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Joshimath Crisis: जोशीमठ के प्रभावित बोले- दरारों में मिट्टी पाटने का हो रहा काम, सरकार छुपा रही अपनी नाकामी

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Published : Feb 8, 2023, 12:46 PM IST

हरिद्वार के मातृ सदन में विश्व पर्यावरण सम्मेलन होने जा रहा है. इसमें प्रतिभाग करने के लिए जोशीमठ के प्रभावित लोग हरिद्वार पहुंचने शुरू हो गए हैं. हरिद्वार पहुंचे जोशीमठ आपदा प्रभावितों ने आपबीती सुनाते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि जो लोग अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्हें माओवादी तक कहा जा रहा है. सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए इस तरह के बयानबाजी कर रही है.

Matri Sadan Haridwar
मातृ सदन का आरोप

जोशीमठ आपदा प्रभावितों का सरकार पर आरोप

हरिद्वारः जोशीमठ में दरार और भू धंसाव से हालात बिगड़ते जा रहे हैं. जोशीमठ के प्रभावित लोग विस्थापन और मुआवजे समेत अन्य मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रभावितों का आरोप है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से आंदोलनरत लोगों को माओवादी बताया जा रहा है. इसे लेकर हरिद्वार पहुंचे जोशीमठ के लोगों ने सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की है. उनका कहना है कि जोशीमठ में जो भी लोग आंदोलन कर रहे हैं, वो सभी प्रभावित हैं. उन्होंने सरकार पर नाकामियों को छुपाने का आरोप लगाया है.

मातृ सदन में होगा विश्व पर्यावरण सम्मेलनःजोशीमठ में दरार और भू धंसाव को लेकर हरिद्वार स्थित मातृ सदन आश्रम में आगामी 12, 13 और 14 फरवरी को विश्व पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. इसमें प्रतिभाग करने के लिए जोशीमठ प्रभावित लोग और कई जानी मानी हस्तियां हरिद्वार पहुंच गई हैं. यहां जोशीमठ के प्रभावितों और व्यापारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आपबीती सुनाई. जोशीमठ से आए प्रभावित प्रकाश रावत ने कहा कि जो लोग जोशीमठ में अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, वे लोग कोई माओवादी या जेएनयू छात्र नहीं है.

अगर देश के एक बड़े इंस्टीट्यूट के छात्र उनका समर्थन करते हैं तो इसमें गलत क्या है? आज पूरा देश जोशीमठ के लोगों के समर्थन में आगे आ रहा है. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए इस तरह की गलत बयानबाजी कर रही है. आज एक महीना होने को है, लेकिन सरकार अभी तक न तो कोई रिपोर्ट सार्वजनिक कर पाई है, न ही सरकार यह तय कर पाई है कि पीड़ित लोगों को कितना मुआवजा दिया जाएगा और पीड़ित परिवारों का किस तरह से विस्थापन किया जाएगा?
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वहीं, जोशीमठ के होटल व्यवसायी ठाकुर सिंह राणा का कहना है कि जोशीमठ एक सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और चीन बॉर्डर के नजदीक होने की वजह से सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण नगर है. उन्होंने साफ तौर पर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस वक्त जोशीमठ में देश की लगभग 10 एजेंसियां कार्य कर रही हैं. जिनके कार्य की गुणवत्ता इस बात से देखी जा सकती है कि कई क्विंटल के बोल्डरों पर खोखले पाइप लगाए जा रहे हैं.

दरारों में मिट्टी भरने का कार्य किया जा रहा है. आज सरकार समर्थित लोगों की ओर से स्थानीय लोगों को आपस में लड़ाने का कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब स्थानीय लोगों के पास आर-पार की लड़ाई के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है. आगे उन्होंने कहा कि जोशीमठ के लोग काफी परेशान हैं, लेकिन उनकी मांगों को गंभीरता से सुना नहीं जा रहा है. उनका कहना है कि जोशीमठ तो बच नहीं पाया, लेकिन हिमालय को बचाने के लिए आगे आना होगा.
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