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दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग मोटापे का शिकार: लांसेट अध्ययन

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By PTI

Published : Mar 1, 2024, 1:39 PM IST

Lancet study report
मोटापे से ग्रस्त बच्चे

Lancet study : दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है. द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण के अनुसार, 2022 में भारत में पांच से 19 वर्ष की आयु के लगभग 12.5 मिलियन बच्चे अधिक वजन वाले थे. 12.5 में से 7.3 मिलियन लड़के और 5.2 मिलियन लड़कियां थीं. पढ़े पूरी खबर...

नई दिल्ली : दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है. ‘द लांसेट’ पत्रिका में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण में यह जानकारी दी गई. शोधकर्ताओं ने साथ ही बताया कहा कि 1990 के बाद से सामान्य से कम वजन वाले लोगों की संख्या कम हो रही है और मोटापा अधिकतर देशों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन गया है. मोटापा और कम वजन दोनों ही कुपोषण के रूप हैं और कई मायनों में लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.

एनसीडी जोखिम कारक सहयोग (एनसीडी-रिस्क) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैश्विक डेटा के विश्लेषण के अनुसार, दुनियाभर के बच्चों और किशोरों में 2022 में मोटापे की दर 1990 की दर से चौगुनी रही. अध्ययन में कहा गया है कि वयस्कों में, मोटापे की दर महिलाओं में दोगुनी से अधिक और पुरुषों में लगभग तिगुनी हो गई। अध्ययन के अनुसार, 2022 में 15 करोड़ 90 लाख बच्चे एवं किशोर और 87 करोड़ 90 लाख वयस्क मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं.

अध्ययन के अनुसार 1990 से 2022 तक विश्व में सामान्य से कम वजन वाले बच्चों और किशोरों की संख्या में कमी आई है. दुनियाभर में समान अवधि में सामान्य से कम वजन से जूझ रहे वयस्कों का अनुपात आधे से भी कम हो गया है. यह ताजा अध्ययन पिछले 33 साल में कुपोषण के दोनों रूपों संबंधी वैश्विक रुझानों की विस्तृत तस्वीर पेश करता है. ब्रिटेन के ‘इंपीरियल कॉलेज लंदन’ के प्रोफेसर माजिद इज्जती ने कहा कि यह बहुत चिंताजनक है कि मोटापे की महामारी जो 1990 में दुनिया के अधिकतर हिस्सों में वयस्कों में साफ नजर आती थी, अब स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों में भी दिखाई देती है.

इज्जती ने कहा, 'इसके अलावा, खासकर दुनिया के कुछ सबसे गरीब हिस्सों में करोड़ों लोग अब भी कुपोषण से पीड़ित हैं. कुपोषण के दोनों रूपों से सफलतापूर्वक निपटने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम स्वस्थ एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ाएं और इसे किफायती बनाएं. शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए 190 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच वर्ष या उससे अधिक उम्र के 22 करोड़ से अधिक लोगों के वजन और लंबाई का विश्लेषण किया.

इस अध्ययन में 1,500 से अधिक शोधकर्ताओं ने योगदान दिया. उन्होंने यह समझने के लिए शरीर द्रव्यमान सूचकांक(बीएमआई) का विश्लेषण किया कि 1990 से 2022 के बीच दुनिया भर में मोटापे और सामान्य से कम वजन की समस्या में क्या बदलाव आया है.अध्ययन में पाया गया कि 1990 से 2022 के बीच वैश्विक स्तर पर मोटापे की दर लड़कियों और लड़कों में चार गुना से अधिक हो गई है और यह चलन लगभग सभी देशों में देखा गया है.

शोधकर्ताओं ने बताया कि सामान्य से कम वजन वाली लड़कियों का अनुपात 1990 में 10.3 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 8.2 प्रतिशत हो गया और लड़कों का अनुपात 16.7 प्रतिशत से गिरकर 10.8 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने कहा कि लड़कियों में सामान्य से कम वजन की दर में कमी 44 देशों में देखी गई, जबकि लड़कों में यह गिरावट 80 देशों में देखी गई.

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