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Anand Mohan पर सुप्रीम कोर्ट में सितंबर में होगी सुनवाई, कोर्ट ने उमा कृष्णैया को दिया विशेष निर्देश

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Published : Aug 11, 2023, 5:24 PM IST

Updated : Aug 11, 2023, 5:42 PM IST

बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई शुक्रवार को स्थगित कर दी गई. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की तारीख 26 सितंबर तय करते हुए कहा, "हम इसे सितंबर में किसी भी गैर-विविध दिन पर उठाएंगे."

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दिल्ली/पटना: बाहुबली आनंद मोहन पर शुक्रवार को सुप्रीम सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी.कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने जी कृष्णैया की पत्नी उमा को विशेष निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि आनंद मोहन पर किसी गैर-विधिक दिन सुनवाई की जाएगी.

आनंद मोहन मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित: न्यायमूर्ति सूर्यकांत और दीपांकर की पीठ ने मामले पर सुनवाई की तारीख 26 सितंबर तय की है. उन्होंने कहा कि हम इस मामले को सितंबर में किसी भी गैर विधिक दिन उठाएंगे. बता दें कि न्यायमूर्ति कांत 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा हैं, जो सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर, 2 अगस्त से लगातार अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.

कोर्ट में सरकार का पक्ष: सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने पीठ को अवगत कराया कि "राज्य सरकार ने एक ही दिन में 97 दोषी व्यक्तियों की सजा में छूट पर विचार किया. उसने केवल गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को सजा में छूट नहीं दी."

सरकार से कोर्ट का सवाल: सरकार का पक्ष सुनने के बाद न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कहा कि "क्या इन सभी 97 लोगों पर एक लोक सेवक की हत्या का आरोप लगाया गया था? उनका मामला यह है कि आनंद मोहन को रिहा करने के लिए नीति बदल दी गई." जवाब में रंजीत कुमार ने कहा कि "उन दोषियों को वर्गीकृत करते हुए एक विस्तृत प्रतिक्रिया दाखिल करेंगे, जिन्हें उनके क्राइम के आधार पर छूट दी गई है."

प्रदेश सरकार को आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर एक अतिरिक्त जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी है. इसमें याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर हलफनामा अगर कोई हो, दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है.

उमा कृष्णैया के वकील ने क्या कहा?: गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की पत्नी के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश सरकार ने उन्हें मामले से संबंधित आधिकारिक फाइलों की प्रति (कॉपी) नहीं दी है. बता दें कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व सांसद को मिली सजा में छूट के मामले में मूल रिकॉर्ड न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया है.

उमा कृष्णैया को कोर्ट ने कही ये बात: वहीं सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता उमा कृष्णैया को मामले से संबंधित मूल फाइलों की प्रति प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार के समक्ष आवेदन करने को कहा.वहीं अपने जवाबी हलफनामे में बिहार सरकार ने न्यायालय से कहा कि आम जनता या लोक सेवक की हत्या की सजा एक समान है. एक तरफ, आम जनता की हत्या के दोषी आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदी को समय से पहले रिहाई का पात्र माना जाता है. वहीं दूसरी तरफ किसी लोक सेवक की हत्या के दोषी आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदी को समय से पहले रिहाई के लिए विचार किए जाने के लिए पात्र नहीं माना जाता है. इस दौरान पीड़ितों की स्थिति को देखते हुए भेदभाव दूर करने की मांग की गई.

आनंद मोहन रिहाई मामला: दरअसल बिहार के जेल मैनुअल में संशोधन करे बाद बाहुबली आनंद मोहन को सहरसा जेल से बाहर निकाला गया था. उमा कृष्णैया की याचिका में आरोप लगाया गया कि बिहार सरकार ने 10 अप्रैल 2023 के संशोधन के जरिए पूर्वव्यापी प्रभाव से बिहार जेल नियमावली 2012 में संशोधन किया. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी आनंद मोहन को छूट का लाभ दिया जाए.

1994 को हुई थी लोक सेवक की हत्या: साल 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. घटना को तब अंजाम दिया गया था जब डीएम की गाड़ी गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस से निकलने की कोशिश कर रही थी.भीड़ को उकसाने का आरोप आनंद मोहन पर था.

सोर्स- आईएएनएस

Last Updated :Aug 11, 2023, 5:42 PM IST
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