नशे की गिरफ्त में बिहार.. शराबबंदी के बाद चरस, अफीम, ड्रग्स और गांजे की बढ़ी तस्करी

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Published : Oct 4, 2021, 4:58 PM IST

पटना

बिहार में पूर्ण शराब बंदी (Complete Liquor Ban) के चलते जहां शराब पीने वाले लोगों की संख्या घटी है, वहीं कई जिलों में इन दिनों युवा वर्ग चरस, गांजा, स्मैक जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लगे हैं. पढ़ें रिपोर्ट...

पटना: बिहार में पूर्ण शराब बंदी (Complete Liquor Ban) कानून लागू है या यूं कहें कि बिहार में पूर्ण नशाबंदी है. शराब बंदी के बाद बिहार में इन दिनों युवा वर्ग चरस गांजा स्मैक जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लगे हैं. भागदौड़ की जिंदगी गलत संगति के कारण युवक के साथ अब महिलाएं भी कुछ हद तक नशे की आदी हो रही हैं. दरअसल, 14 से 25 आयु वर्ग के युवक नशे की चपेट में आ रहे हैं. इन लोगों के बीच बिहार के कई जिलों में स्मैक गांजा का प्रचलन बढ़ा है.

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बिहार में शराबबंदी के बाद एक और जहां शराब पीने वालों की संख्या काफी घटी है, वहीं स्मैक गांजा चरस की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. राजधानी पटना के नशा मुक्ति केंद्रों की बात करें तो लगभग 60% युवा स्मैक का शिकार होकर अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं. डॉ. मनोज की माने तो प्रशासन अपने स्तर से कार्य कर रहा है. लोकिन, हम सभी लोगों को भी हमारे आसपास के युवा वर्ग को जो कि रास्ते से भटक गए हैं, उन्हें समझा-बुझाकर नशा मुक्ति केंद्र ले जाना चाहिए और इसके दुष्परिणाम के बारे में उन्हें अवगत भी करवाना चाहिए. नशे के आदी युवा वर्ग नशे के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.

देखें रिपोर्ट

''बिहार में नशीले पदार्थों का सेवन करने के लिए पैसों की एवज में कुछ युवक अपने घरों में ही चोरी करने लगे हैं. यहां तक कि अब वह राह चलते मोबाइल स्नैचिंग भी कर रहे हैं. कुछ युवक नशे के आदी होने की वजह से अपना खून बेच कर भी नशा करते हैं. ऐसे कई मामले उनके सामने आ चुके हैं. शारीरिक रूप से कमजोर होने के साथ-साथ वैसे युवा मानसिक रूप से भी कमजोर हो रहे हैं.''- डॉ. मनोज कुमार, अधीक्षक, गार्डिनर हॉस्पिटल पटना

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बता दें कि राजधानी पटना के कई युवा ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं. कोई ब्राउन शुगर, कोई चरस, तो कोई अफीम ले रहा है. डॉक्टर मनोज की मानें तो राज्य सरकार ने नशाबंदी कानून लागू कर अच्छा कदम उठाया है, जिसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है. परंतु समाज में इस तरह के नशीले पदार्थों के खिलाफ अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.

राजधानी में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें ड्रग्स के कारण अपने दोस्त को खोने के बाद अन्य दोस्त नेटवर्क का भंडाफोड़ करने थाना पहुंच गए थे. आपको बता दें कि राजधानी पटना के कई इलाकों में जैसे गांधी मैदान के अंटाघट फरीरबारा, पिरबोहर थाना अंतर्गत चंबल घाटी के अलावे कई जगह पर स्मैक और चरस की बिक्री होती है. इसके अलावा गांजा की बात करें तो राजधानी पटना के कई चौक चौराहों पर पान की गुमटी में भी गांजे की बिक्री आसानी से हो रही है.

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गांव देहात की तुलना में राजधानी पटना सहित बिहार के बड़े शहरों में स्मैक, चरस, अफीम का लोग सेवन कर रहे हैं और ये आसानी से वहां उपलब्ध भी हो रहा है. गांव देहात में जहां गांजा आम बात है तो वहीं राजधानी पटना सहित बिहार के बड़े शहर जैसे आरा, बक्सर, छपरा, भागलपुर जैसे बड़े शहरों में स्मैक और चरस के लोग आदि होते जा रहे हैं. दरअसल, नशीले पदार्थ बिहार ही नहीं देश और विदेशों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुके हैं.

