उत्तराखंड

uttarakhand

सेलकु मेले में मायके आई बेटियां चढ़ाती हैं भेंट, डांगरियों पर आसन लगाते हैं सोमेश्वर देवता

By

Published : Sep 17, 2021, 6:19 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 6:56 PM IST

selku fair
सेलकु मेला

देवभूमि उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के साथ विभिन्न पर्व और परंपराओं को समेटे हुए है. यहां के लोकपर्व, तीज-त्योहार और परंपराएं इस पावन धरा को अलग ही पहचान दिलाते हैं. इन्हीं त्योहारों में सोमेश्वर देवता का सेलकु मेला भी शामिल है. ये मायके आई बेटियों के लिए खास होता है. जानिए क्या है सेलकु मेले का महत्व.

उत्तरकाशीः'चल घूमी ओंला गेल्या ऊंचा टकनौरा, तख ध्यानियों कु थो सेलकु त्योहारा...'यह लोकगीत टकनौर क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है. यह लोकगीत यहां के सेलकु मेले पर बना है, जो इन दिनों मेलों में खूब छाया हुआ है. यह मेला सोमेश्वर देवता को समर्पित है. इस मेले में देवपश्वा डांगरियों (छोटी कुल्हाड़ी) के ऊपर चलकर अपना आसन लगते हैं. वहीं, ग्रामीण भगवान सोमेश्वर को ब्रह्मकमल का प्रसादचढ़ाते हैं. जबकि, सुसराल से मायके आई बेटियां भगवान सोमेश्वर को अपनी भेंट देती हैं और आशीर्वाद लेती हैं.

उत्तरकाशी जिले में उपला टकनौर समेत टकनौर और मोरी विकासखंड के ऊंचाई वाले गांवों के आराध्य देव सोमेश्वर देवता के पौराणिक सेलकु मेले का समापन हो गया है. मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव में भी सेलकु मेले का आयोजन हुआ. मुखबा गांव में आयोजित दो दिवसीय सेलकु मेले में जहां पहली रात ग्रामीणों ने भेलों को घुमाकर और देवडोली के साथ रासो तांदी लगाया तो वहीं, दूसरे दिन ब्रह्मकमलके साथ भगवान सोमेश्वर की पूजा की गई. उसके बाद सोमेश्वर देवता पश्वा पर अवतरित हुए और डांगरियों के ऊपर अपना आसन लगाकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी की.

सेलकु मेले की धूम.

ये भी पढ़ेंःउत्तरकाशीः नंगे पांव तेज धार की कुल्हाड़ियों चलते हैं पश्वा, आप भी देखकर रह जाएंगे अंचभित

मायके आई बेटियों का होता है सेलकु मेलाः मुखबा गांव में सेलकु मेला भव्यता के साथ मनाया जाता है. क्योंकि, सोमेश्वर देवता का मुख्य स्थान यहां माना जाता है और यह दिन सुसराल गई बेटियां के लिए महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि, इस दिन गांव की सभी बेटियां मायके पहुंचकर अपने आराध्य देव को भेंट चढ़ाकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं.

यह मेला बहुत ही पौराणिक है और ग्रामीणों घरों में स्थानीय पकवान बनाकर मेहमानों की आवभगत करते हैं. स्थानीय बोली में 'सेलकु' का अर्थ होता है 'सोएगा कौन'. इसलिए ग्रामीण पहले पूरी रात लोकनृत्यों का आयोजन करते हैं. मेले के समापन पर सभी मेहमानों को ब्रह्मकमल भेंट कर खुशहाली की कामना कर विदा किया जाता है.

Last Updated :Sep 17, 2021, 6:56 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details