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जानिए पितृपक्ष में पिंडदान का क्या है महत्व ? विदिशा के काग उद्यान की जानिए खासियत

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Published : Sep 8, 2020, 6:58 PM IST

विदिशा जिले में भी इन दिनों लोग बेतवा नदी में डुबकी लगाकर अपने-अपने पुजारियों के जरिये पूर्वजों के लिए पिंडदान कर रहे हैं. ताकि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिल सके.

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पितृपक्ष

विदिशा।देशभर में इनदिनों सनातन धर्म का त्योहार पितृपक्ष चल रहा है.यह त्योहार 16 दिन चलता है. इन दिनों लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में भी इन दिनों लोग बेतवा नदी में लोग डुबकी लगाकर अपने-अपने पुजारियों के जरिये पूर्वजों के लिए पिंडदान कर रहे हैं.ताकि उनके पूर्वजो की आत्मा को शांति मिल सके.

विदिशा के काग उद्यान की जानिए खासियत

बताया जाता है कि पितृपक्ष में लोग कौआ को भोजन कराते हैं. जिसके चलते विदिशा के मुक्ति धाम में देश का अनोखा एक मात्र उद्यान बनाया गया है, जिसमें कौआ को भोजन कराया जाता है. इतना ही नहीं कहते हैं खुद कौआ भोजन करने इस उद्यान में आते हैं.शहर के इस मुक्ति धाम में कौआ को बचाने के लिए कई तरह की पहल की गई है. ताकि विलुप्त हो रही इस प्रजाति को बचाया जा सके. इस उद्यान को सन 2014 में बनाया गया था आज काग उद्यान के नाम से जिले भर में पहचाना जाता है इस उद्यान में किसी एक दिन नही बल्कि हर दिन कौआ को भोजन कराया जाता है.

इतना ही नहीं स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि इस उद्यान में पितृ पक्ष के समय अब लोगों का यहां बड़ा जमावड़ा होता है. शहर में पहले लोग कौआ को भोजन कराने खोजते थे, लेकिन कौआ नजर नहीं आते थे, अब लोग खुद इस गार्डन में कौआ को भोजन कराने आते हैं क्योंकि पितृपक्ष के दिनों में कौआ को भोजन कराने का काफी महत्त्व है.


वहीं पंडित राजेन्द्र दुबे के मुताबिक 16 दिन तक स्थानीय और बाहर से आये लोगों का वह पिंडदान कराते हैं. उनका कहना है कि पितृपक्ष का बड़ा महत्त्व माना जाता है. पितृपक्ष में हर कोई अपने पूर्वजों को पूजता ओर उन्हें याद करता है. इन दिनों को कड़े दिन भी कहा जाता है. जिसके चलते कोई भी नई वस्तु या समान नहीं खरीदा जाता है.

कहा जाता है जहां-जहां नदी होती हैं वहां लोग स्नान करते हैं. खैर इन दिनों सनातन धर्म का त्योहार पितृपक्ष चल रहा है. इन दिनों लोग अपने लोगों का पिंडदान कराते हैं. जिसका काफी महत्व है. इधर विदिशा के कौआ उद्यान में लोग कौआ को भोजन कराने के लिए पहुंच रहे हैं.

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