नई दिल्ली : दिल्ली-NCR में 50 साल से कम उम्र की युवा आबादी में स्मृति हानि और स्यूडो-डिमेंशिया से संबंधित लगभग प्रति माह 50 मामले मिल रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है इन मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. Pseudo - Dementia का उपयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसमें अवसाद मनोभ्रंश के रूप में सामने आता है. मरीजों को अक्सर याददाश्त और एकाग्रता में कठिनाई पेश आती है.
Fortis Memorial Research Institute, Gurugram के न्यूरोलॉजी निदेशक Dr Praveen Gupta ने कहा, "युवा आबादी में स्यूडो-डिमेंशिया के मामले बढ़ रहे हैं. एक महीने में लगभग 50 मामले मिलते हैं, जहां 50 वर्ष से कम उम्र के मरीज Memory loss और स्यूडो-डिमेंशिया से संबंधित मदद मांगते हैं." Pseudo Dementia और स्मृति हानि से पीड़ित मरीजों को भूलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है कि जैसे उन्होंने कार की चाबियां कहां रखी हैं, किराने की दुकान पर कोई वस्तु लेने के लिए याद नहीं रखना, किसी मित्र के फोन कॉल का जवाब देना भूल जाना और यहां तक कि वे जो कहने वाले थे, उसे भी भूल जाना, ऐसे ही मामले सामने आ रहे हैं.
करियर, अधिक काम, सामाजिक स्थिति से संबंधित अधिक Tension लेने जैसे कारकों के कारण मस्तिष्क पर दबाव बढ़ रहा है जो मस्तिष्क को जानकारी को पूरी तरह से संसाधित करने से रोकता है, जिसके कारण यह स्थायी स्मृति तक नहीं पहुंच पाता है. डॉ. गुप्ता ने कहा, "एक ही समय में बहुत अधिक जानकारी संसाधित करने से भी फोकस और Memory loss हो रही है."