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बालू अड्डा पर डायरिया के बाद अब टायफाइड का प्रकोप, सात मरीजों में पुष्टि

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Published : Aug 21, 2021, 3:19 PM IST

लखनऊ में हजरतगंज स्थित बालू अड्डा के पास हैजा और डायरिया के बाद अब टायफाइड का प्रकोप बढ़ रहा है. शनिवार को सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई.

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लखनऊ: शहर कुछ इलाकों में संक्रामक रोग तेजी से पांव पसार रहे हैं. हजरतगंज स्थित बालू अड्डा के पास हैजा और डायरिया के बाद अब टायफाइड के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. शनिवार को यहां सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग ने की. शुक्रवार को छह मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई थी. इनका सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग लगातार बुखार पीड़ितों की जांच करा रहा है.

अस्पताल में भर्ती टायफाइड के मरीज
सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक इन मरीजों को मुफ्त इलाज कराया जा रहा है. जांच व दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बुखार से पीड़ित मरीज डॉक्टर की सलाह और दवा लेने तो आ रहे हैं लेकिन वो जांच कराने में कतरा रहे हैं. बालू अड्डा इलाके में पिछले एक महीने से संक्रामक रोग फैले हुए हैं. यहां डायरिया के लक्षणों वाले दो मरीजों की मौत हो चुकी है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने पानी की जांच कराई थी. जांच में कालरा की पुष्टि हुई. स्वास्थ्य विभाग ने इलाके के मरीजों की इलाज की रणनीति बदली. धीरे-धीरे स्थिति काबू में आ गई. इसके बाद इलाके के कई लोगों को बुखार आ गया.

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रोजाना 10 से अधिक मरीज स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आ रहे हैं. मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टायफाइड समेत दूसरी जांचें कराने का फैसला किया. शनिवार को नौ मरीजों की जांच कराई गई. इसमें सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई है. काफी मरीज प्राइवेट क्लीनिक में इलाज करा रहे हैं. इन मरीजों में भी डॉक्टरों ने टायफाइड की आशंका जाहिर की है.


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सीएमओ ने बताया कि पेट में संक्रमण से टाइफाइड होता है, जो साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है. दूषित पानी या भोजन से इसकी आशंका अधिक होती है. बैक्टीरिया आंतों में प्रवेश करता है. यहां करीब एक से तीन सप्ताह तक रहता है. उसके बाद आंतों की दीवार के जरिए रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाता है. खून से ये टायफॉइड बैक्टीरिया अन्य ऊतकों और अंगों में फैलकर कोशिकाओं के अंदर छिप जाता है. मरीजों की जांच व इलाज की सुविधा स्थानीय पीएचसी पर उपलब्ध है. हालात यह हैं कि 10 में महज दो से तीन लोग ही खून की जांच कराने को राजी हो रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक कोरोना जांच का शिविर लगा है. इसके बावजूद आठ से 10 लोग ही जांच कराने आ रहे हैं.

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