लचर कानून बना शराब माफियाओं के लिए 'घुट्टी'

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Published : Jun 29, 2021, 10:58 PM IST

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बिहार में शराबबंदी के बावजूद आए दिन शराब की खेप बरामद की जाती है. वहीं शराब तस्करों को लचर कानून व्यवस्था का फायदा मिल रहा है. सही समय पर आरोप पत्र दाखिल न करने के कारण माफियाओं को बेल मिल जा रहा है.

पटना: बिहार में जारी शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) के बीच अब तक कई लोगों पर कार्रवाई की गई है. शराबबंदी के बाद बिहार में शराब की खेप पहुंचाने वाले बड़े-बड़े शराब माफियाओं (Liquor Mafia) को बिहार पुलिस की टीम ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. लेकिन इन दिनों पुलिस अपनी लचर व्यवस्था के कारण सुर्खियों में है. पुलिसिया लापरवाही का फायदा शराब माफियाओं को हो रहा है.

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शराब की बिक्री
बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी राजधानी पटना समेत बिहार के गांव, गली, मोहल्ले सभी जगह खुलेआम शराब की बिक्री हो रही है. शराब माफियाओं का हौसला इतना बुलंद हो गया है कि आम इंसान तो छोड़िए अपराधी पुलिस वालों को भी नहीं बख्श रहे हैं. सूबे में धड़ल्ले से शराब की बिक्री हो रही है.

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पुलिस पर लापरवाही का आरोप
पटना के बाईपास थाना क्षेत्र से कुछ दिनों पहले भारी मात्रा में शराब बरामद की गई थी. इस मामले में तीन लोगों को पटना एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. इन तीनों शराब माफियाओं ने पुलिस द्वारा कोर्ट में चार्जशीट पेश न करने का फायदा उठाते हुए कोर्ट से अपनी जमानत करवा ली है.

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'पटना सिविल कोर्ट में ऐसे दर्जनों मामले हैं जिसमें पुलिस की लचर व्यवस्था के कारण पकड़े गए शराब माफियाओं को मजबूरन कोर्ट द्वारा बेल दे दिया जाता है. दरअसल इन मामलों में पुलिस समय पर कोर्ट में आरोप पत्र (चार्जशीट) ही प्रस्तुत नहीं करती और इसी का फायदा उठाकर शराब माफिया कोर्ट से बेल लेने में सफल होते हैं.'- के सी चौधरी, वकील, पटना सिविल कोर्ट

2 महीने पहले पटना सिटी इलाके के एक प्याज के गोदाम से मिले भारी मात्रा में शराब मामले में संलिप्त हरियाणा के तीन शराब माफियाओं को कोर्ट से बेल दे दी गई. दरअसल इस मामले में भी स्थानीय थाने द्वारा कोर्ट में समय पर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया, जिसका फायदा उठाकर अवैध शराब की खेप बिहार भेजने वाले शराब माफियाओं ने कानून को ठेंगा दिखाते हुए बेल ले ली.

आखिर क्यों नहीं होती है कार्रवाई ?
एक हजार से ज्यादा थाने हैं. हजारों पुलिसवाले हैं, सरकार से लेकर संत्री तक मुस्तैद हैं, तो फिर शराब कैसे लोगों तक पहुंच रही है. यहां तक की सीएम नीतीश कुमार जिन्होंने 5 साल पहले शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया था. इसे लेकर सूबे के मुखिया सख्त हैं. फिर पुलिसवाले क्यों इतनी लापरवाही बरत रहे हैं. अगर ऐसे ही शराब माफियाओं को बेल मिलती रही तो इसके चेन को तोड़ पाना आसान नहीं होगा.

2016 में की गई थी शराबबंदी
बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू हुए पांच साल हो गए. 2016 में सर्वसम्मति से शराबबंदी कानून लागू किया गया था. बिहार में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करने के मकसद से सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद शराबबंदी कानून लागू करने का फैसला लिया था.

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