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पूरे देश में हिमाचल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन सबसे सुरक्षित, अभी तक HIV का एक भी केस नहीं

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Published : Sep 1, 2021, 8:55 PM IST

हिमाचल प्रदेश के किसी भी अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के कारण एचआईवी का एक भी केस सामने नहीं आया है. यही नहीं, ब्लड बैंक से आज तक एक भी यूनिट खून गलत जारी नहीं हुआ है. जब देश के विभिन्न राज्यों से सुरक्षित तरीके से ब्लड ट्रांसफ्यूजन न होने के कारण मरीजों के एचआईवी से संक्रमित होने और गलत ग्रुप का खून जारी होने से मरीजों की मौत के समाचार मिलते रहते हैं, हिमाचल की यह उपलब्धि सुकून देती है.

Blood transfusion in Himachal safest in the whole country
फोटो.

शिमला: हिमाचल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन देश में सबसे सुरक्षित साबित हुआ है. अभी तक प्रदेश के किसी भी अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के कारण एचआईवी का एक भी केस सामने नहीं आया है. यही नहीं, ब्लड बैंक से आज तक एक भी यूनिट खून गलत जारी नहीं हुआ है. ऐसे समय में जब देश के विभिन्न राज्यों से सुरक्षित तरीके से ब्लड ट्रांसफ्यूजन न होने के कारण मरीजों के एचआईवी से संक्रमित होने और गलत ग्रुप का खून जारी होने से मरीजों की मौत के समाचार मिलते रहते हैं, हिमाचल की यह उपलब्धि सुकून देती है.

प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के ब्लड बैंक सहायक प्रोफेसर डॉ. शिवानी सूद के अनुसार हिमाचल में मरीजों को जारी किया जाने वाला खून कई परीक्षणों से गुजरता है और अतिरिक्त सावधानी बरतने के बाद मरीज को चढ़ाया जाता है.

यही कारण है कि अभी तक संक्रमित रक्त जारी होने का कोई मामला सामने नहीं आया है. राजधानी शिमला में आईजीएमसी अस्पताल सहित दीनदयाल उपाध्याय जोनल अस्पताल व राज्य स्तरीय कमला नेहरू मातृ व शिशु कल्याण अस्पताल में तीन ब्लड बैंक हैं. इसके अलावा प्रदेश के सभी जोनल अस्पतालों में 12 ब्लड बैंक हैं.

आईजीएमसी अस्पताल के ब्लड बैंक से प्रतिदिन 60 से 70 यूनिट रक्त मरीजों को प्रतिदिन दिया जा रहा है. आईजीएमसी अस्पताल के ब्लड बैंक में अत्याधुनिक मशीनें स्थापित हैं. इनमें ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन सहित क्रास मैच करने के लिए स्वीडन की अत्याधुनिक मशीन लगाई गई है. मरीजों को जारी किया जाने वाला खून कई परीक्षणों से गुजरता है.

बाकायदा क्रास मैच की रिपोर्ट कंप्यूटर में दर्ज होती है. कई परीक्षणों से गुजरने के बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज को उसके ग्रुप का खून सुरक्षित तरीके से जारी किया जाए. अकेले आईजीएमसी अस्पताल में 900 बेड हैं.

इसके अलावा रीजनल कैंसर अस्पताल शिमला में मरीजों को खून चढ़ाया जाता है. आईजीएमसी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी डिपार्टमेंट में हार्ट सर्जरी के दौरान एकमरीज को कम से कम छह यूनिट रक्त चढ़ाने की जरूरत होती है. ऐसे में आईजीएमसी अस्पताल के ब्लड बैंक पर काम का काफी बोझ है. फिर भी ब्लड बैंक के तकनीशियन बेहद सजगता से काम करते हैं. ब्लड बैंक में एक प्रोफेसर रैंक के डॉक्टर सहित एक असिस्टेंट रैंक के डॉक्टर, एक रजिस्ट्रार डॉक्टर दोजीडीओ डॉक्टर व 12 तकनीशियन हैं.

दो महीने के अंदर जगह जगह पर आईजीएमसी के ब्लड बैंक के साथ संस्थाओं, संगठन व यूनियन ने 13 रक्तदान शिविर लगाए है. इनमें 4 जुलाई को उमंग फाउंडेशन के रक्तदान शिविर में 42 यूनिट, 9 जुलाई को एबीवीपी के रक्त शिविर करसोग में 43 यूनिट, 11 जुलाई को ठियोग में 111 यूनिट, 19 जुलाई को ठियोग में 84 यूनिट.

25 जुलाई को ठियोग क्षेत्र में 32 यूनिट, 7 अगस्त को रोटरी क्लब में 200 यूनिट, 13 अगस्त को जलोग में 76 यूनिट, 15 अगस्त को शाहतलाई में 102 यूनिट, 15 अगस्त को मल्याणा में 50 यूनिट रक्त, 18 अगस्त को टैक्सी यूनियन के शिविर में 69 यूनिट, 19 अगस्त को 21 यूनिट, 20 अगस्त को एनएसयूआई के रक्तदान शिविर में 26 यूनिट और 29 अगस्त को एक और शिविर में 26 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ है.

इस संबंध में आईजीएमसी ब्लड बैंक के सहायक प्रोफेसर डॉ. शिवानी सूद ने बताया कि हमारे पास आईजीएमसी में इन दिनों रक्त की कोई कमी नहीं है. वैसे कई बार मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ने पर कमी भी आती है, लेकिन मरीजों को ज्यादा दिक्कतें नहीं आने दी जाती है. हमारे ब्लड बैंक में एक महीने के अंदर 500 के करीब रक्त एकत्रित हो जाता है. यहां पर समय-समय पर रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं.

आगामी दिनों में भी रक्त की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी. ब्लड बैंक को संस्थाओं, संगठनों व अन्य यूनियनों आदि का सहयोग मिल रहा है. हमारी यह कोशिश रहती है कि कभी भी मरीजों के रक्त की कमी न आए.

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