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Year Ender 2021 : अखिलेश यादव ने दिया 22 में बाइसिकल का नारा, साल जाते-जाते मिला चाचा शिवपाल का साथ...

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Published : Dec 22, 2021, 4:00 PM IST

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2021 में न केवल सपा के लिए सिय़ासी जमीन तैयार की बल्कि कार्यकर्ताओं में भी जोश भर दिया. यहीं नहीं अब तो चाचा शिवपाल यादव भी उनके साथ आ गए हैं. अखिलेश यादव ने ही 2022 में बाइसिकल का नारा दिया. उनका यह नारा अब खूब पसंद किया जा रहा है.

अखिलेश यादव ने दिया 22 में बाइसिकल का नारा.
अखिलेश यादव ने दिया 22 में बाइसिकल का नारा.

लखनऊ : 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों को साल 2021 में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगे बढ़ाते हुए नजर आए. कार्यकर्ताओं में न केवल उन्होंने जोश भरा बल्कि सियासी जमीन भी तैयार कर ली. कोरोना काल में समाजवादी पार्टी ढीली नजर आई और ट्विटर तक ही सिमटी रही, लेकिन जैसे ही प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी आगे बढ़ी तो अखिलेश यादव ने खुद को सक्रिय किया और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए वह सड़क पर उतर पड़े. 2021 में अखिलेश यादव कुछ विवादों के साथ भी नजर आए. एक तरफ जहां वह जिन्ना को लेकर विवादित बयान देकर भाजपा और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों के निशाने पर रहे, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर शोक संवेदना न जताकर भी उन्होंने वोट बैंक संभाले रखा.


चुनावी तैयारियों को लेकर प्रदेश में ताबड़तोड़ दौरा करते हुए और संगठन के अभियान को आगे बढ़ाते हुए अखिलेश यादव ने '2021 में ही 2022 में बाइसकिल का नारा दिया,' जो युवाओं को काफी पसंद आया. उनकी जनसभाओं में युवाओं का हुजूम भी नजर आ रहा है. इससे अखिलेश यादव काफी उत्साहित हैं.

2021 में अखिलेश यादव ने सपा कार्यकर्ताओं में नया जोश भरकर सियासी जमीन और मजबूत कर ली.

वह हर जगह दावा कर रहे हैं कि 2022 में भाजपा साफ होगी और समाजवादी पार्टी की साइकिल सत्ता की कुर्सी तक पहुंचेगी. वहीं, साल 2021 जाते-जाते पिछले कई साल से उनके परिवार के बीच चल रही खींचतान कुछ कम नजर आई और अखिलेश यादव को चाचा शिवपाल सिंह यादव का भी साथ मिल गया और दोनों के बीच गठबंधन की बात तय हो गई.

अखिलेश यादव सियासी गठबंधन में भी अन्य दलों की तुलना में काफी आगे बढ़ कर चुनावी तैयारियों को बढ़ाने में नजर आए. तमाम छोटे दलों को वह साथ लेकर आगे बढ़ते हुए दिखे. छोटे दलों में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल, राष्ट्रीय लोक दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, अपना दल (कमेरावादी), सोशलिस्ट जनक्रांति पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय किसान सेना सहित कई अन्य छोटे दल उनके साथ सियासी गठजोड़ में जुड़े हैं.

इस साल अखिलेश यादव को मिला चाचा शिवपाल यादव का साथ.

अखिलेश यादव एक बेहतरीन रणनीति के साथ दूसरे दलों के कई बड़े नेताओं को समाजवादी पार्टी में शामिल कराने में सफल हुए. बहुजन समाज पार्टी के नेता विधानमंडल दल लालजी वर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, पूर्वांचल में बड़े ब्राह्मण नेताओं में शुमार हरिशंकर तिवारी का परिवार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छी पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, पंकज मलिक, बसपा के बड़े नेताओं में शामिल कादिर राणा, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद राजाराम पाल, बुंदेलखंड में पूर्व मंत्री गयादीन अनुरागी, भाजपा के सीतापुर के विधायक राकेश राठौर सहित तमाम दूसरे दलों के बड़े नेता सपा में शामिल हुए. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के आधा दर्जन से अधिक बागी विधायकों को भी अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिलाई. साथ ही बसपा में जाने वाले वरिष्ठ समाजवादी पार्टी के नेता अंबिका चौधरी की भी अखिलेश यादव ने घर वापसी कराई. माफिया मुख्तार अंसारी के भाई पूर्व बसपा विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी भी सपा में शामिल हुए.


समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि साल 2021 में भारतीय जनता पार्टी का ग्राफ बहुत तेजी से गिरा है. समाजवादी पार्टी का ग्राफ बहुत तेजी से ऊपर गया है. अखिलेश यादव की लोकप्रियता में बहुत तेजी से इजाफा हुआ है. समाजवादी पार्टी ने 22 में बाइसिकल, अखिलेश यादव आ रहे हैं, यूपी का यह जनादेश, आ रहे हैं अखिलेश..., जैसे नारे दिए.


वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि साल 2021 की शुरुआत में ही अखिलेश यादव ने 22 में बाइसिकल का नारा दिया था, तो उस समय यह नारा लोगों के गले नहीं उतर रहा था, लेकिन जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं यानी 2021 खत्म हो रहा है और 2022 आ रहा है तो वैसे वैसे अखिलेश यादव का यह नारा लोगों के गले के नीचे उतरने लगा है. इसका परिणाम क्या होगा यह तो समय बताएगा.


वह कहते हैं कि अखिलेश यादव 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर सबसे पहले एकछत्र लीडर हो गए हैं. दूसरा उन्होंने अपना चेहरा रिप्लेस कर लिया है और आज की तारीख में समाजवादी पार्टी उनके नाम और चेहरे के बिना अधूरी है. यही नहीं यह बात भी महत्वपूर्ण है कि उन्होंने छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन करके बता दिया है कि गठबंधन की पॉलिटिक्स में वह किसी भी केंद्रीय पार्टी या राज्य की अन्य दूसरी पार्टियों से पीछे नहीं हैं.

यही नहीं खास बात यह भी है कि अखिलेश यादव अपने कार्यकर्ताओं को चार्ज करने में जुटे हुए हैं. चुनावी दौरे कर रहे हैं. प्रसपा प्रमुख चाचा शिवपाल यादव से समझौता कर लिया है. इससे लग रहा है वह सरकार बनाने के लिए 2021 में ही सारे ताने-बाने बुन चुके हैं, हालांकि इसका फैसला जनता करेगी. अखिलेश यादव भारतीय जनता पार्टी के सामने खड़े होकर जिस प्रकार से एंटी इनकंबेंसी के नए केंद्र बने हैं इससे उनका कार्यकर्ता पूरी तरह से चार्ज हो चुका है. 2021 में उन्होंने अपनी पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए बहुत अच्छी तरीके से तैयार कर लिया है।

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यही वजह है कि आज उनके खिलाफ प्रधानमंत्री को भी बोलना पड़ रहा है और भारतीय जनता पार्टी का पूरा फोकस समाजवादी पार्टी पर है. यानी आज की तारीख में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ वह केंद्र बिंदु में हैं. खास बात यह है कि अखिलेश यादव ने यह सब अपने बलबूते किया है. इससे पहले समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव होते थे, शिवपाल यादव प्रचार करते थे, रामगोपाल थोड़ा बहुत योगदान देते थे लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि अखिलेश यादव ने सब कुछ अपने दम पर किया है.


राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि अखिलेश यादव ने 2021 में 2022 के लिए बाइसिकल की सरकार के लिए नट बोल्ट कसकर पूरी तैयारी कर ली है. आज अखिलेश यादव शिवपाल सिंह यादव से बड़े लीडर हैं. अब समाजवादी पार्टी में बिना अखिलेश यादव के चेहरे के कोई पोस्टर बनेगा ही नहीं. बाकी अन्य छोटे दल भी साथ रहेंगे. अखिलेश यादव ने एकछत्र लीडर के रूप में अपनी पहचान बनाई है. उन्होंने कार्यकर्ताओं को चार्ज कर लिया है और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक नया केंद्र बिंदु बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है.

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