आर्थिक अपराध इकाई जो कि नशीली पदार्थ की भी एक नोडल एजेंसी है, इसके अलावा एनसीबी और एसएसबी द्वारा भी नशीली पदार्थों की तस्करी करने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है. नार्कोटिस ट्रैफिकिंग के जरिए देश के विभिन्न राज्यों तक नशीले पदार्थ पहुंचाए जा रहे हैं, जिसका खामियाजा यहां के युवाओं को उठाना पड़ रहा है. दरअसल, एनसीबी, एसएसबी और आर्थिक अपराध इकाई द्वारा कई स्मगलर को गिरफ्तार भी किया गया है. इसके बावजूद भी नशे का कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है.

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नशीली पदार्थों के ट्रैफिकिंग के लिए तस्कर बिहार और झारखंड को ज्यादातर रूट के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं. दरअसल, कुछ लोग नशीले पदार्थों की तस्करी को जीने का जरिया बना रखा है. समाज से कुछ वर्ग के लोग ज्यादा पैसे कमाने के लिए इस तरह के गलत काम कर रहे हैं. ज्यादातर नॉर्थ इंडिया से बिहार तक नशीला पदार्थ पहुंच रहा है. सूचना के आधार पर लगातार एसएसबी और एनसीबी द्वारा कार्रवाई भी की जा रही है. हालांकि, पुलिस मुख्यालय इन मसलों पर खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रही है.

''आर्थिक अपराध इकाई के साथ-साथ एनसीबी और एसएसबी विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से नार्कोटिस पर अंकुश लगाने के लिए कई तरह के नशीले पदार्थ के साथ तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है, ताकि इसका ट्रैफिकिंग कंट्रोल किया जा सके.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

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बिहार में अक्सर नशीले पदार्थ जैसे कि शराब चरस गांजा अफीम को जब्त करने के साथ-साथ उनके तस्करों को भी दबोचा जा रहा है. एनसीबी के जोनल डायरेक्टर कुमार मनीष की माने तो एनसीबी के द्वारा इस तरह के नशीले पदार्थों के ट्रैफिकिंग करने वाले लोगों पर कार्रवाई के साथ-साथ युवा वर्ग के लिए विभिन्न माध्यमों से बिहार झारखंड में काउंसलिंग के साथ-साथ अभियान भी चलाया जा रहा है, ताकि युवा वर्ग को इसका दुष्परिणाम पता चल सके.

वहीं, एसएसबी के आईजी पंकज दराद की माने तो एसएसबी द्वारा बिहार के विभिन्न जिलों में गांजा उगाने वाले जगह को हमेशा नष्ट किया जाता रहता है. उसके अलावा बॉर्डर इलाकों में जहां पर एसएसबी तैनात है, वहां पर अभियान चलाकर नशीली पदार्थों को भी पकड़ा जाता है और तस्करों को भी गिरफ्तार किया जा रहा है.

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एनसीबी के आंकड़े के मुताबिक साल 2020 में एनसीबी के द्वारा 6425 किलो गांजा जब्त किया गया था. वहीं, 2.45 किलो हेरोइन जब्त किया गया था. 3.90 किलोग्राम चरस जब्त किया गया था. 51.40 किलो अफीम नष्ट किया गया था, इसके अलावा पूरे साल भर में 85 तस्कर गिरफ्तार किए गए थे. वहीं, साल 2021 में एनसीबी के अब तक के आंकड़ों के मुताबिक करीब 30 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. वहीं, लगभग 4500 किलो गांजा, 28.34 किलो चरस और 5.25 किलो ओपियम जब्त किया गया है.

ईटीवी भारत GFX.
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एसएसबी यानी कि सशस्त्र पुलिस बल के द्वारा साल 2020 में 88 मामले दर्ज कर चरस, गांजा, हेरोइन, ब्राउन शुगर, ओपियम के साथ अन्य नशीले पदार्थ कुल 704.282 किलो जब्त किया गया था और 106 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी.

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वहीं, साल 2021 के सितंबर माह तक एसएसबी द्वारा अब तक 91 मामले दर्ज कर 1493.9 किलोग्राम विभिन्न तरह के नशीले पदार्थों को जब्त कर अब तक 93 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. इन आंकड़ों से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बिहार में कितने भारी मात्रा में नशीले पदार्थ विभिन्न माध्यमों से पहुंच रहे हैं, यह आंकड़े सिर्फ जब्त किया हुए नशीले पदार्थ का है. इसके अलावा ना जाने कितने लोगों ने करोड़ों रुपए के नशीले पदार्थों का सेवन कर चुके हैं.

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