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लोकसभा चुनाव को देखने आए 10 देशों के नेता, बांग्लादेश की आवामी लीग क्यों है महत्वपूर्ण? - Foreign delegates in India

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By Aroonim Bhuyan

Published : May 1, 2024, 11:00 PM IST

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बांग्लादेश की अवामी लीग 10 देशों के उन 18 राजनीतिक दलों में शामिल है, जो चल रही लोकसभा चुनाव प्रक्रिया को देखने के लिए भाजपा के निमंत्रण पर भारत आए हैं. ऐसे में सवाल है कि, अवामी लीग को निमंत्रण का क्या खास महत्व है? साथ ही दूसरे देशों से आने वाली पार्टियां वैश्विक राजनीतिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण हैं...?

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 का प्रत्यक्ष अनुभव लेने के लिए 10 देशों के 18 राजनीतिक दलों के विदेशी राजनेता भारत पहुंचे हुए हैं. विदेशी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में बांग्लादेश की अवामी लीग को निमंत्रण देने का क्या राजनीतिक महत्व हैं. इसे द्विपक्षीय संबंधों को एक बड़े बढ़ावा के रूप में देखा जा सकता है. बता दें कि, बांग्लादेश की सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी ने भाजपा के निमंत्रण पर भारत में चल रहे लोकसभा चुनावों का निरीक्षण करने के लिए अपना प्रतिनिधि भेजने का फैसला किया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार , बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने दुनिया के सबसे बड़े चुनावों को देखने के लिए 1 से 5 मई तक भारत का दौरा करने के लिए संसद सदस्य और अवामी लीग के सूचना और अनुसंधान सचिव सलीम महमूद को चुना है. कथित तौर पर वह अपनी यात्रा के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ बैठकें करेंगे. उन्हें उस राज्य में भाजपा के चुनाव अभियान को प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए छत्तीसगढ़ भी ले जाया जाएगा. बांग्लादेश उन 10 देशों में से एक है जहां से भाजपा ने सत्तारूढ़ भारतीय पार्टी के चुनाव अभियान के साथ-साथ समग्र चुनाव प्रक्रिया को देखने के लिए राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है.

बीजेपी ने दूसरे देशों के किन राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है?
भाजपा के विदेश मामलों के विभाग के प्रभारी विजय चौथाइवाले द्वारा बुधवार को जारी एक बयान के अनुसार, 10 देशों के 18 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भाजपा के चुनाव अभियान का प्रत्यक्ष अनुभव और जानकारी प्राप्त करने के लिए भारत आ रहे हैं. बांग्लादेश की अवामी लीग के अलावा, आमंत्रित अन्य देशों की अन्य पार्टियों में ऑस्ट्रेलिया से लिबरल पार्टी, वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी, इजरायल से लिकुड पार्टी, युगांडा से नेशनल रेिजस्‍टेंस मूवमेंट, तंजानिया से चामा चा मापिंदुज़ी, रूस से यूनाइटेड रशिया पार्टी, श्रीलंका से श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना एवं यूनाइटेड नेशनल पार्टी, नेपाल से नेपाली कांग्रेस, जनमत पार्टी, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी), नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) एवं राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अलावा मॉरीशस से मिलिटेंट सोशलिस्ट मूवमेंट, मॉरीशस लेबर पार्टी, मॉरिशियन मिलिटेंट मूवमेंट और मॉरिशियन सोशल डेमोक्रेट सहित दुनिया के 10 देशों के 18 राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं.

बांग्लादेश से अवामी लीग का निमंत्रण क्यों है अहम?
बांग्लादेश की शैक्षणिक और सामाजिक कार्यकर्ता शरीन शाहजहां नाओमी, जो वर्तमान में भारत में केआरईए विश्वविद्यालय में अपनी पोस्ट-डॉक्टरल फ़ेलोशिप कर रही हैं, ने ईटीवी भारत को बताया, 'यह भारत के लिए बांग्लादेश के महत्व को दर्शाता है'..भारत चाहता है कि बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत हो.' गौरतलब है कि इस साल जनवरी में हुए बांग्लादेश के संसदीय चुनावों के दौरान अवामी लीग दोबारा सत्ता में चुनी गई थी. उन चुनावों से पहले, मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और इस्लामी ताकतों सहित उसके सहयोगियों ने मांग की थी कि एक अंतरिम सरकार स्थापित की जाए. हालांकि, शेख हसीना ने इस मांग को खारिज कर दिया. इसके बाद कई विपक्षी पार्टियों ने चुनाव का बहिष्कार किया. अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों ने भी बांग्लादेश में चुनाव से पहले चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोशिश की. हालाँकि, भारत यह कहते हुए तटस्थ रहा कि बांग्लादेश में चुनाव पूरी तरह से उस देश का आंतरिक मामला है.

