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विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की जमीन को लेकर चल रही है तैयारी, सूटेबिलिटी रिपोर्ट का इंतजार

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Published : Aug 1, 2021, 8:41 AM IST

अब विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की जमीन को की समस्या दूर होती दिखाई दे रही है. जिला प्रशासन ने अतिचक, परशुरामचक और एकडरा की 200-200 एकड़ जमीन का प्रस्ताव भेजा था. शिक्षा विभाग ने जिला प्रशासन को सबसे बेहतर प्रस्ताव को भेजने को कहा था. भारत सरकार की टीम ने प्रस्तावित तीनों भूखंडों का जायजा भी लिया था.

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भागलपुर: बिहार के भागलपुर अंतर्गत कहलगांव में विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय (Vikramshila Central University) की जमीन को लेकर रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है. इसको लेकर जिला प्रशासन ने तीन प्रस्ताव अतिचक, परशुरामचक और एकडरा की 200-200 एकड़ जमीन का प्रस्ताव भेजा था. लेकिन शिक्षा विभाग (Education Department) की ओर से जिला प्रशासन से तीन प्रस्ताव में से सबसे बेहतर प्रस्ताव को भेजने के लिए कहा था. इसके बाद कहलगांव के एसडीओ ने जांच कराया और बेहतर प्रस्ताव परशुरामचक भेजा. परशुरामचक गांव विक्रमशिला महाविहार के खुदाई अस्थल से नजदीक है. साथ ही तीनों में से सबसे ऊंची जगह पर है. वह इलाका बाढ़ प्रभावित भी नहीं है.

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रेलवे स्टेशन भी वहां से नजदीक है. इसके अलावा NH से NH से भी सटा हुआ है. यहां अगर 200 एकड़ से ज्यादा जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता होगी तो उस दिशा में भी पहल की जा सकती है. वहां पर्याप्त जमीन उपलब्ध है. उसके बाद 8 अप्रैल 2021 को विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर भारत सरकार की ओर से गठित टीम ने साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर हरीश चंद्र सिंह राठौर के नेतृत्व में जिला प्रशासन के प्रस्तावित तीनों भूखंडों का जायजा भी लिया था.

इस टीम में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, केंद्रीय लोक कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर और अन्य दो सचिव स्तर के अधिकारी शामिल थे. टीम ने तीनों प्रस्तावित जमीनों का मुआयना किया था. तीनों जमीन के प्राकृतिक, भौगोलिक स्थिति, पहुंच पथ और सुगमता व अन्य बिंदुओं की जांच की थी. लेकिन उसके बाद से कोई कार्रवाई आगे नहीं हुई है. इस बात को लेकर पीरपैंती और कहलगांव के विधायक ने विधानसभा में प्रश्न भी उठाया था. जिसमें शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है.

बता दें कि आठवीं शताब्दी में विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के शासक धर्मपाल द्वारा किया गया था. यह विश्वविद्यालय भागलपुर शहर से करीब 42 किलोमीटर दूर है. इस विश्वविद्यालय को नालंदा के समकक्ष माना जाता है. यहां से तिब्बत के राजा के अनुरोध पर दीपांकर अतिश तिब्बत गए और उन्होंने तिब्बत से बौद्ध भिक्षुओं को चीन, जापान, मलेशिया, थाईलैंड से लेकर अफगानिस्तान तक भेजकर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया. मध्यकालीन भारतीय इतिहास में विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान था. यहां पर बौद्ध धर्म एवं दर्शन के अतिरिक्त न्याय, तत्व ज्ञान एवं व्याकरण का अध्ययन कराया जाता था.

देखें रिपोर्ट

कहलगांव विधायक पवन कुमार यादव ने कहा कि विक्रमशिला की धरती पर केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर बिहार विधानसभा में उठाया था. केंद्र सरकार और राज्य सरकार से इस मामले में पहल करने को लेकर खत लिखा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार है. केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना जल्द होगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर रुपये भी आवंटित कर दिया है. जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकारी प्रक्रिया में वक्त लगता है लेकिन काम शुरू होगा.

पीरपैंती विधायक इं. ललन कुमार पासवान ने कहा कि विक्रमशिला की धरती पर केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central University) की स्थापना प्रस्तावित है. केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी भी मिली है. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर बीते विधानसभा सत्र में प्रश्न को उठाया था आश्वासन मिला है. जल्द काम शुरू होगा. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर मेरे द्वारा काफी प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से कार्य अवरुद्ध हुआ है. अब कोरोना का असर कम हो रहा है. हर हाल में विश्वविद्यालय की स्थापना होगी.

उन्होंने कहा कि विक्रमशिला प्राचीनतम विश्वविद्यालय में शामिल रहा है. इसलिए कायदे से इस विक्रमशिला को बौद्ध सर्किट से भी जोड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि विक्रमशिला पठन-पाठन का केंद्र रहा है. बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए यह धार्मिक स्थल नहीं रहा है. इसलिए बौद्ध सर्किट से जोड़ने को लेकर थोड़ी परेशानी है. लेकिन इसकी महत्ता को कम नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि इस विश्वविद्यालय के कारण भारत विश्व गुरु बना था, यह विश्वविद्यालय ज्ञान का केंद्र रहा है.

विधायक ललन पासवान ने कहा कि यहां के विकास के लिए दार्जिलिंग और धर्मशाला में जाकर दलाई लामा से भी मिला है. उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म के मानने वाले लोगों को यहां निवेश करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि जब भागलपुर हवाई मार्ग से जुड़ जाएगा तो उम्मीद है यहां पर बौद्ध धर्म के मानने वाले आएंगे और तेजी से विकास भी होगा. उन्होंने कहा कि भागलपुर में एयरपोर्ट बन जाने से इंटरनेशनल कनेक्टिविटी बढ़ेगी. विधायक ने कहा कि उनका सपना है केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हो और विक्रमशिला बौद्ध सर्किट से जुड़े.

जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि मार्च-अप्रैल महीने में सेंट्रल की टीम चिन्हित भूमि का निरीक्षण करने के लिए आयी थी. सेंट्रल टीम में गाया सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति भी शामिल थे. उस टीम के जाने के बाद अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि टीम द्वारा सूटेबिलिटी रिपोर्ट मिलने के बाद जिला प्रशासन आगे की कार्रवाई करेगा. टीम ने चिन्हित भूमि का बारीकी से निरीक्षण किया था. जिलाधिकारी ने कहा कि विक्रमशिला खुदाई स्थल के पास ही करीब 200 से 250 एकड़ जमीन चिन्हित कर भेजा है. यदि और जमीन की मांग की जाती है तो जिला प्रशासन उपलब्ध कराएगा. राशि मिलने के बाद भू अधिग्रहण भी किया जाएगा.


बता दें कि 2015 में विक्रमशिला में विश्वविद्यालय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी. इसके बाद से इस दिशा में पहल तेज हुई. इसके लिए सरकार ने विक्रमशिला के नाम पर केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान कर दिया था. साथ ही केंद्र सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि बिहार सरकार निशुल्क जमीन उपलब्ध कराए तो विश्वविद्यालय बनने की दिशा में काम होगा. लेकिन राज्य सरकार 6 साल बीत जाने के बाद अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं करा सकी है.

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