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चरस तस्करी के आरोपी को 10 साल का कठोर कारावास, नेपाली मूल के व्यक्ति से बरामद हुई थी करीब 7 किलो चरस

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Published : Aug 7, 2019, 10:09 PM IST

न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंण्डपीठ ने प्रार्थी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि मामले का तमाम रिकॉर्ड दर्शाता है कि दोषी खुद को निर्दोष साबित नहीं कर सका और अभियोजन पक्ष ने यह साबित कर दिया कि प्रार्थी एक बोरी में बड़ी मात्रा में चरस ले जा रहा था.

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शिमलाः प्रदेश हाईकोर्ट ने 6 किलो 100 ग्राम चरस के साथ पकड़े गए नेपाली नागरिक शेर बहादुर को 10 साल के कठोर कारावास व एक लाख रुपये जुर्माने की सजा पर मुहर लगा दी है. हाइकोर्ट ने कुल्लू के विशेष न्यायाधीश के 6 दिसंबर 2016 के फैसले को जायज ठहराते हुए उसकी अपील खारिज की.

न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंण्डपीठ ने प्रार्थी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि मामले का तमाम रिकॉर्ड दर्शाता है कि दोषी खुद को निर्दोष साबित नहीं कर सका और अभियोजन पक्ष ने यह साबित कर दिया कि प्रार्थी एक बोरी में बड़ी मात्रा में चरस ले जा रहा था.

इसलिए निचली अदालत द्वारा उसे सुनाई गई सजा सही है. मामले के अनुसार 22 दिसम्बर 2014 को दोषी शेर बहादुर जब भुंतर मणिकर्ण सड़क पर चीला कैंची मोड़ नामक स्थान पर पहुंचा तो उसका सामना उस समय रघुनाथ मंदिर में हुई चोरी की वस्तुओं को ढूंढने गई पुलिस टीम से हुआ.

इसके बाद पुलिसवालों को देख कर वह घबरा गया और जब पुलिस ने उसे रोक कर उसकी तलाशी ली तो उसके पास से 6 किलो 100 ग्राम चरस पाई गई. एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20 के तहत मामला दर्ज कर शेर बहादुर के खिलाफ मुकदमा चलाया गया.

निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों और मामले के साक्ष्यों को दोष साबित करने के लिये पर्याप्त मानते हुए उसे 10 साल के कठोर कारावास व एक लाख रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई, इसके बाद अब हाईकोर्ट ने भी इन आरोपों को सही ठहराया है.

प्रदेश हाईकोर्ट ने 6 किलो 100 ग्राम चरस के साथ पकड़े 75 वर्षीय नेपाली
नागरिक शेर बहादुर को सुनाई गई 10 साल के कठोर कारावास व एक लाख रुपये
जुर्माने की सजा पर अपनी मुहर लगा दी। हाइकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश
कुल्लू के 6 दिसंबर 2016 के फैसले को जायज ठहराते हुए उसकी अपील खारिज कर
दी। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की
खण्डपीठ ने प्रार्थी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि मामले का तमाम
रिकॉर्ड दर्शाता है कि दोषी खुद को निर्दोष साबित नहीं कर सका और अभियोजन
पक्ष ने यह साबित कर दिया कि प्रार्थी एक बोरी में बड़ी मात्रा में चरस
कहीं ले जा रहा था। इसलिए निचली अदालत द्वारा उसे सुनाई गयी सजा उचित है।
मामले के अनुसार 22 दिसम्बर 2014 को दोषी शेर बहादुर जब भुंतर मणिकर्ण
सड़क पर चीला आगे कैंची मोड़ नामक स्थान पर पकडण्डी वाले रास्ते से पहुंचा
तो उसका सामना उस समय रघुनाथ मंदिर में हुई चोरी की वस्तुओं को ढूंढने
गयी पुलिस टीम से हो गया। पुलिसवालों को देख कर वह घबरा गया। पुलिस ने
उसे रोक कर उसके हाथ में पकड़े बोरु की तलाशी ली जिसमें 6 किलो 100 ग्राम
चरस पाई गई। एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20 के तहत मामला दर्ज कर शेर
बहादुर के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष की
दलीलों और मामले के साक्ष्यों को दोष साबित करने के लिये पर्याप्त मानते
हुए उसे 10 साल के कठोर कारावास व एक लाख रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई
जिसे हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया।

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