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धान की फसल में तेला कीट का प्रकोप, समय रहते करें इन दवाइयों का छिड़काव वरना हो सकता है 50 से 70% नुकसान

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 30, 2023, 9:16 AM IST

पिछले दिनों हरियाणा में बारिश और बाढ़ के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ. बारिश ने किसानों की मेहनत पर एक तरह से पानी ही फेर दिया था. इस समस्या के बाद अब धान की फसलों में तेला कीट का प्रकोप शुरू हो गया है. तेला कीट से किसानों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं. कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि समय रहते इसकी पहचान कर किसान अपने खेत में छींटा विधि से छिड़काव करें वरना भारी नुकसान हो सकता है. (Insect attack in paddy crop)

Insect attack in paddy crop
धान की फसल में तेला कीट का प्रकोप

धान की फसल में तेला कीट

करनाल: बरसात और बाढ़ के बाद किसानों ने कड़ी मेहनत करने के बाद अपनी धान की फसल को बहुत ही ज्यादा अच्छे से तैयार किया था, लेकिन अब धान की फसल को लेकर किसानों की चिंता बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. क्योंकि धान की फसल में तेला का प्रकोप आया हुआ है, यह तेला मच्छर के आकार का होता है जिसका रंग हरा, काला और बुरा होता है. यह कीट पौधे के निचले हिस्से में बैठा होता है. जो पौधे का रस चूस रहता है और पौधे को धीरे-धीरे रस चूस कर सुखा देता है. पहले यह खेत के एक छोटे हिस्से को प्रभावित करता है फिर धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है.

तेला कीट का नमी के मौसम में होता है प्रकोप: कृषि विशेषज्ञ डॉ. कर्मचंद ने बताया कि, तेला कीट धान की फसल के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक होता है. अगर समय रहते इसका प्रबंधन नहीं किया जाए तो यह पैदावार पर बहुत ही ज्यादा प्रभाव डालता है. डॉ. कर्मचंद ने बताया मौजूदा समय में मौसम मे नमी बनी हुई है और मौसम की नमी के चलते ही धान की फसल में तिल का प्रकोप छाया हुआ है. अगर समय रहते इसका प्रबंधन नहीं किया जाए तो यह फसल को 50 से 70% तक प्रभावित कर देता है. इससे उत्पादन में भारी गिरावट आती है और फसल की गुणवत्ता भी खराब होती है.

धान की फसल में तेला कीट लगने से किसान परेशान.

धान की फसल में तेला का प्रकोप: कृषि विशेषज्ञ डॉ. कर्मचंद ने कहा कि, कृषि विभाग की टीम में लगातार फील्ड में जाकर किसानों के खेतों में निरीक्षण कर रही है. जिसमें धान की फसल में तेला का प्रकोप दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि, नमी के मौसम में ही तेला का प्रकोप धान की फसल में होता है. कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि, जिस खेत में पानी की वजह से ज्यादा नमी होती है या फिर जिस खेत में धान की फसल में ज्यादा यूरिया खाद डाला जाता है उस खेत में इसका प्रकोप ज्यादा होता है. अगर खेत में कहीं पर कोई बड़ा पेड़ खड़ा है तो उसके नीचे भी नमी बनी रहती है. उस हिस्से में भी तेला कीट के प्रकोप की आशंका बनी रहती है.

तेला कीट का नमी के मौसम में होता है प्रकोप.

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तेला कीट की पहचान: तेला कीट की पहचान काफी मुश्किल होती है. इसलिए सुबह शाम किसान अपने खेतों में जाएं और अपने धान के पौधों की जड़ों को खोलकर अच्छे से देखें कि वहां पर मच्छर के आकार के हरे काले और सफेद रंग के छोटे-छोटे कीट तो नहीं हैं. अगर ऐसा होता है तो उसके नियंत्रण के लिए तुरंत कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर उसका प्रबंध करें. जहां पर यह कीट बैठा होता है वह हिस्सा सूखने लगता है और नीचे से पौधे की जड़ें काली हो जाती हैं और सूखने भी लग जाती हैं. पहले यह धान के खेत के कुछ हिस्सों को ही अपना शिकार बनाता है, उसके बाद धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है. तेला कीड़ा से उत्पादन में भारी गिरावट आती है.

समय रहते रोकथाम नहीं करने से 50 से 70% तक नुकसान.

रोकथाम के लिए उपाय: जिन किसानों को अपने ऱेत में पानी नहीं देना हैं वे किसान काले तेला के रोकथाम के लिए अपने खेत में नवान नामक दवाई जिसको डीटीपी भी कहते हैं, 250 एम एल 20 किलो रेत में मिलाकर एक एकड़ में शाम के समय अपने खेत में छींटा विधि से छिड़काव करें. ध्यान रहे कि इस दवाई का छिड़काव करते समय खेत में नमी बनी रहनी चाहिए.

तेला कीट लगने पर समय रहते करें दवाइयों का छिड़काव.

इन दवाइयों का करें छिड़काव: इस दवाई के प्रयोग से तीन-चार दिन में काले तेला के प्रकोप से किसान की धान की फसल को निजात मिल जाएगी. जिस किसान के खेत में हरे और भूरे सफेद रंग के तेला का प्रकोप आया हुआ है, उसके नियंत्रण के लिए 250 से 300 एम एल कीटनाशक दवाई का 200 लीटर पानी मे गोल बनाकर 1 एकड़ खेत में स्प्रे करें. इस दवाई के छिड़काव से हरे और सफेद भूरे रंग के तेला के प्रकोप पर नियंत्रण किया जा सकता है.

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