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Bhopal Cyber Crime: ऑनलाइन जॉब सर्च करते समय रहें बेहद सावधान, जालसाजों ने युवक से ठगे 1 करोड़ 35 लाख

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 19, 2023, 3:55 PM IST

राजधानी भोपाल में सायबर क्राइम की टीम ने दिल्ली के दो ऐसे लोगों को हिरासत में लिया है, जिन्होंने नौकरी के तलाश कर रहे लोगों को शिकार बनाया. इन ठगों ने भोपाल के एक युवक से नौकरी के नाम पर एक करोड़ 35 लाख रुपए ठग लिए. ठगों ने पूछताछ में बताया कि अब तक 97 लोगों के साथ धोखाधड़ी की वारदात की है. Bhopal Cyber Crime

Bhopal Cyber Crime
जालसाजों ने युवक से ठगे 1 करोड़ 35 लाख

जालसाजों ने युवक से ठगे 1 करोड़ 35 लाख

भोपाल।दिल्ली के दोनों ठगों ने युवक से नौकरी लगवाने के नाम पर अलग-अलग चार्ज के नाम पर रुपये वसूले. ये ठग पुलिस से बचने के लिए नकली पहचान बताकर लोगों से बात करते थे. आरोपी जल्दी-जल्दी सिमकार्ड और अपना ठिकाना भी बदल लेते थे. सहायक पुलिस उपायुक्त क्राइम शैलेन्द्र सिह चौहान ने बताया कि दो सायबर ठगों ने युवकों को मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर बड़ी रकम ठगी है.

बायोडाटा देखकर ठगा :भोपाल के कोलार रोड के रहने वाले रंजीत सिंह पूर्व में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे. ठगी का शिकार युवक इससे पहले 45 लाख रुपये महीने की जॉब करता था. काफी समय से वह बड़ी कंपनियों में जॉब की तलाश में थे. इसके लिए कई जगहों पर अपना बायोडाटा डाल रखा था. उसी के चलते इन सायबर ठगों की नजर उनके बायोडाटा पर पड़ गई. एक ठग देवजीत दत्ता मूलतः बंगाल का रहने वाला है और उसका साथी दिवाकर मिश्रा नेपाल का रहने वाला है. दोनों दिल्ली में रहकर कॉल सेंटर चला रहे थे.

वेबसाइट पर लेते थे डाटा :इन दोनों ठगों ने अलग-अलग नाम से जॉब देने वाली कम्पनी के नाम की वेबसाइट बनाई. जिसके बाद आरोपियों को वेबसाइट पर विजिट करने वालों का डाटा मिलने लगा. इसके बाद ऐसे लोगों को कॉल करके उनकी जरूरत के हिसाब की नौकरी दिलवाने का प्रलोभन देते थे. आरोपियों ने अपनी वेबसाइट पर पेमेंट गेटवे भी उपलब्ध करवाया. इसीलिए लोगों द्वारा वेबसाइट पर विश्वास कर लिया जाता था. रुपयों की ठगी उसी पेमेंट गेटवे द्वारा होती थी.

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अलग-अलग चार्ज के नाम पर वसूली :इसके बाद ठग अलग-अलग चार्ज के नाम पर लोगों से रुपये की मांग करते थे. आरोपियों द्वारा अपनी पहचान छुपाने व पुलिस से बचने के लिये फर्जी नंबरों से कॉल किया जाता था. एक नम्बर को 5 से 10 कॉल करने के बाद बंद कर दिया जाता था. वेबसाइट के पेमेंट गेटवे में भी फर्जी दस्तावेज लगाकर प्राप्त किया जाता था. आरोपी फरियादी से बात करने के लिये मेल आईडी का उपयोग करते थे. आरोपियों द्वारा मेल आईडी का उपयोग वीपीएन लगाकर किया जा रहा था.

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