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Ranthambore's man-eater tiger strikes again, kills 2 in a month

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Published : Sep 14, 2019, 10:43 AM IST

Ranthambore's man-eater tiger strikes again, kills 2 in a month

A man's body was found a few metres away from the spot where the attack took place. Teams from Jaipur and Kota were being sent to tranquilize and catch the tiger.

Karauli (Rajasthan): T-104, a tiger who was constantly straying out of the Ranthambore Tiger Reserve has killed his third victim on Friday in Medpura-Basari village of Karauli district.

With T-104 reported to have been prowling near human settlements in the regions of Sawai Madhopur and Karauli, the forest department is now trying to locate and capture the tiger.

Allegedly, the incident took place when the tiger was wandering out of the National Ranthambore Sanctuary near the Kailadevi forest area in search of its shelter and attacked his third victim.

Three teams of Jaipur Kota Ranthambore Sanctuary are continuously trying to track the tiger.

T-104 has killed three people in eight months in Ranthambore's Sawaimadhopur village and nearby areas.

After the incident, the team of Ranthambore, Kota and Jaipur Forest Department is having a hard time to tranquilize T-104.

Ever since the tiger was separated from her mother Laila T-41, he is wandering in search of new territory.

T-104 first attack Rundhambore's Kundera on 2 February 2019 which killed Munni Devi.

This tiger turned to the Kailadevi forest area where it made a second attack on Roop Singh of Karauli city.

According to departmental officials, T-104 is not a man-eater yet as per the rules of the forest department, it can be called a man killer.

Although officials are not saying that T-104 has turned into a “man-killer,” the animal's sudden behavior can be traced when it was chased away from the Reserve by “dominant males,” stated a report.

Manoj Parashar, Chief Conservator of Forests said," T-104 will be tranquilized soon. Once he is caught, T-104 will be left in the enclosure made at Amli in Ranthambore so that no human can become a victim of it."

Manoj Parashar, Chief Conservator of Forests said, "T-104 will be tranquilized soon. Once he is caught, T-104 will be left in the enclosure made at Amli in Ranthambore so that no human can become a victim of it."

The National Tiger Conservation Authority (NTCA) will oversee the decision and will base it as per their standard operating procedure.

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Intro:राष्ट्रीय रणथम्भौर अभ्यारण से निकल कर अपने आशियाने की तलाश में भटक रहा बाघ टी-104  ने कैलादेवी वन क्षेत्र की ओर रुख कर करौली जिले के मेदपुरा बासारी ग्राम में गुरुवार को युवक पर हमला कर दिया.. हमले में युवक की मौत हो गई.. इससे पहले भी इस बाघ ने एक चारवाहे और महिलाओं को अपना शिकार बनाया था.. ऐसे में अब तक इस बाघ ने हमला कर तीन जनों को अपना शिकार बना लिया.. ऐसे में इस बाघ के नरभक्षी होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता... बाघ को ट्रैकूलाइज करने के लिए जयपुर कोटा रणथंबोर अभ्यारण की तीन टीम लगातार ट्रैकिंग कर रही है.. लेकिन बाघ के सपोटरा के घंटेश्वर की खो के पास मुमेंट होने से ग्रामीणों में भी दहशत का माहौल है...


Body:नरभक्षी हो गया बाघ टी-104 तीसरी बार किया इंसान का शिकार,

करौली

राष्ट्रीय रणथम्भौर अभ्यारण से निकल कर अपने आशियाने की तलाश में भटक रहा बाघ टी-104  ने कैलादेवी वन क्षेत्र की ओर रुख कर करौली जिले के मेदपुरा बासारी ग्राम में गुरुवार को युवक पर हमला कर दिया.. हमले में युवक की मौत हो गई.. इससे पहले भी इस बाघ ने एक चारवाहे और महिलाओं को अपना शिकार बनाया था.. ऐसे में अब तक इस बाघ ने हमला कर तीन जनों को अपना शिकार बना लिया.. ऐसे में इस बाघ के नरभक्षी होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता... बाघ को ट्रैकूलाइज करने के लिए जयपुर कोटा रणथंबोर अभ्यारण की तीन टीम लगातार ट्रैकिंग कर रही है.. लेकिन बाघ के सपोटरा के घंटेश्वर की खो के पास मुमेंट होने से ग्रामीणों में भी दहशत का माहौल है...

