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शारदीय नवरात्रि 2022 : छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा से दूर होंगी शादी में आने वाली बाधाएं

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Published : Oct 1, 2022, 12:03 AM IST

Sharadiya Navratri 2022

शारदीय नवरात्रि 2022 (Sharadiya Navratri 2022) का आज (शनिवार) छठवां दिन है. नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के षष्ठं स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा का विधान (Worship of Maa Katyayani on sixth day) है. मां कात्यायनी की पूजा करने से शादी में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि मां कात्यायनी देवी का महत्व, पूजा विधि और कथा.

नई दिल्ली:नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति होती है. वह इस लोग में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है. इनकी पूजा से सभी रोग, भय आदि दूर हो जाते है. मां कात्यायनी की कृपा से शादी में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और बृहस्पति शादी के योग भी बनते हैं. इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है.

मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला होता है. माता सिंह पर विराजमान रहती हैं, उनकी चार भुजाएं हैं. मां अपनी एक हाथ अभय मुद्रा, दूसरा हाथ वर मुद्रा, तीसरे हाथ में तलवार और चौथे हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा का यह स्वरूप अत्यंत दयालु और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है.

मां कात्यायनी

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मां कात्यायनी की पूजाविधि: नवरात्रि के छठे दिन सबसे पहले कलश की पूजन करें. इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां कत्यायनी की पूजा करें. पूजा विधि की बात करें तो पूजन के लिए पहले मां का ध्यान करते हुए एक फूल हाथ में लें. मां को फूल अर्पित करने के बाद मां को कुमकुम, अक्षत, फूल आदि चढ़ाने के बाद सोलह श्रृंगार का समान चढ़ाएं. इसके बाद मां को शहद का भोग लगाएं. इसके बाद जल अर्पित करें और दीपक-धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही दुर्गा चालीसा का पाठ भी जरूर करें.

मां कात्यायनी का आराधना मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानव-घातिनी॥

इन मंत्रों से करेंग मां कात्यायनी की पूजा

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मां कात्यायनी की कथा: पुराणों के अनुसार महर्षि कात्यायन ने मां आद्यशक्ति की घोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था. मां का जन्म महर्षि कात्यायन के आश्रम में हुआ था. कहते हैं जिस समय महिषासुर का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब त्रिदेवों के तेज से मां की उतपत्ति हुई थी. मां ने दशमी तिथि के दिन महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था. इसके बाद शुंभ-निशुंभ ने भी स्वर्ग लोक पर आक्रमण करके इंद्र का सिंहासन छीन लिया था. उनका अत्याचार बढ़ने से मां ने उनका भी वध कर दिया था.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी पंडित जय प्रकाश शास्त्री से बातचीत पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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