सोनभद्र : जनपद में किसान अब नई- नई तकनीकों से जैविक खेती कर अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं. यहीं कारण है की पुरानी परंपरागत खेती को त्याग कर किसान पपीता की खेती कर अधिक से अधिक लाभ कमा रहे है. ऐसे ही एक किसान है मुहम्मद आरिफ, जिनका कहना है कि अगर सरकार का सहयोग मिले तो पपीते से लाभदायक धंधा कोई नही है. मैने भी जैविक विधि से 2 विघे पपीते की खेती की है. जिसमें कुछ दिक्कते आने के बाद भी लगभग ढाई लाख का पपिता बेच चुके हैं और डेढ़ लाख का फल लगा है.
सोनभद्र में इन दिनों किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर अपनी फसलों की आय दुगना ही नहीं चौगुना करने में लगे हैं और अपनी परंपरागत गेंहू, चना, मटर और धान की खेती छोड़कर अब पपीता की खेती में ध्यान दे रहे हैं. जिसमें अधिक से अधिक मुनाफा हो. वहीं पगिया गांव निवासी मुहम्मद आरिफ ने भी लगभग 2 विघे पपीता की खेती जैविक विधि से की है. उन्होंने बताया कि अगर सरकार का सहयोग मिले तो इससे अच्छा लाभदायक व्यापार और कोई नहीं, लेकिन सरकार का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. वहीं बताते हुए कहा कि हमने मेडिसिन पर्पज से पपीते की खेती जैविक विधि से की है. इसमें रासायनिक खाद का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं हुआ है. एक संस्थान है ग्रीन प्रिनेड जो सरकार से सर्टिफाई है, उससे हमने बीज लिया था. अब तक लगभग 2 ढाई लाख का पपीता बेच चुके हैं वही डेढ़ लाख के आसपास पेड़ में लगे हैं.
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि कई गोष्ठियों में किसानों को पपीते की खेती के बारे में विचार विमर्श हुआ था. कृषि वैज्ञानिक डॉ एनपी सिंह ने किसानों को बताया था की पपीते की कौन सी प्रजाति यहां के लिए उपयोगी होगी. वहीं आगे बताया कि हमारे यहां उद्यान विभाग में प्रस्ताव भेजा गया है कि किसानों को सब्सिडी दी जाए.
वहीं समय से किसानों को बीज उपलब्ध कराने के बात पर बताया कि हमारे यहां डीबीटी योजना लागू हो गयी है उद्यान विभाग में अब किसान और बीज और पौधे स्वयं खरीदेगा और उसका बिल उद्यान विभाग में जमा करके उस पर किसान सब्सिडी प्राप्त कर सकता है.
Body:Vo1-सोनभद्र में इन दिनों किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर अपनी फसलों की आय दुगुना ही नही चौगुना करने में लगे है और अपनी परंपरागत गेंहू,चना,मटर और धान की खेती छोड़कर अब पपीता की खेती में ध्यान दे रहे है जिसमे अधिक से अधिक मुनाफा हो ।वही पगिया गांव निवासी मुहम्मद आरिफ ने भी लगभग 2 विघे पपीता की खेती जैविक विधि से किया है उन्होंने बताया कि अगर सरकार का सहयोग मील तो इससे अच्छा ,लाभदायक विजनेश और कोई हो ही नही सकता लेकिन सरकार का कोई सहयोग नही मिल रहा है।आगे बताया कि हमने मेडिसिन पर्पज से पपीते की खेती जैविक विधि से खिया है इसमें रासायनिक खाद का बिल्कुल ही प्रयोग नही हुआ है।एक संस्थान है ग्रीन प्रिनेड जो सरकार से सर्टिफाई है उससे हमने बीज लिया था।अब तक लगभग 2ढाई लाख का पपीता बेच चुके है वही डेढ़ लाख के आस पास पेड़ में है।
Byte-मुहम्मद आरिफ(किसान)
Conclusion:Vo2-जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि कई गोष्ठियों में किसानों को पपीते की खेती के बारे में विचार विमर्श हुआ था ,किसानों को बताया गया था साथ ही कृषि वैज्ञानिक डॉ0 एनपी सिंह ने भी बताया था की पपीते की कौन से प्रजाति यहां के लिए उपयोगी होगी।
वही आगे बताया कि हमारे यहाँ उद्यान विभग में प्रस्ताव भेजा गया है कि किसानों को सब्सिडी दिया जाय ।
वही समय से किसानों को लौड़े व बीज उपलब्ध कराने के8 बात पर बताया कि हमारे यहां डीबीटी योजना लागू हो गयी है उद्यान विभग में अब किसान और वीज और पौधे स्वयं खरीदेगा और उसका बिल उद्यान विभाग मे जमा करके उस पर किसान सब्सिडी प्राप्त कर सकता है।
Byte-सुनील कुमार शर्मा(जिला उद्यान अधिकारी,सोनभद्र)
चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031