करौली के कैला देवी वन अभ्यारण्य मे विचरण कर रहा बाघ टी 104 इंसानी खून का प्यासा हो चुका है...सवाईमाधोपुर जिले के रणथंभोर की लैला टी 41 का लाडला टी 104 महज आठ माह में तीन जनों को मौत के घाट उतार चुका है.. बीते दिन ही टी 104 ने करौली के कैलादेवी वन क्षेत्र में पिंटू माली नामक युवक को मौत के घाट उतार दिया...घटना के बाद से ही रणथंभौर , कोटा और जयपुर वन विभाग की टीम टी 104 को ट्रंकुलाइज करने के लिये कड़ी मशक्कत कर रही है । मगर अभी तक टीम को सफलता नही मिल पाई है.. अपनी माँ लैला टी 41 से अलग होने के बाद से ही टी 104 अपनी नई टैरेटरी की तलाश में दरबदर भटक रहा है..टी 104 ने पहला हमला 2 फरवरी 2019 को रणथंभोर की कुंडेरा रेंज में शौच के गई पाडली गांव की मुन्नी देवी पर किया था.. मुन्नी देवी को मौत के घाट उतारने के बाद टी 104 कुछ दिनों तक रणथभोर के जंगलों में टैरेटरी की तलाश में भटकता रहा और अन्य शक्तिशाली बाघों के दबाव के कारण आखिरकार इस बाघ ने कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया.. जहाँ इसने दूसरा हमला करौली शहर की दुर्गेश घटा के नाहरदेह में रूपसिंह नामक चारवाहे पर किया.. रूपसिंह को मौत के घाट उतार ने बाद वन विभाग की टीम द्वारा टी 104 को ट्रंकुलाइज किया गया और एक बार फिर उसे रणथंभोर के जंगलों में छोड़ दिया गया.. लेकिन टी 104 ज्यादा दिनों तक रंथम्भोर के जंगलों में नही ठहर पाया और इस बाघ ने एक बार फिर कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया..हालांकि इस दौरान वन विभाग की टीम द्वारा लगातार टी 104 की ट्रेकिंग की जा रही थी..

टी 104 बाघ है मैन किलर

बीते दिन 12 सितम्बर 2019 गुरुवार को इस बाघ ने एक बार फिर पिंटू माली नामक युवक पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया.. टी 104 अब तक तीन लोगो को मौत के घाट उतार चुका है.. जिसे देखकर तो यही लगता है कि टी 104 का स्वभाव उग्र हो चुका है और यह इंसानी खून का प्यासा बन चुका है.. टी 104 के स्वभाव में आये इस परिवर्तन को लेकर वन प्रशासन चिंतित है.. हालांकि वाईल्ड लाईफ तथा एनटीसीए के विभागीय नियमो के अनुरूप अभी तक टी 104 को आदमखोर नही कहा जा सकता.. विभागीय अधिकारियों की माने तो वन विभाग के नियमो के अनुरूप टी 104 अभी तक मैन हीटर नही है.. बल्कि इसे मैन किलर कहा जा सकता है.. मैन हीटर उस बाघ को कहा जाता है जो अपने पारम्परिक शिकार को छोड़कर इंसानों को चुन चुन कर मारे.. जिसके इंसानी खून पुरी तरह से मुंह लग चुका हो.. वही मैन किलर उस बाघ को कहा गया जिस बाघ के द्वारा परिस्थिती वस इंसानों पर हमला किया गया हो.. टी 104 द्वारा भले ही अब तक तीन लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका हो मगर वन विभाग के नियमानुसार विभागीय अधिकारी इसे अभी तक ना तो आदमखोर मान रहे है और ना ही मैन हीटर.. टी 104 को अभी तक मैन किलर की श्रेणी में माना जा रहा है..

 ट्रेंकुलाइज होने के बाद टी-104 को छोडा जायेगा एनक्लोजर मे,

 वन विभाग के सीसीएफ मनोज पाराशर ने बताया की टी 104 को जल्द ही ट्रंकुलाइज कर लिया जायेगा.. विभागीय अधिकारियों के अनुसार टी 104 को इस बार रणथंभोर के आमली में बनाये गये एनक्लोजर में छोड़ा जायेगा ताकि ओर कोई इंसान इसका शिकार ना बन सके.. टी 104 के स्वभाव में आये परिवर्तन को लेकर विभागीय अधिकारियों का कहना है की टी 104 अपनी नई टैरेटरी की तलाश में है.. लेकिन रणथंभोर में अन्य शक्तिशाली बाघों के कारण वो टैरेटरी बनाने में सफल नही हो पाया और टैरेटरी ली तलाश में कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया.. रणथंभोर के जंगलो से बाहर निकलने के बाद बाघ को आबादी क्षेत्रो के आस आस आसानी से शिकार मिलने के कारण यह बाघ अब जंगल की बजाय खुले खेतों और आबादी क्षेत्र की तरफ अधिक जा रहा है और इसी वजह से टी 104 अब तक तीन लोगों को मौत के घाट उतार चुका है.. टी 104 के स्वभाव में आये बदलाव को देखते हुऐ ही वन विभाग द्वारा इसे इस बार आमली स्थित एनक्लोजर में रखने का निर्णय लिया गया है.. ट्रेंकुलाइज होने के बाद इसे एनक्लोजर में छोड़ा जायेगा..

बाईट--मनोज पाराशर सीसीएफ रणथंभोर बाघ परियोजना,


Conclusion:
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