देहरादून:स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हुए क्लाइमेट समिट में विश्व के बड़े-बड़े नेता जुटे थे. जो खबरों का केंद्र भी रहे, लेकिन इस बीच वहां मौजूद रही उत्तराखंड की एडवोकेट स्निग्धा तिवारी भी चर्चा का विषय बनी रहीं. उत्तराखंड उच्च न्यायालय की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी को एशिया प्रशांत ग्रीन फेडरेशन की ओर से ग्लोबल ग्रीन के प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया था.
ग्लासगो में अपने संबोधन में अधिवक्ता स्निग्धा ने कहा कि यहां मैं अपने देश का ही नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन को लेकर पूरे ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व कर रही हूं. जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा नुकसान हिमालयी राज्य उत्तराखंड को भुगतान पड़ रहा है, जहां से मैं आती हूं. भारत से सफर करके मैं ग्लासगो इसलिए पहुंची हूं ताकि अपनी आवाज आप लोगों तक पहुंचा सकूं. हमारे लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. उनके खेत खलिहान और मकान आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं. उत्तराखंड में बीते दिनों आई आपदा से कारण सड़कें बंद हैं. सैकड़ों लोग यहां-वहां फंसे थे. इसलिए हमें जलवायु परिवर्तन को लेकर ठोस कदम उठाने होंगे.
स्निग्धा ने कहा कि हम जिस तरह के जलवायु संकट से गुजर रहे हैं. उसी का कारण है कि Global Action Day के मौके पर हमने मार्च निकाला. जो जलवायु परिवर्तन के खतरे को देखते हुए इस पर तत्काल ठोस कदम उठाये जाने की मांग को लेकर है. ऐसे में ग्लासगो में जो क्लाइमेट चेंज सम्मेलन चल रहा है कि उसमें कोई वास्तविक कदम जलवायु संकट को लेकर नहीं उठाये गए हैं. जो यह सुनिश्चित करें कि हमारे लोग सुरक्षित हैं, उन्हें जीने का अधिकार है जो प्राकृतिक आपदाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं. मैं इसलिए यहां आई हूं, हमें पुनर्मूल्यांकन करना होगा. जो जलवायु परिवर्तन से कारण उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के उपायों का सुनिश्चित करें. हरित आश्वासन हमें नहीं चाहिए. जलवायु में हो रहे परिवर्तन से दक्षिणी देश झुलस रहे हैं. हमारे कुछ साथी दक्षिणी देशों से आए हैं. ग्लासगो में हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के लिए कुछ ठोस कदम उठाये जाएं. मुझे आप लोगों का समर्थन चाहिए.