नहीं थम रहे आंसू.. कश्मीर में आतंकियों की गोली के शिकार अरविंद पर थी परिवार की जिम्मेदारी

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Published : Oct 17, 2021, 10:05 AM IST

बांका के अरविंद की कश्मी में हत्या

कश्मीर में आतंकवादियों ने बांका के गोलगप्पा बेचने वाले अरविंद की हत्या कर दी, जिसके बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. मृतक पांच भाइयों में चौथे नंबर पर था. वहीं, उसके एक भाई की जान कोरोना के कारण हो गई थी. जानिए परिवार की पूरी कहानी..

बांकाः बिहार के बांका के रहने वाले जिस गोलगप्पा बेचने वाले की कश्मीर में आतंकवादियों ने कायरता से हत्या (Shot Dead) कर दी, घर में उसी की कमाई से परिवार चलता था. आतंकियों के द्वारा अरविंद की निर्मम हत्या की खबर मिलते ही परिजनों में चित्कार मच गया. इधर जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से मृतक अरविंद साह के परिजनों को 11 लाख 25 हजार की सहायता राशि देने का ऐलान किया गया है.

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अरविंद साह की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बड़ी घोषणा की है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से मृतक अरविंद साह के परिजनों को 11 लाख 25 हजार की सहायता राशि देने का ऐलान किया है. इधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी घटना को दुखद बताया है और परिजनों के लिए दो लाख रुपये मुआवजा का ऐलान किया है.

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मृतक 35 वर्षीय अरविंद कुमार साह के पिता देवेन्द्र साह को रोना सुनकर आपकी भी रूह कांप जाएगी. जिस बेटे ने घर की जिम्मेदारियां अपने कंधे पर उठा ली थी. उसके लिए एक खुशहाल जीवन की कामना कर रहे घरवाले और पिता के सामने इससे बड़ी आपदा और क्या होगी. परिजन कहते हैं 'रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेश गया अरविंद अपना बिहार कभी लौटेगा ही नहीं, ये अगर जानते तो उसे जाने ही नहीं देते.'

अरविंद अपने पांच भाइयों में चौथे नंबर पर था. छोटे भाई मुकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने एक भाई को कोरोना काल में खो दिया है. अब अरविंद भैया भी नहीं रहे. अरविंद पिछले 15 सालों से कश्मीर में रहकर ठेले पर गोलगप्पा बेचने का काम करते थे. इसी से उनके परिवार का भरण पोषण होता था. कोविड की लहर के दौरान वे घर आए हुए थे लेकिन हालात सामान्य होने पर फिर चले गए. उनके साथ अन्य दो भाई डब्लू और मंटू भी गए, लेकिन डब्लू कुछ दिन पहले वापस लौट आए थे. मंटू अभी वहीं है, लेकिन अब अरविंद कभी नहीं लौट पाएंगे.

दरअसल, शनिवार की शाम को जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों ने अरविंद की गोली मारकर हत्या कर दी थी. पुलिस के मुताबिक आतंकवादियों ने ईदगाह क्षेत्र स्थित एक पार्क के बाहर उसे गोली मारी. जिसके बाद उसे आनन-फानन में एसएमएचएस (SMHS) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. वहीं, इसकी सूचना जब परिजनों को हुई तो कोहराम मच गया.

इधर, ग्रामीण बताते हैं कि पड़घड़ी गांव और आसपास के इलाके के 200 से अधिक कामगार जम्मू-कश्मीर में रहकर जीविकोपार्जन कर रहे हैं. कोई वहां ठेला लगाता है तो कोई फेरी का काम करता है. होटलों में बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं. आतंकवादियों के द्वारा नागरिकों को निशाना बनाए जाने के बाद इन लोगों के परिजनों को भी चिंता सताने लगी है.

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बहरहाल, घटना की सूचना मिलते ही बांका के बाराहाट बीडीओ राकेश कुमार एवं थानाध्यक्ष एसडी प्रभाकर ने मृतक के घर पर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी है. उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है. अरविंद के मृत शरीर को गांव लाने का भी भरोसा दिया गया है. साथ ही कहा है कि जिले के डीएम और राज्य सरकार जम्मू कश्मीर के आला अधिकारियों के संपर्क में हैं.

बता दें कि पिछले 11 दिनों में बिहार के दूसरे गोलगप्पे बेचने वाले शख्स की जम्मू-कश्मीर में आंतकियों ने हत्या कर दी है. इससे पहले कश्मीर में गोलगप्पा बेचकर अपना और अपने परिवारे के लोगों का पेट पालने वाले बिहार के वीरेन्द्र पासवान की कश्मीर में हत्या कर दी गई थी.

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भागलपुर के रहने वाले वीरेंद्र पासवान की 5 अक्टूबर को आंतकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वीरेंद्र पासवान हर साल गर्मियों के दिन में कश्मीर में रोजी रोटी कमाने जाते थे. वो वहां श्रीनगर के मदीनसाहब, लालबाजार इलाके में ठेल लगाकर गोल गप्पे बेचते थे. 5 अक्टूबर की शाम को आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी. वीरेन्द्र कुमार की हत्या की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट विलाया हिंद ने ली थी.

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