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Himachal High Court: सजायाफ्ता कैदी को दिया गलत मेडिकल सर्टिफिकेट, PGI चंडीगढ़ के 3 डॉक्टर्स को हाईकोर्ट का नोटिस, कैदी को 24 घंटे में सरेंडर का आदेश

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 1, 2023, 12:59 PM IST

पीजीआई चंडीगढ़ से कैदी का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने तीन डॉक्टर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही सजायाफ्ता केदी को 24 घंटे के भीतर सरेंडर करने के आदेश दिए हैं. (High Court notice to 3 doctors of PGI Chandigarh) (Himachal HC on prisoner fake medical certificate).

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शिमला: पीजीआई चंडीगढ़ से तीन डॉक्टर्स ने एक सजायाफ्ता कैदी को गलत मेडिकल प्रमाणपत्र जारी करना महंगा पड़ गया. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पीजीआई मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ के तीन डॉक्टर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. अदालत ने सभी तीन डॉक्टर्स से पूछा है कि किन परिस्थितियों में उन्होंने सजायाफ्ता कैदी को गलत चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी किया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने तीनों चिकित्सकों को निजी शपथ पत्र दायर करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने याचिकाकर्ता व कैदी दीपराम को भी 24 घंटे के भीतर आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए हैं.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि पीजीआई चंडीगढ़ के नेफरोलॉजी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर राजा रामचंद्रन, इसी डिपार्टमेंट के सीनियर रेजीडेंट सहित पीजीआई के ही एक अंग नेहरू अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने कैदी दीपराम की अवैध तरीके से सहायता की है. हाईकोर्ट ने प्रमाण पत्र का अवलोकन करने पर पाया कि चिकित्सकों ने कैदी का इलाज करने के 21 दिन बाद से 15 और दिनों की छुट्टी की सिफारिश की थी. इस प्रमाण पत्र को आधार बताकर कैदी दीपराम ने अपनी पैरोल को बढ़ाने की गुहार लगाई थी.

प्रार्थी ने अदालत को बताया था कि वो पिछले 14 साल से शिमला की कंडा जेल में सजा काट रहा है. प्रार्थी दीपराम ने 6 अगस्त से 10 अगस्त तक पीजीआई में अपना इलाज करवाया. इस दौरान प्रार्थी पीजीआई में दाखिल रहा. पैरोल खत्म होने के नजदीक प्रार्थी ने जेल प्रशासन को चिकित्सक का प्रमाण पत्र दिखाकर पैरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की. इसके बाद प्रार्थी ने कोर्ट के समक्ष पैरोल बढ़ाए जाने की गुहार लगाई.

अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता को पीजीआई के चिकित्सकों ने एक सितंबर से 15 सितंबर तक छुट्टी की सिफारिश की है. अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि याचिकाकर्ता का इलाज 6 से 10 अगस्त तक किया गया और फिर 10 अगस्त से 31 अगस्त तक किसी तरह की छुट्टी की सिफारिश नहीं की गई. पहली सितंबर से 15 दिनों की छुट्टी की सिफारिश इसलिए की गई कि याचिकाकर्ता का पैरोल एक सितंबर को खत्म हो रहा था. इसी बिंदु पर अदालत ने पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के तीन डॉक्टर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

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