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कमलनाथ का गढ़ तोड़ने एड़ी चोटी का जोर, अमरवाड़ा विधायक BJP में शामिल - amarwada mla left congress

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 29, 2024, 6:38 PM IST

एमपी में बीजेपी कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को तोड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. एक-एक करके बीजेपी कमलनाथ के करीबियों को बीजेपी में शामिल करा रही है. इस बार कमलनाथ के विश्वसनीय अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है.

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कमलनाथ का गढ़ तोड़ने एड़ी चोटी का जोर, अब अमरवाड़ा विधायक बीजेपी में शामिल

कमलेश शाह के कांग्रेस छोड़ने पर कैबिनेट मंत्री का बयान

भोपाल। मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कमलनाथ के सांसद पुत्र नकुल नाथ की राह आसान नहीं है. बीजेपी इस सीट को छीनने के लिए कमलनाथ के करीबियों को घेरने में जुटी है. कमलनाथ के गढ़ और उनके विश्वसनीय अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इसके एक दिन पहले बीजेपी के तमाम नेता कमलनाथ के करीबी और नाराज चल रहे दीपक सक्सेना के घर पहुंचे थे. इससे साफ है कि इस बार छिंदवाड़ा में मुकाबला एक तरफा नहीं होने वाला है. पिछले चुनावों में बीजेपी-कांग्रेस के बीच हार-जीत के वोटों का अंतर कम हुआ है. 2019 में बीजेपी की हार का अंतर सिर्फ 37 हजार 536 वोटों का ही था.

बीजेपी में शामिल होने वाले कौन है कमलेश शाह

छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कमलेश शाह ने बीजेपी की मोनिका बट्टी को चुनाव हराकर जीत दर्ज की थी. कमलेश शाह अमरवाड़ा सीट से तीसरी बार चुनकर आए हैं. इसके पहले 2013 और 2018 में भी वे बीजेपी उम्मीदवार को हरा चुके हैं. कमलेश शाह हर्रई राज परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी पत्नी माध्वी शाह नगर पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. कमलेश शाह कमलनाथ के करीबी रहे हैं.

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कमलेश शाह ने ज्वाइन की बीजेपी

अब कैसे बदलेंगे समीकरण

कांग्रेस विधायक कमलेश शाह को पार्टी में शामिल कराकर बीजेपी ने एक तरह से कमलनाथ के गढ़ में सेंध लगा दी है. अमरवाड़ा सीट पर पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस का कब्जा रहा है. अमरवाड़ा छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में आने वाले 7 विधानसभा सीटों में से एक है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तमाम कोशिश के बाद सभी 7 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने ही जीत दर्ज की थी. इन सभी 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस विधायक हैं. कमलेश शाह के बीजेपी में आने से समीकरण बिगड़ गए हैं. इसके पहले कमलनाथ के करीबी दीपक सक्सेना के बेटे भी बीजेपी में आ चुके हैं. दीपक सक्सेना पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं, हालांकि वे अभी तक बीजेपी सहित किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं.

लोकसभा में घट रहा वोटों का आंकड़ा

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कमलनाथ का सबसे मजबूत गढ़ रहा है. इस गढ़ को बीजेपी सिर्फ एक बार ही भेदने में कामयाब हो पाई है. 1997 में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को करीब 38 हजार वोटों से हराया था, लेकिन इसके बाद हुए चुनाव में पटवा कमलनाथ से हार गए थे. 1980 से लेकर 2019 तक 12 लोकसभा और उपचुनाव में से कमलनाथ परिवार 11 बार जीतकर आया है.इस सीट से कमलनाथ 1980, 1984, 1989, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसद बने हैं. जबकि 1996 में कमलनाथ की पत्नी अल्कानाथ और 2019 में बेटे नकुलनाथ सांसद बने.

हालांकि पिछले लोकसभा चुनावों में लगातार छिंदवाड़ा में हार-जीत का अंतर कम होता जा रहा है.

  1. 2009 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ ने बीजेपी के मारोत राव खवसे को 1लाख 21 हजार वोटों से हराया था.
  2. 2014 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ ने बीजेपी के चंद्रभान सिंह को 1 लाख 16 हजार वोटों से हराया.
  3. 2018 के विधानसभा उपचुनाव में भी उनकी जीत का अंतर सिर्फ 25 हजार वोटों का था.
  4. 2019 के लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ और बीजेपी के नत्थन शाह के बीच जीत-हार का अंतर सिर्फ 37 हजार 536 वोटों का रह गया.
  5. 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ भी छिंदवाड़ा सीट से सिर्फ 36 हजार वोटों से जीत पाए थे.

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यही वजह है कि बीजेपी यह मानकर चल रही है कि यदि पूरी कोशिश की जाए तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस के इस अभेद किले को भेदा जा सकता है.

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