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भोपाल में बड़े तालाब के लिए खतरा बनेगा वेस्टर्न बायपास, बाघभ्रमण क्षेत्र पर भी होगा असर - bhopal western bypass

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 3, 2024, 10:55 PM IST

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भोपाल में बड़े तालाब के लिए खतरा बनेगा वेस्टर्न बायपास, बाघभ्रमण क्षेत्र पर भी होगा असर

एमपी सरकार ने राजधानी भोपाल में अधूरी पड़ी रिंग रोड को पूरा करने के लिए वेस्टर्न भोपाल बायपास निर्माण की योजना बनाई है. जबकि पर्यावरणविद वेस्टर्न बायपास को बड़े तालाब के लिए खतरा बता रहे हैं.

भोपाल। राजधानी में अधूरी रिंग रोड पूरी करने के लिए राज्य सरकार ने 41 किलोमीटर लंबे वेस्टर्न भोपाल बायपास के निर्माण की योजना बनाई है. इसका जिम्मा एमपीआरडीसी (मप्र रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन) को सौंपा है. एमपीआरडीसी ने भी दो वर्षों में निर्माण कार्य पूरा करने के लिए दिल्ली की एक कंपनी से अनुबंध किया है. ऐसे में जल्द ही यह परियोजना धरातल पर नजर आएगी. हालांकि इसके निर्माण में बड़े तालाब के कैचमेंट और चंदनपुरा का बाघ भ्रमण क्षेत्र भी शामिल है. जिसको लेकर शहर के पर्यावरणविद वेस्टर्न बायपास को बड़े तालाब के लिए खतरा बता रहे हैं.

वहीं छह किलोमीटर का वन क्षेत्र भी इसके दायरे में आ रहा है, इस पर भी उनकी आपत्ति है. पर्यावरणविदों की मांग है, कि बड़े तालाब के कैचमेंट और वन क्षेत्रों में फ्लाईओवर, अंडरपास व एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण किया जाए. जिससे जल, जंगल और वन्यजीवों का संरक्षण हो सके.

फायद: वेस्टर्न बायपास में बचेगा 15-20 मिनट का समय

वर्तमान भोपाल बायपास नर्मदापुरम रोड पर भैरोपुर से कोकता होते हुए सूखी से सेवनिया, अरलिया, कुराना, भौरी से भोपाल-इंदौर रोड तक बना है. यह 52 किमी लंबा है. यह बायपास होने के बाद भी कई वाहन शहर के अंदर से गुजरते हैं. वजह यह है कि यह रिंग रोड नहीं है. उसका आधा हिस्सा है. रिंग रोड को पूरा करने के लिए वेस्टर्न भोपाल बायपास प्लान किया गया है. इसके बनने का यह फायदा होगा कि नर्मदापुरम, जबलपुर, इंदौर से सीधी कनेक्टिविटी बेहतर होगी. शहर के उत्तरी-दक्षिण हिस्से से ट्रैफिक नए बायपास से ही बाहर निकल जाएगा. नर्मदापुरम, जबलपुर से इंदौर की ओर जाने वाले वाहनों को भीतर से गुजरने की जरूरत नहीं होगी. इससे यात्रा का समय कम से कम 15-20 मिनट कम हो जाएगा. वाहनों का ईंधन भी बचेगा.

नुकसान:कैंचमेंट में सड़क बनने से रुकेगा बड़े तालाब का पानी

पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे बताते हैं कि, 'यह सड़क करीब 12 किलोमीटर बड़े तालाब के 12 कैचमेंट गांव और कुलांस नदी के बहाव क्षेत्र से होकर गुजरेगी. दरअसल, भोपाल के बड़े तालाब में पानी, सीहोर और इसके आसपास के गांवों से बहकर आता है. यदि इसके बीच सड़क बना दी जाती है, तो वर्षा का पानी बड़े तालाब में नहीं पहुंचेगा. इससे अच्छा होता कि पुराने भोपाल-रायसेन मार्ग, जो नीलबड़, रातीबड़, सरवर और झागरिया होकर सीहोर बायपास में जुड़ता है. इस सड़क को सिक्स लेन कर दिया जाए. इससे निर्माण की लागत भी घटेगी और कैचमेंट का क्षेत्र भी प्रभावित नहीं होगा.

बाघ भ्रमण क्षेत्र में बने एलिवेटेड कॉरिडोर और अंडरपास

टाउन प्लानर प्रभाष जेटली का कहना है, कि यह सड़क रायसेन जिले में भैरापुर के आगे अथिया कला से शुरु होकर इंदौर रोड में फंदा कला पर समाप्त होगी. इसके बीच करीब छह किलोमीटर का रास्ता बाघ भ्रमण क्षेत्र से होकर गुजरेगा. इसमें कालापानी, महाबड़िया, बोरदा, धानपुर, काकड़िया, समसगढ़ और समसपुर शामिल है. यह क्षेत्र वन्य प्राणियों के विचरण और रहवास के साथ प्रजनन के लिए उपयुक्त है. यदि यहां से होकर सड़क गुजरती है, तो वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. जंगल में एक ओर से दूसरी ओर जाने के लिए जानवरों को सड़क पार करनी होगी. जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ेगी. इससे बचने के लिए जरुरी है, कि छह किलोमीटर के दायरे में अंडरपास और एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाए.

बड़े तालाब के लिए जरुरी है कैचमेंट क्षेत्र

भोज वेटलैंड के इतने लंबे समय तक संरक्षित रहने का एक महत्वपूर्ण कारण इसका ग्रामीण जलग्रहण क्षेत्र है. जो सदियों से अछूता रहा है. विशेष रूप से, बड़ा तालाब एक विशाल ग्रामीण जलग्रहण क्षेत्र को शामिल करती है, जिसमें कुल जलग्रहण क्षेत्र का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा शामिल है. जो भारत के एमपी के जिलों भोपाल और सीहोर में फैला हुआ है. कुलांस नदी बड़े तालाब के लिए जीवन रेखा और प्राथमिक जल स्रोत के रूप में कार्य करती है. आसपास का क्षेत्र जलग्रहण क्षेत्र का महत्वपूर्ण जल निकासी नेटवर्क बनाता है. इस क्षेत्र में जल निकासी पैटर्न वृक्ष के समान है, जो उत्तर-पश्चिम में ऊपरी झील की ओर बहती है. इस व्यापक ग्रामीण जलग्रहण क्षेत्र ने अद्वितीय और अच्छी तरह से संरक्षित वनस्पतियों और जीवों को आश्रय दिया है. जो इसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील बनाता है.

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इनका कहना

एमपी रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन एमडी अविनाश लवानिया ने कहा कि 'मामला संज्ञान में आने के बाद जीएम स्तर के अधिकारी को एक बार फिर निरीक्षण करने को कहा है. कोशिश की जाएगी कि बाईपास निर्माण से वन और कैचमेंट प्रभावित न हो.'

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