इंदौर. एमपी की आर्थिक राजधानी इंदौर में रहने वाले एक होनहार युवक को इंटरनेशनल टैगोर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. यह पूरा कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित हुआ था. जिसमें देश भर के साथ ही विदेश के भी आर्टिस्टों ने भाग लिया था, लेकिन इंदौर के रहने वाले अनमोल माथुर ने सभी आर्टिस्ट को पीछे छोड़ते हुए. इस अवार्ड को अपने नाम किया. वहीं अब उनकी इच्छा है कि वह आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश का नाम रोशन कर पदम श्री अवार्ड तक पहुंचे.
अनमोल ने जीता इंटरनेशनल टैगोर अवार्ड
इंदौर के रहने वाले अनमोल माथुर नाम के युवक ने इंटरनेशनल स्तर पर अपनी एक अलग आर्ट के चलते पहचान बनाई है. अपनी पहचान बनाने के साथ ही उन्होंने इंदौर को एक और पहचान दिलाई है. वह है विजुअल आर्ट, विजुअल आर्ट का पिछले दिनों इंटरनेशनल स्तर पर एक कंपटीशन हुआ था. जिसमें इंदौर के रहने वाले अनमोल माथुर ने भी पार्टिसिपेट किया और इंटरनेशनल टैगोर अवॉर्ड अपने नाम भी किया. वहीं इंटरनेशनल स्तर पर हुए इस कार्यक्रम में उन्होंने हेरीटेज आर्ट को प्रदर्शित किया. यही उनकी जीत का कारण भी रहा. उन्होंने भारतीय हेरिटेज को विश्व के अलग-अलग हेरिटेज के साथ इस तरह से प्रदर्शित किया. वहां पर मौजूद निर्णायक को उन्हें इस अवार्ड से सम्मानित कर दिया.
विजुअल आर्ट में जीते 20 अवार्ड
वहीं अवार्ड मिलने के पीछे अनमोल माथुर का एक लंबा संघर्ष भी है. बता दें अनमोल माथुर मात्र 7 साल की उम्र से अलग-अलग तरह की पेंटिंग करते थे, लेकिन इसी दौरान उन्हें यह ख्याल आया कि क्यों ना विजुअल आर्ट भी बनाया जाए. इसके बाद उन्होंने इसकी शुरुआत की. शुरुआत में उन्हें काफी समस्याओं का सामना भी करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक के बाद एक वह विजुअल आर्ट में अलग-अलग तरह की पेंटिंग बनाने लगे. आज एक लाख से अधिक पेंटिंग बना ली है. जिसमें उन्होंने दुनिया भर को अलग-अलग तरह से प्रदर्शित किया है. साथ ही उन्होंने इन विजुअल आर्ट के माध्यम से ही 20 से अधिक अवार्ड अभी तक मिल चुके हैं. जिसमें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का अवार्ड भी शामिल है.
पेंटिंग बनाकर कला की शुरुआत की
साथ ही अनमोल माथुर का यह भी कहना है कि 'उनके पिता इंदौर की मिल मजदूरों में सिक्योरिटी इंचार्ज थे और वह हमेशा अपने पिता के साथ इंदौर की मिल में बनने वाली झांकियों को देखने के लिए जाया करते थे. इस दौरान उन्हें इस तरह तो कला को करीब से जानने का मौका मिला और खुद करने की एक लालसा उत्पन्न हुई. उसके बाद उन्होंने शुरुआती तौर पर तो पेंटिंग बनाकर इस कला की शुरुआत की, लेकिन धीरे-धीरे वह विजुअल आर्ट की ओर बढ़े और आज इस पायदान तक पहुंच चुके हैं.
23 साल की उम्र में पिता खोया
वहीं अनमोल माथुर का तो यहां तक कहना है कि 'जिस तरह से उन्होंने 20 से अधिक अवार्ड जीते हैं. उसके पीछे उनकी मां का बड़ा रोल है. अनमोल माथुर का कहना है कि जब वे 23 साल के थे तब उनके पिता की मौत हो गई थी. इसके बाद उनकी मां ने उनके शौक को जिंदा रखा और किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं आने दी. धीरे-धीरे मां की देखभाल और परिवार की जिम्मेदारी भी अनमोल पर आ गई, लेकिन उन्होंने अपने आर्ट से किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया. वह घर की देखरेख और मां की देखरेख करने के साथ ही कुछ समय अपने लिए निकालते हैं. आज भी वह बच्चों को ट्यूशन देकर घर चला रहे हैं, तो वहीं अपने आर्ट को भी जीवित रखे हुए हैं. साथ ही अनमोल का यह भी कहना है कि अब उनका अगला ड्रीम पदम अवार्ड है.