शेख हसीना कब आएंगी भारत?
सत्ता में वापसी के बाद शेख हसीना भारत की द्विपक्षीय मेजबानी करने वाली हैं. भारत भी उनकी मेजबानी करने का इच्छुक है और विदेश सचिव विनय क्वात्रा इसको लेकर ढाका जाने वाले थे. हालांकि, इसे स्थगित कर दिया गया. जानकारी के मुताबिक हसीना अब कथित तौर पर अगले प्रधान मंत्री के नई दिल्ली में कार्यभार संभालने के बाद ही यात्रा करना चाहती हैं. नाओमी के मुताबिक, भारत बांग्लादेश को सच्चा सहयोगी और साझेदार बनाना चाहता है. उन्होंने बताया कि यह रवैया व्यापार संबंधों, शिक्षा, मीडिया, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग में प्रतिबिंबित होगा और इस तरह के मैत्रीपूर्ण भाव के निहितार्थ बहुत बड़े हैं. यह धार्मिक उग्रवाद, गरीबी और बेरोजगारी को रोकने में पूरे दक्षिण एशिया में शांति और एकजुटता को बढ़ावा देगा. नाओमी ने आगे बताया कि पिछले आठ सालों में अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे धर्मनिरपेक्ष पार्टी रही है.

अवामी लीग धार्मिक उग्रवाद पर समझौता नहीं किया
उन्होंने कहा कि, 2016 में ढाका में होली आर्टिसन बेकरी पर हुए आतंकी हमले के बाद से अवामी लीग धार्मिक उग्रवाद और उग्रवाद पर कोई समझौता नहीं किया है. उन्होंने कहा कि, अन्य विपक्षी दलों का झुकाव धार्मिक अतिवाद की ओर अधिक है. ऐसे में उन अन्य विदेशी राजनीतिक दलों के बारे में क्या, जिन्हें आमंत्रित किया गया है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने इजरायली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू के साथ घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध हैं, जो लिकुड पार्टी के नेता भी हैं जिन्हें आमंत्रित किया गया है. इसी तरह, व्लादिमीर पुतिन, जिन्हें इस साल की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुना गया था, यूनाइटेड रशिया पार्टी से जुड़े हुए हैं. हालांकि, पुतिन ने इस साल का राष्ट्रपति चुनाव स्वतंत्र कार्ड पर जीता था. पुतिन के भी मोदी के साथ घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध हैं.

श्रीलंका और भारत के बीच संबंध
श्रीलंका के दो प्रमुख राजनीतिक दलों, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना और मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे, जो द्वीप राष्ट्र की राजनीतिक विविधता की एक झलक प्रदान करेंगे. भारत के दक्षिणी पड़ोसी देश में इस साल के अंत में राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव होने वाले हैं. मॉरीशस पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से भारत के लिए एक प्रमुख रणनीतिक भागीदार के रूप में उभरा है. इस साल फरवरी में, मोदी और उनके मॉरीशस समकक्ष प्रविंद जुगनाथ ने छह सामुदायिक विकास परियोजनाओं के साथ-साथ एक नई हवाई पट्टी और एक जेटी का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. हालांकि परियोजनाओं के उद्घाटन को भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत विकास साझेदारी के प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन असली बात यह है कि नई दिल्ली को अब पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में एक रणनीतिक समुद्री गढ़ मिल गया है. मॉरीशस से कई दलों के निमंत्रण को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए.

नेपाल भारत संबंध
नेपाल में इस साल मार्च में एक नया कम्युनिस्ट गठबंधन सत्ता में आया. चीन सक्रिय रूप से काठमांडू में नई सरकार को लुभाने में लगा हुआ है. हालांकि, नेपाल भी हिमालयी राष्ट्र में चीनी प्रभाव के बारे में भारत की चिंताओं के प्रति संवेदनशील है. अगर भाजपा के सत्ता में दोबारा आने से उस देश से विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों को आमंत्रित करके द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने में काफी मदद मिलेगी. युगांडा और तंजानिया के दलों को निमंत्रण दुनिया की आवाज के रूप में भारत की स्थिति का एक और प्रतिबिंब है. पिछले साल सितंबर में, G20 के अध्यक्ष के रूप में, भारत ने अफ़्रीकी संघ को अंतर-सरकारी संगठन में शामिल किया. यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि भारत अफ्रीकी देशों, बांग्लादेश, मॉरीशस, नेपाल और श्रीलंका का एक प्रमुख विकास सहायता भागीदार भी है.

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