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एमपी बोर्ड का कारनामा ! तीन साल की कानूनी लड़ाई के बाद जीता शांतनु, कोर्ट के आदेश पर बढ़े 28 नंबर

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Published : Mar 11, 2022, 12:53 PM IST

तीन साल लंबी लड़ाई के बाद सागर के रहने वाले शांतनु शुक्ला को न्याय मिल गया है. कोर्ट के आदेश के बाद एमपी बोर्ड ने 28 नंबर बढ़ाकर नई मार्कशीट जारी की है.

marksheet
एमपी बोर्ड का कारनामा

सागर। वैसे तो परीक्षाओं में गड़बड़ी के कई मामले सामने आते हैं. ताजा मामला मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12 वीं की बोर्ड परीक्षा में गड़बड़ी का सामने आया है. 2018 में हुई हायर सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में बड़ी गड़बड़ी के चलते सागर के छात्र को जहां मुख्यमंत्री मेधावी योजना का लाभ नहीं मिला. वहीं उसे अपनी कॉपी के सही मूल्यांकन के लिए 3 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर छात्र के 28 नंबर बढ़ाए गए हैं. छात्र अब मुख्यमंत्री मेधावी योजना का लाभ लेने के साथ-साथ 3 साल लंबी लड़ाई में हुए मानसिक और शारीरिक तनाव को लेकर उपभोक्ता फोरम के दरवाजे खटखटाने की तैयारी कर रहा है. (mp board mistake in marksheet)

क्या है मामला
परकोटा वार्ड में कबीर मंदिर के पास रहने वाले शांतनु शुक्ला सागर के एक्सीलेंस स्कूल में कॉमर्स के विद्यार्थी थे. उन्होंने 2018 में एमपी बोर्ड की हायर सेकेंडरी परीक्षा दी थी. उन्हें भरोसा था कि उनके 75 से 80% के बीच अंक जाएंगे. जब परीक्षा परिणाम आया, तो उनके 75 प्रतिशत भी नहीं बन पाए. एक नंबर कम रह गया. शांतनु को बुक कीपिंग एंड अकाउंटिंग में सबसे कम 50 नंबर मिले थे, जबकि उन्हें भरोसा था कि उन्हें और ज्यादा नंबर मिलेंगे. (mp high court verdict)

रिटोटलिंग से नहीं बनी बात तो निकलवाई कॉपी
शांतनु को भरोसा था कि बुक कीपिंग एंड अकाउंटिंग में उन्हें गलत नंबर दिए गए हैं. उन्होंने रिटोटलिंग के लिए आवेदन किया तो एक भी नंबर नहीं बढ़ा. भरोसे के चलते उन्होंने कापियां निकलवाई. तब बोर्ड की लापरवाही का खुलासा हुआ. कॉपी में साफ तौर पर सही उत्तर किए गए थे, लेकिन उनक नंबर उन्हें नहीं दिए गए. (mp board marksheet)

खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
कॉपियों में एमपी बोर्ड की लापरवाही का खुलासा होने के बाद और रिटोटलिंग में भी नंबर नहीं बढ़ने के बाद शांतनु शुक्ला ने जबलपुर हाईकोर्ट में वकील रामेश्वर सिंह के माध्यम से याचिका दाखिल की. कोरोना महामारी के कारण लंबे समय तक इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी. इसके बावजूद भी शांतनु ने हिम्मत नहीं हारी. अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते रहे.

कोर्ट में भी एमपी बोर्ड ने दिखाई मनमानी
शांतनु शुक्ला द्वारा कॉपियां खुलवाने के बाद मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की लापरवाही उजागर हो गई थी. उसके बावजूद भी एमपी बोर्ड मार्कशीट में सुधार के लिए तैयार नहीं हुआ. जब शांतनु ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया और हाईकोर्ट से नोटिस जारी किया गया, तो भी एमपी बोर्ड लापरवाह है और बेपरवाह बना रहा. बोर्ड ने हाईकोर्ट के छह नोटिसों का भी जवाब नहीं दिया. शांतनु न्याय के लिए लड़ाई लड़ते रहे. करीब 44 पेशियों के बाद अक्टूबर 2021 में उनकी जीत हुई. हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा मंडल को शांतनु के नंबर बढ़ाने का आदेश दिया.

नई मार्कशीट में बढ़ गए 28 नंबर
हाईकोर्ट के आदेश के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल ने शांतनु शुक्ला की नई मार्कशीट जारी की है. पहले जहां शांतनु शुक्ला को 500 में से 374 नंबर मिले थे. वहीं कोर्ट के आदेश के बाद जारी हुई मार्कशीट में उनके सीधे 28 नंबर बढ़ा दिए गए. अब उनके नंबर 402 हो गए हैं.

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मुख्यमंत्री मेधावी योजना के लिए करेंगे आवेदन
शांतनु शुक्ला का कहना है कि पहले जारी की गई मार्कशीट में 75% में सिर्फ एक नंबर कम होने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री मेधावी योजना का लाभ नहीं मिला था. इस योजना के तहत उच्च शिक्षा के लिए मेधावी छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. नई मार्कशीट आने के बाद वह मुख्यमंत्री मेधावी योजना के लिए आवेदन करेंगे. शांतनु का कहना है कि 3 साल चली लंबी लड़ाई में उन्होंने 44 पेशियों में हिस्सा लिया है. कॉपियों का दोबारा मूल्यांकन कराने और वकील की फीस में करीब 15 हजार रुपये खर्च हुए हैं. इसके अलावा उन्हें मानसिक और शारीरिक तनाव भी झेलना पड़ा है. वह एमपी बोर्ड के खिलाफ उपभोक्ता फोरम भी जाएंगे.

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