टीकमगढ़। जिले के लारगांव के आदिवासी ग्रामीणों ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर वन विभाग की जमीन पर मलिकाना पट्टे की गुहार लगाई. ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले 45 साल से वन विभाग की जमीन पर खेती करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक इन्हें इसका मालिकाना हक नही मिला है.
आदिवासी ग्रामीणों ने लगाई जमीनी पट्टे देने की गुहार, 45 साल से कर रहे हैं खेती
टीकमगढ़ जिले के लारगांव ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर वन विभाग की जमीन पर मलिकाना पट्टे की मांग के लिए कलेक्टर से गुहार लगाई.
ग्रामीणों का कहना है कि कुछ आदिवासी परिवारों के जमीन के पट्टे दे दिए गए हैं लेकिन 20 लोगों को अभी तक पट्टे नही मिले हैं. ग्रामीणों ने सरपंच, पटवारी पर आए दिन उन्हें परेशान करने का आरोप भी लगाया है और कलेक्टर से इस मामले में उन्हें न्याय दिलाने की मांग की है.
इस पर अपर कलेक्टर का कहना है कि आदिवासी जिस जमीनी पट्टे की बात कर रहे थे. उनके पास इस जमीन के कोई दस्तावेज नही है, और न ही राजस्व जमीन की रशीद है. फिर भी ये मामला जांच के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग को सौंपा गया है.
Body:वाईट /01 घनश्याम आदिवासी लार गांव
वाईट /02हम्मा आदिवासी लार गांव
वाईट /03 एस के अहिरवार अपर कलेक्टर टीकमगढ
वाइस ओबर / टीकमगढ जिले के आदिवासियों ने आज कलेक्टरेट आ कर लगाई बन बिभाग की जमीन के पट्टे देने की दरकार उनका कहना रहा कि 45 साल से बन बिभाग की जमीन पर कब्जा कर खेती करते चले आरहे है !जिसमे कई दशक हो गए मगर अभी तक इन जमीनों का बास्तविक मालिकाना हक नही मिला है !जिससे यह काफी परेसान है !इनका कहना रहा कि कई सालो से पथरीली जमीन को खेती युक्त बनाया खून पसीना एक कर लेकिन फिर भी अभी तक उनको उन जमीनों के पट्टे नही दिए गए जबकी उनके जो साथी आदिवासी थे उनके साशन ने पट्टे बनाकर दिए गए है !मगर 20 आदिवासी परिवारों को पट्टे से महरूम रखा गया जिसमें उन्होंने वहा के पटवारी ओर सरपंच को ओर बन बिभाग के अधिकारियों को दोषी ठहराया ओर कहा कि वह काफी परेसान ओर आज कलेक्टरेट आकर सभी लोगो ने विरोध प्रदर्शन किया और सभी ने अपनी समस्या अपर कलेक्टर को सुनाई तो अपर कलेक्टर का कहना रहा कि यह मामला लार गांव का है !जहां के यह आदिवासी आये थे जो जमीन के पट्टे की बात कर रहे थे मगर उनके पास बन बिभाग के भूमि के कोई दस्तावेज नही थे मगर उनके पास राजस्व जमीन की रसीदे थी लेकिन राजस्व बिभाग के पट्टे नही दिए जाते है !और इस मामले की जांच के लिए आदिमजाति कल्याण बिभाग को सोपा गया है !
Conclusion:वही इन आदिवासियों का कहना रहा कि यह लोग 1972 से तकरिवन 100 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे है !मगर अभी कुछ दिनों से गांव के दबंग लोगो ने उनकी जमीनों पर खेती करना चालू कर दिया गया है !और हम लोगोबके साथ मारपीट करते है !यदि हम लोगो को पट्टे मिलजाते तो शायद इन दबंगो को अपनी जमीनों सड़ हटाया जाता लेकिन ऐसे में उनको परेसानी हो रही है !