हमारे देश में यौन स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है, जिस पर खुल कर बात करने में लोग हिचकिचाते है. पुरानी पीढ़ी के लोग आज भी कोई यौन समस्या या बीमारी होने पर चिकित्सक के पास ये सोच कर जाने से कतराते है कि लोग क्या कहेंगे. लेकिन नई पीढ़ी की सोच अब बदल रही है. धीरे-धीरे ही सही लेकिन लोगों की सोच में बदलाव आना शुरू हुआ है. लोग यौन संबंधों, उनसे जुड़ी समस्याओं तथा अपनी प्राथमिकताओं पर अपने विचार रखने लगे हैं. लेकिन अभी भी ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है. लोगों की इस बदलती सोच के पीछे डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा सोशल मीडिया का भी बड़ा हाथ रहा है.
वर्ल्ड सेक्शुअल हेल्थ डे का आयोजन
आमजन में यौन स्वास्थ्य तथा समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 4 सितंबर को 'वर्ल्ड सेक्शुअल हेल्थ डे' मनाया जाता है. इस वर्ष इस अभियान का विषय रहा है 'कोविड 19 के समय में यौन सुख. इस अवसर पर विश्व यौन स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएएस) ने दुनिया भर में अपने सभी साथी संगठनों से इस संबंध में सामाजिक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने की अपील की है.
यौन स्वास्थ्य को लेकर समाज की सोच
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) कहती है की यौन स्वास्थ्य को लेकर समाज एक सकारात्मक सोच अपनाए, इसके लिए जरूरी है की लोग पहले इसे एक निषेध विषय समझना बंद करें. यौन संबंध मानव शरीर की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो ना सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है, जरूरी है की लोग इस सच को माने तथा इस विषय पर खुली सोच के साथ चर्चा करें. यौन स्वास्थ्य को लेकर समाज में यदि जागरूकता बढ़ती है, तो कहीं ना कहीं उसका फायदा परिवार तथा समाज में व्याप्त यौनिक हिंसा, लिंगभेद, आपसी संबंधों में जबरदस्ती तथा एसटीआई जैसी समस्याओं में काफी हद तक कमी आ सकती है.
यौन संचारित रोग (एसटीआई)
हमारे समाज में लोग खुलेआम सेक्स शब्द सुनकर बगले झांकने लगते हैं. लेकिन हर व्यक्ति अपनी कल्पनाओं तथा निजी क्षणों में उसकी कामना जरूर करता है, विशेष तौर पर पुरुष. कई बार लोग शारीरिक संबंधों को लेकर इतने उत्तेजित रहते हैं की वह अनैतिक तथा एक से ज्यादा साथियों के साथ यौनचार से भी परहेज नहीं करते. इस अनुभव के लिए वे पैसे खर्च करने में भी हिचकिचाते नहीं है. ऐसा करना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन जरूरी है जो व्यक्ति एक से ज्यादा साथियों के साथ अंतरंग संबंधों में लिप्त हो, तो वह सुरक्षित सेक्स को प्राथमिकता दे तथा संबंधों के दौरान सभी जरूरी सावधानीयां बरते. क्योंकि सुरक्षित संबंधों के अभाव में वे यौन संचारित रोगों का शिकार हो सकते हैं.