रायपुर : सीता नवमी एक पवित्र त्यौहार है. देवी सीता की जीवन गाथा हिंदू महाकाव्य रामायण में देखने को मिलती है. सीता नवमी के अवसर पर उत्तर भारत में लोग माता सीता की विशेष पूजा और व्रत भी रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब राजा जनक यज्ञ के लिए अपने खेत की जुताई कर रहे थे. उस समय जमीन में माता सीता बालिका के रूप में प्रकट हुई थीं. तब से ही यह पर्व सीता नवमी, जानकी नवमी के रूप में जाना जाता है. इस साल 2024 में 16 मई 2024 गुरुवार को सीता नवमी मनाई जाएगी.
माता सीता की पूजा का महत्व: सीता नवमीं पर्व माता सीता के दिव्य गुणों, भक्ति, पवित्रता और शक्ति के प्रतीक के रूप में उनकी भूमिका को प्रदर्शित करता है.यह महापर्व समस्त महिलाओं के लिए एक उत्तम पर्व मानी जाती है. सभी माताएं-बहनें अपने पति की लंबी आयु के लिए सीता नवमी को व्रत, उपवास और पूजा पाठ करती हैं. आज के शुभ दिन सीता सहस्त्रनाम, माता सीता के 108 नाम, सीता चालीसा, सीता गायत्री मंत्र और सीता जी की आरती के साथ इस शुभ पूजन का समापन किया जाता है.
समर्पण, त्याग और बलिदान की देवी माता सीता : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया, "आज के दिन नए वस्त्र पहन कर व्रत और उपवास करना चाहिए. ऐसी कन्याएं, जिनके विवाह में बाधा आ रही हो, उन्हें भी नियमित रूप से सीता नवमी का उपवास करना चाहिए. ऐसे जातक जिनके वैवाहिक जीवन में बाधा आ रही हो, उन्हें भी उत्तम रीति से सीता नवमी का व्रत और उपवास करना चाहिए. इससे उनके जीवन में खुशहाली और अनुकूलता बनी रहे."
"माता सीता समर्पण, त्याग, बलिदान की देवी मानी जाती है. माता सीता का गौरवशाली चरित्र और उनका जीवन प्रेरणादायक है. माता सीता विवाह के तुरंत बाद ही मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के साथ 14 वर्षो के लिए वनवास पर चली गई थी. ऐसा समर्पण, सादगी, समन्वय और त्याग बहुत ही कम देखने को मिलता है." - पंडित विनित शर्मा, ज्योतिष एवं वास्तुविद
सीता नवमी पर जीवों को कराएं भोजन: माता सीता सौम्यता, साहस, वीरता, धीरज और शांति की प्रतीक मानी जाती है. इन गुणों को विकसित करने हेतु सभी जातकों को सीता नवमी का व्रत उपवास करना चाहिए. आज के शुभ दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना, दान देना, वस्त्र देना, शुभ माना गया है. सूक्ष्मजीवों, चींटी, मछलियों, पशु, पक्षियों, आदि को भोजन कराना अत्यंत कल्याणकारी माना गया है.
"इस दिन महिलाओं की सहायता करना विशिष्ट कल्याणकारी माना गया है. साथ ही गीता विष्णु सहस्त्रनाम, राम रक्षा स्त्रोत, सीता सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. इसके साथ ही इन ग्रंथो का दान करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है." - पंडित विनित शर्मा, ज्योतिष एवं वास्तुविद
माता सीता की हिंदू धर्म में राम के साथ पूजा की जाती है. सीता नवमी का उत्सव उत्तरी भारत में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में सीता नवमी मनाई जाती है. देश के कुछ हिस्सों में इस दिन जुलूस निकाले जाते हैं. इस अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.