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जबलपुर में स्कूल की छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर हड़ताल पर ब्लाइंड बच्चे, भजन गाकर किसके सामने लगाई अर्जी

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 22, 2023, 5:47 PM IST

Blind Childrens strike for problems in school: इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि अपनी स्कूल की छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर ऐसे छात्रों को हड़ताल करना पड़ रही है जो देख नहीं सकते. शासकीय दृष्टि बाधित विद्यालय जबलपुर के 100 से ज्यादा छात्र हड़ताल कर रहे हैं.5 दिन हो गए लेकिन जिम्मेदारों ने अब तक सुध नहीं ली. अब ये छात्र भजन गा रहे हैं कि भगवान ही उनकी समस्याएं सुन लें.appeal by singing bhajans

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जबलपुर में हड़ताल पर दृष्टि बाधित छात्र

जबलपुर। शासकीय दृष्टि बाधित स्कलू में बीते 5 दिनों से 100 से ज्यादा दृष्टिबाधित छात्र हड़ताल पर बैठे हुए हैं लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. पीड़ित छात्रों ने हमें बताया कि वे अब ईश्वर का भजन कर रहे हैं क्योंकि जब प्रशासन उनकी नहीं सुन रहा है तो वह भगवान से ही यह प्रार्थना कर रहे हैं कि कहीं भगवान ही उनकी समस्याओं को सुन लें.

हड़ताल पर शासकीय दृष्टि बाधित विद्यालय के छात्र

मेंटेनेंस का 10 लाख कहां गया: जबलपुर में सरकार दृष्टि बाधित छात्रों के लिए एक रहवासी स्कूल चलाती है. इस स्कूल में जबलपुर के अलावा आसपास के जिलों के भी दृष्टिबाधित बच्चे पहुंचकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. छात्रावास भी है यहां है. इसकी क्षमता लगभग 200 छात्रों को रखने की है लेकिन यहां स्कूल और हॉस्टल में कई सालों से मेंटेनेंस नहीं हुआ है. इसी वजह से इसकी इमारत जर्जर हो गई है और कई जगह से सीलिंग का सीमेंट गिर रहा है. बीते दिनों छात्रावास में खाना खाते वक्त सीलिंग गिर गई थी. छात्रों ने बताया कि कुछ साल पहले हॉस्टल और स्कूल के मेंटेनेंस के लिए 10 लाख से ज्यादा की राशि आई थी लेकिन इस राशि के बारे में अब किसी के पास कोई जानकारी नहीं है कि आखिर यह राशि कहां खर्च की गई.

हॉस्टल की सीलिंग से गिरता है आए दिन प्लास्टर

20 साल से नहीं खरीदे संगीत के उपकरण: स्कूल में पढ़ने वाले ब्लाइंड बच्चों के लिए संगीत की शिक्षा भी दी जाती है. संगीत के शिक्षक भी हैं लेकिन संगीत के उपकरण नहीं हैं. संगीत के शिक्षक ने बताया कि 20 साल पहले उपकरण खरीदे गए थे उसके बाद से कोई उपकरण नहीं खरीदा गया. इस वजह से ज्यादातर उपकरण खराब हो गए हैं इनका मेंटेनेंस भी नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से संगीत के छात्रों को केवल गाने की ही शिक्षा दी जा रही है बजाना नहीं सीख पा रहे हैं.

20 साल पहले खरीदे गए थे वाद्य यंत्र
संगीत के शिक्षक तो हैं लेकिन वाद्य यंत्र हो चुके हैं खराब

क्या कहना है स्कूल प्राचार्य का:इस मुद्दे पर स्कूल के प्रभारी प्राचार्य शिव शंकर कपूर से बात की तो उनका कहना है कि उन्होंने छात्रों की तमाम मांगों को सुन लिया है. छात्र उनकी बात मानने को तैयार नहीं है. उन्होंने छात्रों की मांगों को जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा दिया है लेकिन अभी तक किसी अधिकारी ने यहां आने की सहमति नहीं दी है.

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जिम्मेदारों को नहीं है सुध: एक दो दिन नहीं पूरे 5 दिन हो गए लेकिन जिम्मेदारों को सुध नहीं है. प्राचार्य ने प्रशासन तक जानकारी पहुंचा दी है. छात्र चाहते हैं कि प्रशासन स्तर का कोई अधिकारी उनकी मांगों को सुने. प्रशासनिक अधिकारियों के पास इस बात की जानकारी है लेकिन किसी के पास थोड़ा सा वक्त नहीं है जो इन ब्लाइंड बच्चों की समस्याओं को सुन सके.

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