ETV Bharat / state

महिला दिवस 2024 : बिलासपुर की पराठा वाली अम्मा, हुनर ने दिलाई नई पहचान

author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 7, 2024, 8:31 PM IST

Updated : Mar 8, 2024, 12:30 PM IST

Womens Day 2024 अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे है जो अपने हुनर से फर्श से अर्श तक पहुंची.आज उनके पास वो सब है जो कभी एक सपना था.

Story Of Paratha Wali Amma of Bilaspur
बिलासपुर की पराठा वाली अम्मा

बिलासपुर की पराठा वाली अम्मा

बिलासपुर : जूना बिलासपुर इलाके में रहने वाली सोनकली निषाद एक ऐसी महिला है,जिन्होंने अपनी जिंदगी में संघर्ष देखा है. लेकिन संघर्षों से पार पाकर आज वो कामयाब मां, पत्नी, और सफल होटल व्यवसायी हैं. सोनकली का जीवन अंधेरे से उजाले तक लाने में उनकी पाककला का योगदान है. उनके पाक कला ने उन्हें आज वो सबकुछ दिया,जिसके बारे में वो कभी सपने में सोचती थी. आईए बताते हैं आखिर सोनकली निषाद के पास वो कौन सा हुनर है.

Story Of Paratha Wali Amma of Bilaspur
घर से बाहर घर जैसा स्वाद

कौन हैं सोनकली निषाद ?: 25 साल पहले इलाहाबाद में रहने वाले आसाराम निषाद और सोनकली निषाद बिलासपुर आए. परिवार में गरीबी थी,इसलिए कमाने के लिए पलायन किया.बिलासपुर में आकर सोनकली अपने पति के साथ गुपचुप का ठेला लगाती.लेकिन ठेले से इतनी कमाई नहीं होती,जिससे बच्चों की परवरिश हो सके.फिर भी दोनों ने मिलकर दिन रात मेहनत किया.इसी दौरान सोनकली ने अपने छोटे बेटे के लिए आलू के पराठे बनाएं. ये पराठे इतने स्वादिष्ट थे कि बेटा हर बार इसकी डिमांड करता. इस दौरान बेटे ने मां को सलाह दी कि वो पराठे की दुकान खोले.बस यही से सोनकली की किस्मत ने पलटी मारी.

Story Of Paratha Wali Amma of Bilaspur
पराठा वाली अम्मा का हुनर

पराठे बनाने के हुनर ने बदला जीवन : सोनकली और उनके बेटे ने बैंक से लोन लेकर पराठे की दुकान डाली.इसके बाद पूरा परिवार मिलकर इस दुकान में दिन रात मेहनत करने लगा.धीरे-धीरे करके सोनकली के पराठे इलाके में फेमस हो गए. जब ग्राहक बढ़े तो पति ने पराठे तैयार करने का सामान बनाना शुरु किया और सोनकली सिर्फ पराठे बनाती.समय की बचत होने के साथ सोनकली आलू के साथ गोभी,मूली और मिक्स पराठे बनाने लगी. आज सोनकली 120 किस्म के पराठे बनाती हैं.इनके पराठों को खाने के लिए लंबी लाइन लगती है.

पुराने समय को याद कर रो पड़ती हैं सोनकली : सोनकली आज भी अपनी पुरानी जिंदगी को याद करके रो पड़ती है. सोनकली बताती है कि उनके पास पैसे नहीं होते थे. बच्चों की पढ़ाई और परवरिश की चिंता सताती थी.सोनकली खुद ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है लेकिन उन्होंने शिक्षा का महत्व समझा.इसलिए अपने बेटों और बेटियों को खूब पढ़ाया.सोनकली ने बताया कि गुपचुप बेचकर जब वो घर वापस लौटते तो थकने के बाद भी बच्चों को हाथ से खाना खिलाते.इसलिए सोनकली अपना बच्चा मानकर ही सभी को खाना खिलाती हैं.इसलिए स्वादिष्ट पराठे के लिए लोग कई बार इनकी दुकान आते हैं.इनके हुनर के कारण ही इन्हें लोग पराठे वाली अम्मा के नाम से जानते हैं.

पराठे वाली अम्मा के हाथों में है स्वाद : पराठा वाली अम्मा के होटल में आने वाले एक छात्र रोहन ने बताया कि अम्मा के हाथों का खाना स्वादिष्ट है. घर से दूर रहने के कारण घर जैसा स्वाद नहीं मिल पाता था.लेकिन अम्मा के पराठों ने उनके घर के खाने की कमी पूरी कर दी. रोहन के जैसे ना जाने कितने छात्र आज घर की याद आने पर अम्मा के पराठे खाने आते हैं.यही वजह है कि घर से बाहर सोनकली आज छात्रों के लिए मां की भूमिका निभा रही है.

सरंगपाल मंदिर की महिमा अपरंपार,बैलगाड़ी से नहीं हिला शिवलिंग, राजा ने नदी किनारे की स्थापना
महाशिवरात्रि की पूजा में भूलकर भी न करें ऐसी गलती, भोले बाबा हो सकते हैं नाराज, जानिए
रायपुर का हटकेश्वरनाथ शिवलिंग, राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र प्राप्ति के बाद करवाया था निर्माण


Last Updated :Mar 8, 2024, 12:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.