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चंबल की गजक से बाजार गुलजार, 7 समुंदर पार होती है इसकी सप्लाई

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Published : Jan 14, 2023, 5:52 PM IST

सर्दियों के मौसम में भारत के लगभग सभी प्रदेशों में गजक मिठाई बनाई और खाई जाती हैं. यह मिठाई स्वादिष्ट होने के साथ-साथ काफी फायदेमंद है. मुरैना से इसका खास रिश्ता है, यहां कई प्रकार की गजक बनाई जाती है. खाने वाले लोगों को ये नहीं पता की इसे बनाने में कितनी मेहनत लगती है, तो आइए जानते हैं इसके बारे में.

Morena Gajak Demand in Foreign
मुरैना इम्युनिटी बूस्टर गजक की विदेशों में डिमांड

चंबल की गजक

मुरैना।मकर संक्राति का त्योहार हर जगह धूमधाम से मनाया जा रहा है. ऐसे में खस्ता और मीठी गजक का स्वाद मानो और बढ़ गया है. एमपी के मुरैना की पहचान ही गजक से है. दुनियाभर में मुरैना को गजक के लिए ही जाना जाता है. गजक के शौकीनों के अनुसार मुरैना की गजक की बात ही कुछ और है. गजक की उत्पत्ति एमपी में मुरैना से हुई है, तिल और गुड़-शक्कर से बने इस लजीज मिष्ठान्न ने मुरैना को दुनियाभर में प्रसिद्ध कर दिया है. मुरैना की गजक की ऐसी डिमांड है कि देशभर में दुकानदार मुरैना गजक के नाम से ही इसे आसानी से बेच देते हैं. ठंड का मौसम शुरु होते ही जिले से देशभर के लिए गजक की सप्लाई प्रारंभ हो जाती है.

मुरैना इम्युनिटी बूस्टर गजक की विदेशों में डिमांड

चंबल-अंचल से गजक की शुरुआत:मुरैना की गजक की तासीर सिर्फ चंबल का पानी है. गजक तो देश और प्रदेश में कई जगह बनाई जाती है और मुरैना के नाम से ही बेचते हैं, लेकिन मुरैना के पानी में जो मिठास है वह अलग ही है. इस कारण से मुरैना जैसी गजक देश और प्रदेश में कहीं भी नहीं मिलती. सर्दी के दिनों में इम्युनिटी बढ़ाकर तंदुरुस्त रखने वाली गजक का कारोबार इस बर हल्का रहा है. व्यापारियों कि मानें तो उनका कहना है कि, इस बर सर्दी ज्यादा नहीं पड़ी अगर सर्दी ज्यादा पड़े तो गजक का व्यापार अच्छा हो जाएगा.

7 समुंदर पार होती है गजक की सप्लाई:मकर संक्रांति के त्योहार पर गजक व्यापारी 2 से 3 हजार कुंटल गजक का व्यापार शहर में करते हैं. बताया जाता है कि जिलेभर में गजक व्यापरी 400 से 500 हैं जो सर्दी के 2 महीने में ही अच्छा व्यापार कर लेते हैं. गजक कारोबारियों के अनुसार इस बार साढ़े 3 से 4 करोड़ रुपए पर ही व्यापार सिमट जाएगा. मुरैना में लगभग 103 साल से गजक बन रही है, यहां बनने वाली गजक के शौकीन न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में खूब हैं, इसीलिए मुरैना की गजक दिल्ली, मुंबई, चेन्नाई, सूरत, अहमदाबाद जैसे देश के बड़े महानगरों के अलावा 7 समुंदर पार इंग्लैंड, अमेरिका तक जाती है.

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गजक बनाने की विधि:गजक बनाने के लिए देसी शुद्ध और साफ गुड़ और तिल चाहिए जिसे बनाने के लिए सबसे पहले हम एक कढ़ाई में साफ और स्वच्छ तिल को धीमी आंच पर सेकते हैं. ध्यान रखना है कि तिल सेंकने के दौरान जलना नहीं चाहिए. सेंकने के बाद उसे अलग रख दें. इसके बाद साफ पानी को गर्म कर उसमें गुड़ मिलाकर उसकी चाशनी बनाई जाती है. उसको तब तक गर्म किया जाता है जब तक वो तार कि तरह खींचने ना लगे. 15 से 20 मिनट बाद चाशनी को बड़ी प्लेट में ठंडा किया जाता है. इसे ठंडा करने के बाद लेयर बनाई जाती है और उस लेयर को दीवाल पर टांग कर लकड़ी के सहारे खींचा जाता है. उसे तब तक खींचते हैं, जब तक चाशनी का रंग पूरी तरह सफेद ना हो जाए. ऐसा करने में गजक खस्ता होती है. यह विधि लगभग 20 से 25 मिनट तक चलती है. उसके बाद चाशनी को भुने हुए तिल में मिलाते हैं. उसके बाद उसकी जमकर पिटाई करते हैं. यह विधि लगभग 10 से 15 मिनट तक अच्छे से मिलाते हैं. ताकि तिल पूरी तरह मिल जाए. अच्छी तरह मिलने के बाद उसे किसी बड़ी पत्थर के पाट पर रखा जाता है. इसके बाद फिर साइज के हिसाब से गजक को काटते हैं. गजक बनकर तैयार हो जाती है. शक्कर की गजक बनाने के लिए भी यही विधि अपनाई जाती है.

कई वैरायटी की गजक यहां उपलब्ध:मुरैना चंबल अंचल में गुड़ की गजक काफी प्रसिद्ध है, लेकिन अब अंचल में कई वैरायटी की गजक बनाई जा रही है. जिसमें काजू पट्टी, समोसा, ड्राई फ्रूट लडडू, गजक रोल, सादा गुड़ और तिल्ली की गजक, गजक की पट्टी, मूंगफली वाली गजक, तिलकुट गुड़, खस्ता गजक, ड्राई फ्रूट रोल गजक, ड्राई फ्रूट गजक, काजू गजक, सहित विभिन्न प्रकार की गजक उपलब्ध है. दुकानदारों ने बताया कि, मकर संक्रांति पर लोग गजक के साथ ही गुड़ के लड्डू को भी खासा पसंद कर रहे हैं और वह पार्सल कराकर अपने रिश्तेदारों को भेज रहे हैं. साथ ही दुकानदार का कहना है कि इस समय उनके पास कई प्रकार कि गजक बनाई जा रही है और इस मकर संक्रांति के पर्व पर लोग भारी संख्या में गजक अपने घर ले जाते हैं या फिर पार्सल करा कर अपने दूर के रिश्तेदारों को भेजते हैं.

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