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हरियाणा सरकार की एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी का विरोध बढ़ा, रोहतक के बाद करनाल में धरने पर बैठे छात्र

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Published : Nov 5, 2022, 5:01 PM IST

करनाल में एमबीबीएस स्टूडेंट का धरना
करनाल में एमबीबीएस स्टूडेंट का धरना

हरियाणा सरकार की एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी (Haryana Government MBBS Bond Policy) का विरोध अब पूरे प्रदेश में बढ़ गया है. रोहतक में देर रात छात्रों पर वाटर कैनन के इस्तेमाल और उन्हें हिरासत में लिये जाने से नाराज करनाल के कल्पना चावाल मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस स्टूडेंट भी प्रदर्शन पर उतर आये हैं. शनिवार को ये छात्र एडमिन ब्लॉक से निकलकर ओपीडी के बाहर आकर धरने पर बैठ गये.

करनाल: कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज (Kalpana Chawla Medical College) के छात्र रोहतक में छात्रों पर हुए वाटर कैनन और हिरासत में लिये जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. शनिवार को छात्र एडमिन ब्लॉक कॉलेज से निकलकर कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज ओपीडी के बाहर धरने पर बैठ गये. इस धरने प्रदर्शन में बड़ी संख्या में छात्र शामिल हैं. छात्र हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं.

रोहतक पीजीआई के एमबीबीएस छात्र हरियाणा सरकार की एमबीबीएस बॉन्ड पॉलिसी (Haryana Government MBBS Bond Policy) के खिलाफ पिछले चार दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे थे. शुक्रवार की रात पुलिस ने करीब 2 बजे प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बल पूर्वक हटा दिया. छात्रों के ऊपर वाटर कैनन चलाई गई. प्रदर्शन कर रहे छात्रों को हिरासत में लेकर पुलिस करीब सात बसों में भरकर ले गई. रोहतक में छात्रों को हिरासत में लिये जाने की खबर मिलने के बाद करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के छात्र भी धरने पर बैठ गये हैं.

कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के छात्र.

रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के दूसरे दीक्षांत समारोह में शनिवार को राज्यपाल बण्डारू दत्तारेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज शामिल होने वाले थे. छात्रों ने देर रात दीक्षांत समारोह वाले सभागार के गेट के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसके बाद पुलिस ने वहां पहुंचकर छात्रों को अपनी हिरासत में ले लिया. छात्रों को हिरासत में लेने के बाद प्रदेश के दूसरे छात्रों में गुस्सा फैल गया.

दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 7 साल के लिए 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी. एमबीबीएस छात्र इसी का विरोध कर रहे हैं.

करनाल में एमबीबीएस स्टूडेंट का धरना

एमबीबीएस विद्यार्थियों का यह भी कहना है कि कॉलेज फीस के अलावा छात्रों को हॉस्टल शुल्क, मेस बिल, किताबें और स्टेशनरी के लिए भी भुगतान करना पड़ता है, जो हर साल लगभग 70 से 80 हजार के बराबर होता है. सरकार की नीतियों के विरोध में एमबीबीएस के विद्यार्थियों का आंदोलन 2020 से चल रहा है. एक जनहित याचिका भी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय चंडीगढ़ में विचाराधीन है.

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