पर हकीकत कुछ और ही बयां करती है पीएचइडी अपने केवल को ठीक करा पाए या नहीं लेकिन इससे एक चीज स्पष्ट तौर पर दिखता है की योजनाओं को लेकर जो पारदर्शिता विभागीय पदाधिकारी एवं सूबे एवं प्रभारी मंत्री को होनी चाहिए उससे वह काफी दूर है और कागजी आंकड़ों के मुताबिक पीएचईडी ने करीबन 1800 खराब पड़े चापाकल को निकाला है जिसमें की 125 नए चापाकल उनको उसकी जगह पर लगाया गया है और 200 चापाकल का टेंडर किया गया है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है अगर पीएचईडी विभाग ने सभी बंद और खराब चापाकल उनको निकाल लिया है तो इलाके में अभी भी खराब चापाकल कैसे मौजूद हैं यह पूरी व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है और कागजी आंकड़ों को जमीनी हकीकत से बिल्कुल दूर-दूर तक पूरी तरह से बेबुनियाद बता रहा है।

बाइट सुनील कुमार सुमन कार्यपालक अभियंता पीएचईडी भागलपुर
बाइट अशोक चौधरी भवन निर्माण मंत्री बिहार सरकार एवं प्रभारी मंत्री भागलपुर
बाइट राजी देवी ,स्थानीय निवासी, बिहारीपुर ,भागलपुर
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