सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में मनाया जाएगा दशहरा

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Published : Oct 14, 2021, 2:02 PM IST

रवि योग में मनाया जाएगा दशहरा

दशहरा या विजयादशी को बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण को वध किया था. ऐसे में क्या है पूजन विधि, किस शुभ कार्य को करने से फलकारी साबित होंगे, आइये जानते हैं...

नई दिल्लीः दशहरा या विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व का विशेष महत्व है. इस साल दशहरा शुक्रवार यानि 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा. बता दें, इस बार दशहरा सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में मनाया जायेगा.

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि 15 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि योग एवं कुमार योग सूर्योदय से सुबह 9:16 बजे तक तथा रवि योग पूरे दिन-रात रहेगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने अहंकारी रावण का वध किया था. इसके साथ ही इस दिन ही मां दुर्गा ने असुर महिषासुर का भी वध किया था. इस कारण ही भगवान राम के साथ मां दुर्गा के भी पूजन का विधान है. दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है.

सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में मनाया जाएगा दशहरा

उन्होंने बताया कि अलग-अलग जगहों पर दशहरे का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. शस्त्र का प्रयोग करने वाले समुदाय इस दिन शस्त्र पूजन करते हैं. वहीं, कई लोग इस दिन अपनी पुस्तकों, वाहन इत्यादि की भी पूजा करते हैं. किसी नये काम को शुरू करने के लिए यह दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. कई जगहों पर दशहरे के दिन नया सामान खरीदने की भी परंपरा है.

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरे के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं. विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है.

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ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से नौ गोले व दो कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें. बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं, तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें. अंत में बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें.

दशहरा शुभ मुहूर्त

दशमी तिथि 14 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होगी, जो 15 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगी.

श्रवण नक्षत्र प्रारंभ: - 14 अक्टूबर 2021, सुबह 9 बजकर 36 मिनट

श्रवण नक्षत्र समाप्त: - 15 अक्टूबर 2021 सुबह 9 बजकर 16 मिनट

पूजन का समय- 15 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक.

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