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वैज्ञानिकों ने कूड़ा निस्तारण पर दिया अहम सुझाव, बढ़ेंगे आय के श्रोत

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Published : Sep 18, 2021, 7:30 PM IST

Updated : Sep 18, 2021, 7:58 PM IST

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय और गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कूड़े से आय का श्रोत खोज निकाला है. वैज्ञानिकों ने कूड़े के निस्तारण को लेकर बेहद अहम सुझाव दिए हैं.

Srinagar garbage News
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श्रीनगर: उत्तराखंड में कूड़ा निस्तारण की समस्या आम हो चली है. गावों के शहरीकरण के दौर में बेतहाशा कूड़ा तो हो रहा है, लेकिन उसका निस्तारण, उससे भी बड़ी समस्या बन कर उभर रहा है. वैज्ञानिकों ने इस कूड़े के निस्तारण को लेकर बेहद अहम सुझाव दिए हैं. अगर इन सुझावों पर गौर किया जाये तो कूड़े के निस्तारण की समस्या तो हल होगी ही, इससे आय के स्रोत भी बढ़ सकेंगे.

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि में बायो मैनेजमेंट को लेकर वैज्ञानिकों ने एक दिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लिया. कार्यशाला में गढ़वाल विवि के वैज्ञानिकों के साथ-साथ जीबी पंत विवि के वैज्ञानिक भी शामिल हुए. कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने इस बात पर जोर दिया कि कूड़े से आय के स्रोतों को बढ़ाया जा सकता है.

वैज्ञानिकों ने कूड़ा निस्तारण पर दिया अहम सुझाव.

वैज्ञानिकों ने कहा कि उत्तराखंड के छोटे-छोटे शहरों से लेकर पर्यटन स्थलों में सड़ने वाला कूड़ा बढ़ रहा है, जिसकी मात्रा कूड़े में 75 से 85 फीसदी है. इसका निस्तारण आसानी से किया जा सकता है. इसके लिए हर शहर में कूड़े को घर से उठाना पड़ेगा और इस कूड़े को एनर्जी में बदलना होगा. इसे बायो कंपोजिट करके अलग किया जा सकता है.

जीबी पंत विवि के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जेसी कुनियाल ने बताया कि कूड़े से कोई भी व्यक्ति अच्छी खासी आमदनी कर सकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए कूड़े से गलने वाले कूड़े को अलग करना पड़ता है. वैज्ञानिक कुनियाल ने बताया कि सड़े गले कूड़े से बनाई गई खाद जब उन्होंने खेतों में डाली तो 26 कुंतल प्रति हेक्टेयर पर उन्होंने गार्लिक, बींस, फूलगोभी, बंद गोभी जैसी अन्य बहुत सब्जियां उगाईं, जिनकी अच्छी पैदावार हुई.

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उन्होंने कहा कि नगर पालिका और नगर निगम कूड़े से आय के अच्छे साधन अर्जित कर सकते हैं. इसके लिए पालिकाओं को घर-घर जाकर कूड़ा एकत्र करना होगा. उस कूड़े को अलग कर खाद तैयार करनी होगी, जिससे आय के स्रोत जनरेट होंगे. इसके साथ ही प्लास्टिक कूड़े को फेंकने की बजाय उससे सजावटी सामान बनाया जा सकता है.

वहीं, गढ़वाल विवि के वैज्ञानिक प्रोफेसर आरसी सुदरियाल ने बताया कि गढ़वाल विवि भी ग्रीन कैम्पस का निर्माण करके उसमें बायो वेस्ट का उपयोग कर ग्रीन बेल्ट लगाने का कार्य कर रहा है. इससे वहां लगाए जाने वाले आम, सेब, आड़ू और लीची की पौध तैयार कर मार्केट में उतारे जाएंगे, जिससे विवि की आय बढ़ेगी. साथ में वे काश्तकारों को भी इस कार्य को करने के लिए प्रेरित करेंगे.

Last Updated :Sep 18, 2021, 7:58 PM IST

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